जल का संरक्षण हम सबकी जिम्मेदारी
जल है तो कल है। यदि जल पर किसी तरह का संकट आता है तो जीवन पर भी संकट आना स्वाभाविक है। यदि अब भी नहीं चेते तो बाद में अफसोस करने के अलावा दूसरा और कोई विकल्प नहीं होगा।
सहारनपुर, जेएनएन। जल है तो कल है। यदि जल पर किसी तरह का संकट आता है तो जीवन पर भी संकट आना स्वाभाविक है। यदि अब भी नहीं चेते तो बाद में अफसोस करने के अलावा दूसरा और कोई विकल्प नहीं होगा। पानी बचाने की पहल हमें अपने घर से ही करनी होगी। जल संरक्षण हम सबकी जिम्मेदारी है, जल की बर्बादी से मुंह मोड़ लेना भविष्य के साथ खिलवाड़ के समान होगा।
गुरुवार को चिलकाना रोड स्थित एल्पाइन पब्लिक स्कूल में दैनिक जागरण की संस्कारशाला के अंतर्गत आयोजित गोष्ठी में छात्राओं ने रेगिस्तान को हरा-भरा करने की जिद, कहानी पढ़कर सुनाई। प्रधानाचार्य शकील अहमद ने कहा कि जल जीवन का आधार है और यदि हमें जीवन को बचाना है तो जल संरक्षण और संचय के उपाय करने ही होंगे। जल की उपलब्धता घटने के साथ मारामारी बढ़ रही है। ऐसे में संकट का सही समाधान खोजना प्रत्येक का दायित्व और जिम्मेदारी भी बनती है। जल के स्त्रोत सीमित हैं, ऐसे में जलस्त्रोतों को संरक्षित रखकर एवं जल का संचय कर हम जल संकट का मुकाबला कर सकते हैं इसके लिये हमें जल के उपयोग में मितव्ययी बनना पड़ेगा।
प्रधानाचार्य ने कहा कि जल एक ऐसा प्राकृतिक संसाधन है, जिसका कोई मोल नहीं हैष जीवन के लिये जल की महता को इसी से समझा जा सकता है कि बड़ी-बड़ी सभ्यताएं नदियों के तट पर ही विकसित हुई और अधिकांश प्राचीन नगर नदियों के तट पर ही बसे। हम न सिर्फ जल का संरक्षण करें बल्कि उसे प्रदूषित होने से भी बचाएं। हमारे शरीर में जल की मात्रा शरीर के तापमान को सामान्य बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
उप प्रधानाचार्या प्रियंका गुप्ता ने कहा कि शहर की जीवनरेखा कही जाने वाली पांवधोई नदी को जीवंत करने की जरूरत है। नदी की सफाई कराने से पानी का जलस्तर बढ़ेगा। अभी नदी के हालात कई स्थानों पर नाले जैसे हो गए है जो सभी के लिए चिता का विषय है। हर एक को अपने घर से ही पानी बचाने की पहल करने की पहल करनी चाहिए। कई क्षेत्रों में देखा जाता है कि पीने योग्य पानी से गाड़ी धोई जाती है उसे बंद करने की जरूरत है जो लोग पानी के महत्व को नहीं जानते, वहीं पानी की बर्बादी अधिक करते हैं।
मकानों में रेन वाटर हारवेस्टिग सिस्टम बनाने की महती आवश्यकता है, जिस तेजी से जलस्तर नीचे गया है वह सभी के लिए चिता का विषय है। उन्होंने बताया कि 30 वर्ष पहले पानी की बिक्री नहीं होती थी मगर अब बोतल में 15 से 20 रुपये में एक लीटर बिक रहा है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर अब पानी का मोल नहीं समझे तो स्थिति विकट होने में देर नहीं लगेगी। दैनिक जीवन में पानी की बर्बादी बिल्कुल न करें और एक-एक बूंद की बचत करें। इस मौके पर दैनिक जागरण में जल की महता पर प्रकाशित कहानी में पूछे गए सवालों के जवाब छात्र-छात्राओं द्वारा दिए गए। ---इनसेट---
विद्यार्थियों ने दिए सवालों के जवाब प्रश्न: राजेंद्र सिंह को किस नाम से जाना जाता है?
जवाब: जलपुरुष।
-मौ.शाकिर।
प्रश्न: पानी बचाने की मुहिम को लेकर राजेंद्र सिंह ने क्या किया?
जवाब: जोहड़-तालाब बनवाए।
-मो.जैद।
प्रश्न: राजेंद्र सिंह की पानी बचाओ मुहिम से किस राज्य की तस्वीर बदल चुकी है?
जवाब: राजस्थान।
-इमरा खान।
प्रश्न: हवा, आग, धरती और पानी के अलावा पंच तत्वों में क्या शामिल है?
जवाब: आकाश।
-रिजा अंसारी।
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