आखिर क्यों आ रही बार-बार कचहरी पुल में दरार
कचहरी पुल में बार-बार दरार आने से इस पुल को लेकर संशय बढ़ता जा रहा है। दरअसल रेलवे फ्रेट कारिडोर की रेल लाइन डालने के लिए दो माह तक चले कामकाज के बाद ...और पढ़ें

सहारनपुर, जेएनएन। कचहरी पुल में बार-बार दरार आने से इस पुल को लेकर संशय बढ़ता जा रहा है। दरअसल रेलवे फ्रेट कारिडोर की रेल लाइन डालने के लिए दो माह तक चले कामकाज के बाद कचहरी पुल में तीन बार दरार आ चुकी है। दरार आने पर पुल का यातायात बंद कर उसकी मरम्मत की जाती है, उधर इससे आम लोगों में डर है। हालांकि पुल की मरम्मत का काम करने वाली एलएंडटी के अधिकारी दरार को गंभीर नहीं मान रहे। उनका यह कहना है कि दरार से पुल की मजबूती में कोई अंतर नहीं पड़ेगा। पुल यातायात के लिए पूरी तरह सुरक्षित है।
महानगर की लाइफ लाइन बन चुके कचहरी पुल को आवागमन के लिए 15 फरवरी से बंद कर दिया गया था। रेलवे द्वारा डेडीकेटेड फ्रेट कारिडोर के लिए बिछाई जाने वाली रेल लाइन पुल के नीचे से होकर गुजरेगी। कचहरी की ओर पुल से उतरने के दौरान नीचे रेलवे लाइन के साथ लगी दीवार को विशेष तकनीक यानि डाइकंडेक्टिग से काटा गया था। रेलवे लाइन के ऊपर पुल के स्लैब का करीब नौ मीटर तक विस्तार किया गया। पुल से गुजर रही 33केवी की लाइन हटाने का काम मार्च के प्रथम सप्ताह में कड़ी जद्दोजहद के बाद पूरा हो सका था। कंपनी ने जिला प्रशासन से पुल की कटिग के लिए दो माह का समय लिया था। 57 दिन में काम पूरा करने के बाद कंपनी ने पुल पर 12 अप्रैल को आवागमन शुरू कराया था। 17 जुलाई को पहली बार आई दरार
कचहरी पुल पर 17 जुलाई को पहली बार दरार आई थी। कंपनी एलएंडटी के अधिकारियों ने तत्परता से पुल का यातायात बंद करने की अनुमति लेकर उसकी सीमेंट-कंक्रीट से मरम्मत कराई थी। दो दिन बाद पुल को यातायात के लिए खोल दिया गया था। दो सितंबर को दूसरी दरार
कचहरी की ओर से चढ़ाई के दौरान पुल पर दो सितंबर को फिर दरार आ गई थी। साइड की मिट्टी धंसने के कारण यह समस्या बताई गई थी। कंपनी द्वारा दोनों ओर कंक्रीट से किनारे पक्के करने और दरार की मरम्मत करने के बाद पुल को यातायात के लिए खोला था। 12 सितंबर को तीसरी दरार
कचहरी पुल पर तीसरी दरार 12 सितंबर को ठीक उसी जगह आई जहां पहले भी उसकी मरम्मत कराई जा चुकी थी। पुल में दो माह की अवधि में तीन बार दरार आने से राहगीर और नगरवासी आशंकित है। अरविद शर्मा, राजेश अग्रवाल, डीके गुप्ता, एस कुमार आदि का कहना है कि दरार का सामान्य रूप से नहीं लिया जाना चाहिए। इनका कहना
पुल पर जो दरार बताई जा रही है, उससे पुल की मजबूती में कोई अंतर नहीं आएगा। मरम्मत सीमेंट से कराई गई है जबकि पहले पुल की सड़क बिटुमिन यानि कोलतार से बनी थी। इन दोनों मैटीरियल का जोड़ पर पूरी तरह से मिलान नहीं हो पाता। इस बार एक विशेष प्रकार के मैटीरियल से दरार को भरा जायेगा।
-डा.रमन चौधरी, प्रोजेक्ट हेड एलएंडटी।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।