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    घरेलू चिकित्सा से रोग रहेंगे कोसों दूर

    By Edited By:
    Updated: Wed, 09 Dec 2015 12:40 AM (IST)

    सम्भल। आयुर्वेद द्वारा उपचार की प्रणाली सबसे प्राचीन है। जिससे शरीर में फैल रहे रोग को जड़ से समाप्त

    सम्भल। आयुर्वेद द्वारा उपचार की प्रणाली सबसे प्राचीन है। जिससे शरीर में फैल रहे रोग को जड़ से समाप्त किया जा सकता है। मगर वर्तमान में लोग इस आयुर्वेद को लगभग भूल से गये है। जिसकी वजह से जल्द सही होने के चक्कर में वह एलोपैथिक दवाओं का सहारा लेते है। कभी कभी इन दवाओं के सेवन करने से एलर्जी भी हो जाती है। जबकि आयुर्वेद दवाओं का शरीर पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है।

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    वर्तमान समय में हमारे शरीर की रोग प्रतिरेाधक क्षमता कम होती जा रही है। जिसकी वजह से मौसम बदलने के साथ ही हमारा शरीर कई बीमारियों के घेरे में फंस जाता है। ऐसे समय में खांसी, जुकाम, नजला, बुखार समेत कई ऐसी बीमारियां है। जो हमें जकड़ लेती है। इन बीमारियों से छुटकारा पाने के लिए हम तुरंत ही किसी एलोपैथिक चिकित्सक के पास जात है और वहां से दवा लेकर खाते है। क्योंकि हमें जानकारी नहीं है। इन बीमारियों पर थोड़ा ध्यान दिया जाए तो हम घर पर ही इन रोगों का उपचार कर सकते है, वो भी दादी मां के बताए नुस्खों से। पहले लोग कोई बीमारी होने पर आयुर्वेद पद्धति से अपना उपचार कराते थे। इस उपचार में रोगी पर दवा का कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता था और वह जल्द ही स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर लेता था। उस समय तक कोई भी एलोपैथिक दवा के बारे में नहीं जानता था। आज के समय में इसका उल्टा है। आज थोड़ी सी भी समस्या होने पर लोग एलोपैथिक डॉक्टर के पास दौड़ पड़ते है। ऐसा नहीं है कि आजकल आयुर्वेदिक या यूनानी दवाखाने न हो। दवा खाने तो है मगर कोई उनके बारे में जानता नहीं। क्योंकि सभी का विश्वास एलोपैथिक उपचार पद्धति में है, आयुवर् द या यूनानी में नहीं। आयुर्वेद और युनानी पद्धति में बहुत सी दवाएं ऐसी है जिन्हें लेने के लिए हमें कही बाहर नहीं जाना पड़ेगा। बल्कि वह घर में ही मौजूद होती है। बस थोड़ी जानकारी की जरूरत है।

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    वर्जन

    सर्दी के मौसम में वात स्लेस्मिक ज्वर, टाईफाइड, संक्रामिक ज्वर, नजला, जुकाम जैसी समस्याएं ज्यादा सामने आती है। जैसे ही इनमें से कोई भी एक समस्या किसी को घेर लेती है। तो लोग एलोपैथिक दवा लेते हैं। कई बार इन दवाओं का साइड इफ्केट भी रोगी पर देखने को मिलता है। जबकि सबसे पहले अपने हाथ, पैर और सिर को ढक कर रहने के साथ ही उबला हुआ पानी पीना चाहिए। सांस लेने में परेशानी होने या नजला जुकाम की समस्या में गर्मी पानी में बिक्स अथवा बाम डालकर भपारा लेना चाहिए।

    - वैध सत्यप्रकाश रस्तोगी।

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    वर्जन

    जैसे ही ठंड का मौसम शुरू होता है। लोगों में ह्दय आघात संबंधी परेशानियां बढ़ जाती है। जबकि कुछ लोगों में मौसम बदलते ही कई अन्य छोटी मोटी बीमारियां घेर लेती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हमारे शरीर की रोग प्रतिरेाधक क्षमता कम हो चुकी होती है। हमें दादी मां के नुस्खे अपनाते हुए घरेलू उपचार पहले से ही कर लेना चाहिए। जिससे हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी रहे और कोई भी रोग शरीर के अंदर न आ सके।

    डॉ. रेखा गोयल।