Operation Sindoor : सहारनपुर में सिंदूर की खेती से किसान हो रहा मालामाल, अन्य को भी कर रहा प्रेरित
Farmer of Saharanpur preferred Sindoor Farming of Large Scale सहारनपुर जिला उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की सीमा से सटा है इसलिए यहां सिंदूर की फसल अच्छे से पैदा की जा सकती है। वैसे भी भारतीय सेना के पाकिस्तान में ऑपरेशन सिंदूर के बाद से सिंदूर की कीमत भी बढ़ी है और सिंदूर शब्द सुर्खियों में है।

डिजिटल डेस्क, सहारनपुर : महिलाओं के सुहाग की निशानी माने जाने वाले सिंदूर के लिए सेना के जवानों के साथ ही साथ अन्नदाता किसान भी बेहद गंभीर हैं। सेना के जवान सीमा पर सुहाग की रक्षा के लिए डटे रहते हैं तो किसान सिंदूर की खेती कर इसकी पहुंच आसान कर रहे हैं।
भारतीय सेना के पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर सार्थक कार्रवाई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम दिया गया। पाकिस्तान पोषित आतंकियों ने कश्मीर के पहलगाम में नरसंहार से महिलाओं की मांग के सिंदूर उजाड़ा तो भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से पाकिस्तान में छुपे सैकड़ों आतंकियों को ढेर किया। अब सहारनपुर में किसान सिंदूर की खेती कर महिलाओं इसकी पहुंच को आसान बना रहे है। यानी सिंदूर की खातिर जय जवान, जय किसान।
अन्य किसान भी इसकी खेती में जुट गए
प्रदेश के पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश में सिंदूर के पौधों की खेती से प्रभावित किसान सुधीर कुमार सैनी ने बड़े पैमाने पर इसकी फसल तैयार करना प्रारंभ किया। आम की बागवानी के लिए मशहूर सहारनपुर में सुधीर ने सिंदूर की फसल को लेकर ऐसा जुनून पैदा किया कि अन्य किसान भी इसकी खेती में जुट गए है।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद से सिंदूर की अहमियत भी बढ़ी
सहारनपुर का मौसम भी सिंदूर की फसल के लिए अच्छा है। सिंदूर भारत में हिमाचल प्रदेश और महाराष्ट्र के कुछ इलाकों में होता है। यह दक्षिण अमेरिका और कुछ एशियाई देशों में भी पाया जाता है। सहारनपुर जिला ताे उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की सीमा से सटा है, इसलिए यहां सिंदूर की फसल अच्छे से पैदा की जा सकती है। वैसे भी भारतीय सेना के पाकिस्तान में ऑपरेशन सिंदूर के बाद से सिंदूर की कीमत भी बढ़ी है और सिंदूर शब्द सुर्खियों में है।
कीमत 500 रुपये प्रति किलो से अधिक
सिंदूर का पौधा दक्षिण अमेरिका और कुछ एशियाई देशों में उगाया जाता है। भारत में हिमाचल और महाराष्ट्र के कुछ इलाकों में ही यह मिलता है। सिंदूर का पौधा आसानी से देखने को नहीं मिलता। इसके छोटे वृक्ष से एक बार में एक से डेढ़ किलो सिंदूर फल निकलता है। इसकी कीमत 500 रुपये प्रति किलो से अधिक होती है और वृक्ष 50 फीट ऊंचा होता है। सिंदूर के फल से बीजों को निकालकर प्राकृतिक सिंदूर तैयार किया जाता है। सिंदूर के पेड़ पर फल गुच्छों के रूप में लगते हैं। फल हरे रंग का होता है और बाद में लाल रंग में बदल जाता है।
सिंदूर की खेती को बढ़ाएंगे
सहारनपुर के गांव खुशहालीपुर के रहने सुधीर कुमार सैनी आने वाले समय में वे सिंदूर की खेती को बढ़ाएंगे। दूसरे किसानों को भी सिंदूर के पौधे उपलब्ध करा रहे हैं। उन्होंने बाहर से मंगाकर सिंदूर के कुछ पौधे लगाए हैं। ये सहारनपुर में नहीं मिलते हैं, लेकिन यहां का तापमान सिंदूर की खेती के लिए काफी अच्छा है। सुधीर कुमार ने ट्रॉयल के रूप में कुछ पौधे लगाए हैं, उनका प्रयोग सफल रहा तो खेती को वृहद स्तर पर करेंगे। सिंदूर के एक बड़े पेड़ पर करीब 50 किलो तक सिंदूर का फल आता है। पौधा व्यापारिक रूप में काफी फायदेमंद है। बाजार में तो मिलावटी सिंदूर मिलता है, जबकि सिंदूर के पेड़ों से सौ प्रतिशत प्राकृतिक सिंदूर तैयार होता है। सुधीर कुमार अब तो सिंदूर के पौधे भी तैयार कर बेच रहे हैं।
कम लोग ही जानते हैं कि सिंदूर का पौधा भी होता
पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय सेना के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद से सिंदूर शब्द काफी चर्चा में है। हर हिंदू सुहागिन के पास सिंदूर जरूर होता है। सिंदूर हर गांव और गली-मोहल्ले में आसानी से मिलता है। अधिकांश जगह सिंदूर चूना, हल्दी और मर्करी को मिलाने से बनता है, लेकिन कम लोग ही जानते हैं कि सिंदूर का पौधा भी होता है। इसको कुमकुम ट्री या केमिलर ट्री कहते हैं। इसके फल से पाउडर और लिक्विड फॉर्म में सिंदूर जैसा लाल डाई बनता है।
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