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    अब सहारनपुर में कुत्तों के झुंड ने घर के बाहर खेल रहे बच्चे को नोच-नोचकर मार डाला

    By Ashish MishraEdited By:
    Updated: Sun, 05 Aug 2018 08:43 AM (IST)

    मोहल्ले के आवारा कुत्तों के झुंड ने उसे घेर लिया और उस पर हमला बोल दिया। तीन-चार कुत्तों ने कुछ ही देर में बच्चे को नोच-नोचकर बुरी तरह जख्मी कर दिया।

    अब सहारनपुर में कुत्तों के झुंड ने घर के बाहर खेल रहे बच्चे को नोच-नोचकर मार डाला

    सहारनपुर (जेएनएन)। आवारा कुत्तों का आतंक जारी है। शनिवार को कुत्तों ने एक मासूम को मौत के घाट उतार दिया। कोतवाली देहात क्षेत्र के गांव शेखपुरा निवासी इफ्तखार का छह साल का बेटा फहीम शाम को घर के बाहर खेल रहा था। परिजन अंदर थे। इसी दौरान मोहल्ले के आवारा कुत्तों के झुंड ने उसे घेर लिया और उस पर हमला बोल दिया।

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    तीन-चार कुत्तों ने कुछ ही देर में बच्चे को नोच-नोचकर बुरी तरह जख्मी कर दिया। बच्चे की चीख सुनकर परिजनों के साथ मोहल्लेवासी भी दौड़कर मौके पर पहुंचे। उन्होंने मशक्कत के बाद कुत्तों को खदेड़ा। कुत्तों ने तब तक बच्चे के मुंह और गर्दन आदि हिस्सों पर काटकर बुरी तरह लहूलुहान कर दिया था।

    परिजन जख्मी मासूम को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे। करीब तीस मिनट बाद उपचार के दौरान बच्चे ने दम तोड़ दिया। फहीम की मौत की खबर से गांव में मातम छाया हुआ है। कोतवाल पवन चौधरी ने बताया कि परिजनों ने पोस्टमार्टम नहीं कराने का अनुरोध किया। इसके बाद परिजन बच्चे के शव को लेकर घर चले गए।

    बताते चलें कि सीतापुर में कुत्तों ने दो दर्जन से अधिक बच्चों को अपना निशाना बनाया था जिसमें कई बच्चों की मौत हो चुकी है। सीतापुर के खैराबाद इलाके में कुत्तों का आतंक इस कदर हावी है कि लोग अपना सारा काम छोड़कर कुत्तों को मार रहे हैं। बच्चे अपनी सुरक्षा के लिए लाठी और डंडा लेकर स्कूल जा रहे हैं। कुत्ते अब तक 40-50 बच्चों को निशाना बना चुके हैं। वहीं, प्रशासन ने कुत्तों को पकड़ने के लिए मथुरा से रक्षा कवच मंगाया है। यह रक्षा कवच कुत्तों को पकड़ने वाली टीम है। हर रोज सुबह से ही टीम अपना काम शुरू कर देती है। एक्सपर्टों की मानें तो पकड़े गए कुत्तों में कई वही आदमखोर हैं जिन्होंने हाल ही के दिनों में मासूम बच्चों को अपना निवाला बनाया था।

    क्षेत्र में आदमखोर कुत्तों ने आतंक मचा रखा है। अब तक ये कुत्ते 40-50 बच्चों को अपना निवाला बना चुके हैं। जब लगातार इन कुत्तों के झुंड ने बच्चों को अपना निवाला बनाया तो लोगों के सब्र का बांध टूट गया। क्षेत्र के सैकड़ों ग्रामीण आक्रोशित होकर कुत्तों के पीछे ही पड़ गए। मामले में चारों तरफ से अपनी किरकिरी होते देख प्रशासन ने नौ मौतों को माना और बाद में हरकत में आया। नतीजा आननफानन में मथुरा जिले से एक्सपर्ट टीम सीतापुर बुलाकर कुत्ते पकड़वाये गये। 

    एक तरफ जहां प्रशासन द्वारा बुलाई गई टीम आदमखोर कुत्तों को तलाशकर उन्हें कैद कर रही, वहीं दूसरी तरफ क्षेत्र के बाशिंदों का आक्रोश कुत्तों पर कहर बनकर टूट रहा है। आक्रोशित ग्रामीण खुद भी पूरे क्षेत्र में सर्च अभियान चला रहे हैं। इसमें बस कुत्तों को खोजो और मारों की आवाज गूंजती रही।

    यहां के बद्री खेड़ा, कोलिया, महेशपुर, पहाड़पुर, रहिमाबाद, गुरपलिया, नेवादा, टिकरिया, जैनापुर, जैती खेड़ा, कस्बा खैराबाद, लड्डूपुर आदि गांवों के सैकड़ों ग्रामीण अपना दैनिक काम छोड़कर आदमखोरों की तलाश में जुट गए हैं। हालत यह है कि खेत, बाग, तालाब हर तरफ लोग कुत्तों को तलाशते और उन्हें मौत के घाट उतारते नजर आए।

    पसंद का खाना ना मिलने से आदमखोर हो रहे कुत्ते

    भारतीय पशु विज्ञान संस्थान (आईवीआरआई) के निदेशक डॉक्टर आरके सिंह ने सीतापुर में कुत्तों के आदमखोर होने के कारणों के बारे में पूछे जाने पर बताया, ‘पहले बूचड़खाने चलते थे, तो कुत्तों को जानवरों के बचे-खुचे अवशेष खाने को मिल जाया करते थे। अब बूचड़खाने बंद हो गए। जो लोग मांसाहार का सेवन करते हैं वे पशुओं की हड्डियां खुले में फेंकने से परहेज करते हैं। इन कारणों के चलते धीरे-धीरे कुत्तों के भोजन में कमी आ गई, इसीलिए यह दिक्कत हो रही है।

    उन्होंने कहा कि मांस और हड्डियां खाना कुत्तों की आदत हो चुकी है। से बदलने में वक्त लगेगा। कुछ घर का बचा खाना पाने लगेंगे तो चीजें धीरे-धीरे ठीक हो जाएंगी। सिंह कहते हैं, ‘मैंने अभी तक जितना अध्ययन किया है, तो कुत्तों में पहले इस तरह के व्यवहार सम्बंधी बदलाव पहले नहीं देखे। उन्होंने कहा कि इससे पहले कुत्तों के इस कदर आक्रामक होने की बात सामने नहीं आई थी।हालांकि सीतापुर में हमलावर कुत्तों को आदमखोर कहना सही नहीं होगा। ह मुख्यतः ‘ह्यूमन एनिमल कॉन्फ्लिक्ट’ का मामला है.

    अनूप गौतम ने बताया कि मुख्यतः भोजन की कमी की वजह से ही कुत्तों में शिकार की प्रवृत्ति बढ़ी है। बात यह भी कि खानाबदोश लोग आमतौर पर कुत्तों को जानवरों के शिकार के लिए पालते हैं।वह खुद भी मांसाहार खाते हैं और कुत्तों को भी मांस खिलाते हैं।अब उनके लिए भोजन की कमी हो गई है।प्रबल आशंका है कि घुमंतू लोगों ने ही उन कुत्तों को छोड़ा हो।

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