सहारनपुर की चाट-पकौड़ी, पकवान-पेड़ा और घेवर लाजवाब... एक जनपद-एक व्यंजन से खानपान की परंपरा भी बनेगी ब्रांड
उत्तर प्रदेश में 'एक जिला-एक उत्पाद' की तर्ज पर 'एक जनपद-एक व्यंजन' योजना शुरू की जाएगी। सहारनपुर अपनी चाट-पकौड़ी, पकवान-सुआली, पेड़ा और घेवर के लिए प ...और पढ़ें

सहारनपुर की चाट पकौड़ी और पकवान। जागरण
जागरण संवाददाता, सहारनपुर। प्रदेश में एक जिला-एक उत्पाद की तर्ज पर अब एक जनपद-एक व्यंजन की पहल होगी। स्थानीय कारीगरों को न केवल योजना से प्रोत्साहन मिलेगा वरन् अब खानपान की परंपरा को भी ब्रांड बनाने का काम होगा।सहारनपुर में चाट-पकौड़ी, पकवान-सुआली,पेड़ा और घेवर लाजवाब है। पकवान और सुआली को दूर-दूर तक लोग रिश्तेदारी में ले जाना पसंद करते है।
एक जनपद-एक व्यंजन की होगी पहल
शुक्रवार को लखनऊ में हुई बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रत्येक जनपद की विशिष्ट खाद्य परंपरा को भी एक संगठित पहचान देने की दिशा में एक जनपद-एक व्यंजन (ओडीओसी) की अवधारणा को साकार करने की भी जरूरत बताई।सहारनपुर महानगर के मुहल्ला बड़तला यादगार की चाट-पकौड़ी पिछले पांच दशक से लोगों की पसंद बनी है।पिछले पांच वर्ष से इसी दुकान की एक ब्रांच यहां कोर्ट रोड पर खुली है।
अब खानपान की परंपरा भी बनेगी ब्रांड
कई स्थानों पर चाट-पकौड़ी, टिक्की और समोसे की दुकानें और यहां के लोगों के साथ ही विभिन्न स्थानों से आने वाले लोगों का स्वाद बढ़ाती है।हलवाई हट्टा सहित मिठाई की दुकानों पर यहां पकवान, सुआली,घेवर के अलावा गंगोह का पेड़ा भी अपनी प्रसिद्धि बनाए हुए है।देहरादून रोड स्थित गांव कैलाशपुर की चाट को स्वाद के दीवाने नही भूलते।बिहारीगढ़ की पकौड़ी का स्वाद हाईवे से गुजरने वाले अमूमन यात्री जरूर चखते है।इसके अलावा घंटाघर की मशहूर दुकान का बतीसा भी दूर-दूर तक प्रसिद्ध है।मिठाई कारोबारी शिवेन्द्र कपूर बताते है कि पकवान व सुआली यहां से लोग देश-विदेश में अपने रिश्तेदारों तक भेजते है।
देवबंद। नगर में तीज के त्यौहार पर घेवर की मांग बढ़ जाती है।चाश्नी में डूबे घेवर की नगर के बाजारों में कई वैरायटी मिलती हैं।बरसात के दौरान करीब ढाई या तीन महीने ही यह घेवर बाजार में बनता है। इस बार 300 रुपये से लेकर 680 रुपये प्रति किलो तक घेवर मिठाई की दुकानों में बिका था। मिष्ठान विक्रेताओं के मुताबिक बाजारों में सादा, मावे वाला घेवर, मलाई, ड्राई फ्रूट और केसर आदि फ्लेवर के घेवर उपलब्ध रहते हैं।केसर का घेवर सबसे मशहूर है, इसे लोग बड़े चाव से खाते हैं।मिठाई विक्रेता विकास वर्मा के मुताबिक वैसे तो सावन में लोग घेवर की बिक्री जोरों पर रहती है लेकिन तीज त्यौहार पर इसकी डिमांड और ज्यादा बढ़ जाती है क्योंकि अधिकांश लोग इसे तीज के सिंधारे में शामिल करते है।संजीव गुप्ता

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