आतंकियों के लिए यूं ही मुफीद नहीं यूपी का यह जिला...तीन राज्यों से सटी सीमा, धार्मिक शेल्टर और भी बहुत कुछ है यहां
सहारनपुर, तीन राज्यों की सीमा से सटा होने और इस्लामिक केंद्र के कारण आतंकियों के लिए सुरक्षित ठिकाना बन गया है। फरीदाबाद मॉड्यूल के खुलासे के बाद यह बात सामने आई है कि आतंकी यहाँ ट्रांसपोर्टेशन चैनल बनाना चाहते थे। अतीत में भी आतंकियों ने इसे गलियारे के रूप में इस्तेमाल किया है। देवबंद में धार्मिक शिक्षा की आड़ में कई संदिग्धों को आश्रय मिला है, जिससे यह क्षेत्र संवेदनशील हो गया है।

सहारनपुर आतंकियों के नए लांचिंग पैड के रूप में उभरा है। (प्रतीकात्मक फोटो)
जागरण संवाददाता, सहारनपुर। डाक्टरों का फरीदाबाद माड्यूल उजागर होने के साथ ही एक बात साफ हो गई है कि धार्मिक और भौगोलिक रूप से सहारनपुर आतंकियों के लिए मुफीद है। भौगोलिक सुगमता के दृष्टिगत तीन राज्यों, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और उत्तराखंड से सटी जिले की सीमा के चलते सहारनपुर आतंकियों के नए लांचिंग पैड के रूप में उभरा है।
आतंकी डा. आदिल की गिरफ्तारी के बाद जुड़े तारों से 3,000 किलो विस्फोटक बरामद होना और दिल्ली धमाके से साफ जाहिर है कि आतंकी डाक्टरों ने दिल्ली और निकटवर्ती इलाकों में ही इस साजिश का जाल बुना था। अभी तक की जांच में यह भी साफ हो चुका है कि लाजिस्टिक और फाइनेंशियल चैनल संभालने वाले आतंकी डा. आदिल और साथियों की मंशा ट्रांसपोर्टेशन चैनल विकसित करने की थी।
ऐसे में इन्कार नहीं किया जा सकता कि अभी तक आतंकियों ने दिल्ली तक पहुंचने के लिए सहारनपुर को गलियारे के तौर पर इस्तेमाल न किया हो। जनपद में सरसावा एयरफोर्स स्टेशन के अतिरिक्त हथिनीकुंड बैराज और खारा विद्युत परियोजना है। माता शाकंभरी सिद्धपीठ, देवबंद का मां त्रिपुर बालासुंदरी मंदिर व दारुल उलूम सहारनपुर को संवेदनशील बनाते हैं।
वहीं, भौगोलिक सुगमता टेरर कारिडार के नजरिए से संवेदनशीलता और बढ़ा देते हैं। कुछ दशक पीछे जाएं तो पहले भी खालिस्तानी आतंकवाद के दौर में लखीमपुर खीरी के तराई वाले इलाके तक पहुंचने के लिए आतंकियों के सहारनपुर को गलियारे के रूप में इस्तेमाल करने की बात कानूनी दस्तावेजों में दर्ज है। गौर करें तो सहारनपुर की उत्तरी सीमा उत्तराखंड से मिलती है तो पश्चिम में हरियाणा है। पश्चिम-उत्तर सीमा पर हिमाचल प्रदेश है।
पूर्व में कई बार उजागर हुए आतंकी कनेक्शन
सहारनपुर की मिश्रित संस्कृति का फायदा आतंकियों ने कई बार उठाया है। नवंबर 1994 में लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े मौलाना मसूद अजहर को दिल्ली की तिहाड़ जेल से छुड़ाने के लिए आतंकियों ने पांच ब्रिटिश और एक आस्ट्रेलियाई नागरिक का अपहरण कर सहारनपुर के खाताखेड़ी में रखा था। इतना ही नहीं आस्ट्रेलियन नागरिक की हत्या कर फोटो सीधे पीएमओ भेज दिए थे।
दो नवंबर 1994 को साहिबाबाद थाने के इंस्पेक्टर ध्रुवलाल यादव ने सहारनपुर पुलिस के साथ आतंकियों से मुठभेड़ की। इसमें ध्रुव लाल यादव और एक सिपाही राजेश यादव शहीद हो गए थे, जबकि एक आतंकी भी मारा गया था। सभी विदेशी नागरिकों को सकुशल छुड़ा लिया गया था। इसके बाद शहर के पंजाबी बाग हकीकत नगर में पाकिस्तान के लिए जासूस करने के आरोप में शाहिद इकबाल भट्टी उर्फ देवराज सहगल को गिरफ्तार किया गया था। उसने न केवल यहां राशन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस बनवा लिया था बल्कि बाइक के लिए लोन तक ले लिया था।
अब इकबाल भट्टी की सजा पूरी हो चुकी है और उसे पाकिस्तान डिपोर्ट करने की तैयारी चल रही है। जनवरी 2010 में एटीएस-एसटीएफ ने आइएसआइ एजेंट आबिद अली उर्फ असद अली उर्फ अबू बकर उर्फ अजीत सिंह निवासी हंजरवाल, थाना ठोकर न्याजबेग लाहौर को गोपनीय दस्तावेज और रुड़की छावनी के नक्शे के साथ गिरफ्तार किया था। इसने सहारनपुर के छुटमलपुर में रहकर यह जानकारियां एकत्रित की थीं। मुंबई एटीएस के हत्थे चढ़े आतंकी रियाज, अब्दुल लतीफ के पास से सहारनपुर और मऊ के फोन नंबर मिले थे।
देवबंद में चोला बदलकर पाते रहे धार्मिक शेल्टर
दुनिया में सबसे बड़े इस्लामिक शिक्षा केंद्र देवबंद के दारुल उलूम में अन्य देशों के साथ देशभर के स्कालर तालीम हासिल करने पहुंचते हैं। असल तालीबीन की आड़ में कई बाद चोला बदलकर गलत मंसूबे रखने वालों को भी यहां धार्मिक शेल्टर मिला है। यह बात पूर्व में पकड़े गए दहशतपरस्त उजागर कर चुके हैं। वर्ष 2022 में एटीएस ने दारुल उलूम देवबंद के छात्रावास दार-ए-जदीज के कमरा नंबर-61 में रहकर अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रहे तल्हा नाम के युवक को पकड़ा था। उसके पास से बांग्लादेशी मुद्रा और पासपोर्ट की छायाप्रति भी बरामद हुई थी। फरीदाबाद माड्यूल के राजफाश के बाद छापेमारी के बाद एटीएस ने देवबंद से भी एक संदिग्ध को उठाया है।

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