9वीं में स्कूल छोड़ने वाली लड़की एप बनाकर दुनिया में हुई मशहूर
सहारनपुर : 9वीं में स्कूल छोड़ने वाली सहारनपुर की 16 वर्षीय हर्षिता अरोड़ा ने दुनियाभर
सहारनपुर : 9वीं में स्कूल छोड़ने वाली सहारनपुर की 16 वर्षीय हर्षिता अरोड़ा ने दुनियाभर में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। उसने एप्पल आइओएस के लिए क्रिप्टो करेंसी प्राइस ट्रैकर एप बनाया है। 28 जनवरी को लांच हुआ यह एप दुनियाभर में एप्पल फोन यूजर्स के बीच काफी प्रचलित हो चुका है।
अपनी इकलौती बेटी की कामयाबी पर सहारनपुर के अहमद बाग निवासी व्यवसायी रविन्द्र ¨सह अरोड़ा और जस¨वदर कौर की खुशी का कोई ठिकाना नहीं है। दादा एडवोकेट पीएस अरोड़ा और दादी दादी हरबंस कौर भी गौरवान्वित हैं। हर्षिता ने प्राथमिक शिक्षा एथेनिया स्कूल व पाइनहाल स्कूल से पूरी की। इसके बाद पाइनवुड स्कूल में दाखिला लिया। वर्ष-2016 में कक्षा-8 उत्तीर्ण करने के बाद कक्षा-9 में एडमिशन लिया था। विज्ञान-गणित के साथ सामाजिक विज्ञान सहित कई विषयों की पढ़ाई वह नहीं कर पा रही थी। हर्षिता का कहना है कि 8वीं में उसके कंप्यूटर टीचर ने तकनीक की अद्भुत दुनिया से उसका परिचय कराया। इसके बाद उसने अपनी जिंदगी का अलग मकसद तय कर लिया। 9वीं में जो पढ़ना चाहती थी, वह कोर्स में शामिल ही नहीं था। उसने स्कूल छोड़ दिया और सेल्फ स्टडी शुरू कर दी। 14 से 16 घंटे वह कंप्यूटर पर बिताने लगी।
कंप्यूटर-इंटरनेट से दोस्ती
कई ऑनलाइन टेस्ट देने के बाद वर्ष-2016 में बंगलुरु की सेल्फ फोर्स कंपनी में हर्षिता को इंटर्नशिप मिली। इसके बाद वह अमेरिका चली गई। मैसचुएट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में तीन माह का समर प्रोग्राम करने के बाद सितंबर-2017 में भारत आ गई। अमेरिका में मिली मदद के चलते ही भारत लौटने के तीन महीने बाद ही उसने क्रिप्टो करेंसी प्राइस ट्रेकर एप बना दिया। 28 जनवरी को क्रिप्टो एप की लां¨चग एप्पल आइओएस पर की गई। यह एक पेड एप है। डाउनलोड करने पर एक डालर का खर्च होता है। अब तक 1800 यूजर डाउनलोड कर चुके हैं। इस एप में दुनिया की एक हजार करेंसी की प्राइस 24 घंटे अपडेट रहती है। अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन सहित यूरोपीय देशों में यह एप काफी प्रचलित है। हर्षिता ने बताया कि क्रिप्टो करेंसी के बारे में उसे 2016 में पता चला था। इसके बाद उसने क्रिप्टो करेंसी के बारे में बहुत कुछ पढ़ा। हालांकि यह सब उसके लिए आसान नहीं था। जब आइओएस पर एप लांच किया तो तमाम लोगों ने शक की निगाह से देखा। वे लोग सोचते थे कि एक 16 साल की लड़की कैसे इतना बड़ा काम कर सकती है। एप बनाने के सिद्धांत को चोरी करने का आरोप भी झेलना पड़ा। 13 साल की उम्र से ही उसने आइटी मैग्जीन पढ़ना शुरू कर दिया था। एप के बारे में अपने ऑनलाइन दोस्तों से भी राय ली। टेक्नोलॉजी फर्म आर्टीफेक्स नालेज से उसे काफी मदद मिली।
हर्षिता का अगला कदम फूड एप
हर्षिता अब फूड एप बनाने की ओर कदम बढ़ा रही है। उसका कहना था कि हालांकि कई फूड एप बाजार में हैं, लेकिन उसका एप सबसे अलग होगा। एप में फूड की फोटोग्राफ के साथ ही उसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व शरीर के लिए कैसे और कितने लाभकारी होंगे। किस गंभीर बीमारी में कौन से तत्व हानिकारक हो सकते है, आदि की भी जानकारी मिलेगी। यह एक फ्री-एप होगा। इस एप को बनाने में वह अपने मित्र हर्षदीप की मदद ले रही है।
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