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    लाखों कमाने वाले आतंकी डाक्टर को आखिर क्यों पसंद आई मलिन बस्ती...जहां वो रहता था अकेला

    By Sanju Kumar Edited By: Praveen Vashishtha
    Updated: Wed, 12 Nov 2025 01:26 PM (IST)

    एक अमीर डॉक्टर जो आतंकवाद से जुड़ा था, मलिन बस्ती में अकेला रहता था। उसके पास लाखों रुपये थे, फिर भी उसने ऐसी जगह को चुना। उसके अकेले रहने और आतंकवाद से संबंध ने कई सवाल खड़े किए हैं। मलिन बस्ती में उसका जीवन और भी रहस्यमय है। 

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    आदिल का ठिकाना अंबाला रोड स्थित अमन विहार कालोनी के पास आसमां मस्जिद के नजदीक मलिन बस्ती में था। (प्रतीकात्मक फोटो)

    जागरण संवाददाता, सहारनपुर। सहारनपुर में जम्मू-कश्मीर का आतंकी डाक्टर आदिल अहमद करीब दो साल से रह रहा था, लेकिन उसके वर्तमान ठिकाने की जानकारी किसी को नहीं थी। पांच लाख रुपये का वेतन लेने वाला डाक्टर आदिल एक मलिन बस्ती में अकेला रहता था। जहां पर कच्चा रास्ता, कुछ बने और अधबने मकान हैं। गली में किसी भी मकान पर सीसीटीवी कैमरे भी नहीं लगा था। ऐसी ही जगह डाक्टर को पसंद आई और उसने एकांत माहौल में मकान लिया था, ताकि किसी को उस पर जरा भी संदेह न हो सके।

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    आदिल का ठिकाना अंबाला रोड स्थित अमन विहार कालोनी के पास आसमां मस्जिद के नजदीक मलिन बस्ती में था। इस मकान को डाक्टर बाबर ने सात माह पहले किराए पर दिलाया था। आदिल से रात में कुछ लोग रोजाना मिलने आते थे। मकान के अंदर क्या कुछ चल रहा है। इसकी भनक किसी को नहीं थी। सुबह करीब 11 बजे डाक्टर आदिल अहमद मकान से निकलता था और अस्पताल जाता था।

    अस्पताल में केवल डाक्टर बाबर, अतुउर्रहमान, असलम जैदी आदि डाक्टरों से ही बातचीत करता था। फिलहाल मकान बंद है और अंदर सामान जस का तस है। आसपास के लोगों का कहना है कि डाक्टर यहां करीब सात महीने से रह रहा था। वह कालोनी में किसी से अधिक बातचीत नहीं करता है। यह मकान जाकिर नाम के व्यक्ति का है। पुलिस और एसटीएफ भी पूरे मामले की गहनता से जांच करने में जुटी है।

    अस्पताल में कम हुए मरीज : जिस अस्पताल में डाक्टर आदिल लोगों का उपचार कर रहा था। अब उस अस्पताल का नाम सुनते ही लोग घबराने लगते है। जिन लोगों ने उपचार कराया। उनको भी डर है कि वह डाक्टर आतंकी है। डाक्टर आदिल दिनभर करीब 50 लोगों को उपचार करता था। अस्पताल में तकरीब 400 से जयादा मरीजों की ओपीडी होती थी, लेकिन अन्य डाक्टरों से उपचार के लिए 80 से 90 डाक्टर ही पहुंच पा रहे हैं।