जातीय हिंसा से क्षितिज पर उभरी भीम आर्मी में रावण परिवार का दखल खत्म
जातीय हिंसा के बाद चर्चा में आई भीम आर्मी के संस्थापक चन्द्रशेखर आजाद उर्फ रावण के किसी भी परिजन का संगठन में अब कोई दखल नहीं होगा।
सहारनपुर (जेएनएन)। जातीय हिंसा के बाद चर्चा में आई भीम आर्मी के संस्थापक चन्द्रशेखर आजाद उर्फ रावण के किसी भी परिजन का संगठन में अब कोई दखल नहीं होगा। संगठन के किसी भी कार्यक्रम या बैठक में भी राजनीतिक दलों का हस्तक्षेप नहीं होगा। माना जा रहा है कि निगाहें संगठन समेत कई समर्थकों के उंगली उठाने के बाद खुद रावण ने विवादों से बचने के लिए आर्मी से अपने परिवार को अलग करना मुनासिब समझा। दरअसल रावण के जेल जाने के बाद से ही उसकी मां और भाई आंदोलन को लीड कर रहे थे। यहां तक कि जंतर मंतर पर प्रदर्शन के दौरान भी रावण के परिवार का ही दबदबा रहा।
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किसी कार्यक्रम में आर्मी भाग नहीं लेगी
भीम आर्मी उत्तराखंड के प्रभारी महक सिंह ने जागरण को फोन पर यह जानकारी दी। रावण के निर्देश पर ही उनके परिवार का आर्मी में किसी भी तरह का दखल खत्म कर दिया गया है। रावण की मां कमलेश, बड़ा भाई भगत व बहन पूनम आर्मी के सदस्य नहीं हैं। छोटा भाई कमल किशोर सदस्य है, पर उसे भी हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। तय हुआ है कि अब किसी भी दल के नेताओं के कहने पर किसी कार्यक्रम में आर्मी भाग नहीं लेगी। जेल में बंद कार्यकर्ताओं की रिहाई होने तक भी कोई बड़ा आन्दोलन नहीं होगा।
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नहीं भीम आर्मी का पंजीकरण
महक सिंह ने बताया कि भीम आर्मी का कहीं कोई पंजीकरण नहीं है। सदस्यता शुल्क भी जीरो है। बहुजन समाज में शैक्षिक और सांस्कृतिक बदलाव के लिए 7 जुलाई 2015 को भीम आर्मी की स्थापना हुई। प्रचार की शुरुआत वाट्सएप ग्रुप से हुई, जिसमें दलित ङ्क्षचतक और समर्थक जुड़े हुए थे। अब फेसबुक, ट्विटर और वाट्सएप पर हजारों दलित और पिछड़े वर्ग के युवा जुड़ चुके हैं। उधर छुटमलपुर स्थित अपने आवास पर कमलेश ने कहा कि वह अपने बेटे रावण पर किसी भी नेता की छाया नहीं पडऩे देगी। दो दिन पहले जेल में मुलाकात के दौरान बेटे ने कहा कि सभी कार्यकर्ताओं की रिहाई होने तक मेरी जमानत अर्जी न डाली जाए। भाई भगत सिंह ने 18 जून के जंतर मंतर प्रदर्शन में सतपाल तंवर द्वारा अवैध धन उगाही के आरोप को निराधार बताया।
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वीडियो कांफ्रेसिंग से सुनवाई
अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट ने हिंसा के मुख्य आरोपी रावण की न्यायिक हिरासत अवधि बढ़ा दी है। सुरक्षा की वजह से 25 जून को जेल में वीडियो कांफ्रेसिंग से सुनवाई होगी। रावण की गिरफ्तारी पर निगाहें संगठन के अध्यक्ष सतपाल तंवर ने सूचना अधिकार अधिनियम के तहत पुलिस से जानकारी मांगी है कि क्या डलहौजी से गिरफ्तारी के दौरान चन्द्रशेखर के साथ कोई गर्ल फ्रेंड भी थी, यदि हां, तो उसका नाम-पता बताएं। लोकेशन कैसे मिली आदि 21 बिन्दुओं पर जानकारी मांगी हैं।
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राष्ट्रीय शोषित परिषद का विंग भीम आर्मी
आज भीम आर्मी के संरक्षक व राष्ट्रीय शोषित परिषद के अध्यक्ष जयभगवान जाटव जिला कारागार पहुंचे लेकिन रावण से मुलाकात नही हो सकी। जागरण से बातचीत में उन्होंने दावा किया कि भीम आर्मी उनकी ही परिषद का विंग हैं, इसलिए चन्द्रशेखर को अलग से अपना संगठन पंजीकृत कराने की आवश्यकता नहीं थी। 8 जुलाई 2015 को चन्द्रशेखर को उन्होंने संगठन की नींव रखने की अनुमति दी थी। दिसम्बर 2017 तक भीम आर्मी के देश में 50 लाख से अधिक सदस्य बनाए जाएंगे। विदेशों में भी यह संगठन सक्रिय है। पांच मई को हुई शब्बीरपुर की जातीय हिंसा के 50 दिन बाद भी आगजनी के शिकार दलित मुआवजे के लिए अनशन करेंगे। चेतावनी दी है कि तीन दिन में मुआवजा नहीं मिला तो वे डीएम आफिस पर भूख हड़ताल करेंगे।