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Saharanpur Ravan Dahan: बुलडोजर पर सवार होकर युद्ध भूमि में पहुंचा रावण, जोरदार धमाकों के साथ फूंका गया पुतला

Saharanpur Ravan Dahan सहारनपुर की रेलवे कालोनी की रामलीला के दौरान युद्ध भूमि में रावण का अनोखे अंदाज में आगमन हुआ। लंकापति रावण बुलडोजर पर सवार होकर पहुंचा। इसी के साथ रावण के पुतले के मुख से आग और धुंआ निकल रहा था।

By Jagran NewsEdited By: Parveen VashishtaPublished: Wed, 05 Oct 2022 11:45 PM (IST)Updated: Wed, 05 Oct 2022 11:45 PM (IST)
सहारनपुर में धूं धूं कर जलता रावण

सहारनपुर, जागरण संवाददाता। रेलवे यूथ सोशल क्लब की रामलीला में लंकापति रावण बुलडोजर पर सवार होकर युद्ध के मैदान में पहुंचा। रावण की ललकार दूर दूर तक गूंज रही थी। युद्ध भूमि में हुए भीषण महासंग्राम में रावण भगवान श्रीराम के बाण से मृत्यु को प्राप्त हुआ। लीला के दौरान मेघनाथ का पुतला पहियों पर चलकर दर्शकों के बीच पहुंचा। वहीं रावण के पुतले के मुख से आग और धुंआ निकल रहा था। श्रीराम के बाणों से रावण के पुतले के अंग कटकर मैदान में गिरे। बाद में पुतलों को आतिशबाजी के जोरदार धमाकों के साथ फूंका गया। 

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रावण का अनोखे अंदाज में हुआ आगमन 

रेलवे कालोनी की रामलीला के दौरान युद्ध भूमि में रावण का अनोखे अंदाज में आगमन हुआ। जैसे ही मंच से घोषणा हुई कि रावण जल्द ही युद्ध भूमि पर पहुंचने वाले हैं, मैदान में मौजूद लोगों की निगाहे उसी ओर लग गई। बुलडोजर पर सवार होकर लंकापति रावण की ललकार से बच्चों में खासा कोतूहल रहा।  

तलवार लहराते रावण को देखने को लगी रही होड़ 

हाथों में तलवार लहराते रावण को देखने और फोटो खींचने के लिए दर्शकों में होड़ लगी रही। युद्धभूमि में रावण के प्रवेश के साथ ही वानर सेना और राक्षसों में भीषण युद्ध हुआ। श्रीराम और रावण के बीच चले महासंग्राम में राम के बाणों ने एक-एक कर रावण के दस सिरों भेदना शुरु किया। विभीषण के बताने पर श्रीराम ने रावण की नाभि पर वार किया और रावण का अंत हो गया। रावण के अंत के साथ ही रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतले धूं-धूंकर जल उठे। 

रावण का पुतला उगल रहा था मुंह से आग और धुंआ

पुतले जलने से पहले मेघनाथ का 30 फुट ऊंचा पुतला पहियों पर चलकर दर्शकों के बीच तक पहुंचा, वहीं रावण का पुतला मुंह से आग और धुंआ उगल रहा था। राम के बाणों से पुतले के अंग कटकर नीचे गिरते रहे। क्लब के मुख्य संयोजक चंद्रजीत सिंह निक्कू ने बताया कि लीला को देखने के लिए दूर दूर से लोग आए थे। पुतलों का नया अंदाज हर किसी के आकर्षण का केंद्र बना रहा।


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