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    Saharanpur News: श्री शाकंभरी कान्हा उपवन गोशाला में लगेगा गोबर से पेंट बनाने का प्रदेश का पहला प्लांट

    By Prem Dutt BhattEdited By:
    Updated: Sat, 15 Oct 2022 11:17 AM (IST)

    Paint from cow dung वैज्ञानिक मान्यता पर अमल करते हुए सहारनपुर नगर निगम गोबर से पेंट बनाने की फैक्ट्री लगाने जा रहा है। श्री शाकंभरी कान्हा उपवन गोशाला में करीब 90 लाख की लागत से पेंट बनाने का प्रोजेक्ट शुरू होगा। तैयारियां की जा रही हैं।

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    Saharnpur News सहारनपुर नगर निगम गोबर से पेंट बनाने का प्‍लांट लगाने जा रहा है।

    बृजमोहन मोगा, सहारनपुर। Paint from cow dung वैदिक संस्कृति में गाय के गोबर का लेपन पारिवारिक अनुष्ठानों के लिए शुभ होने के साथ ही जीवाणु एवं विषाणुरोधी भी माना जाता है। अब इसी वैज्ञानिक मान्यता पर अमल करते हुए नगर निगम गोबर से पेंट बनाने की फैक्ट्री लगाने जा रहा है। श्री शाकंभरी कान्हा उपवन गोशाला में करीब 90 लाख की लागत से पेंट बनाने का प्रोजेक्ट शुरू होगा, जो प्रदेश में अपनी तरह का पहला प्रयास है। इसे नंदीशाला नाम दिया गया है।

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    कान्हा गोशाला में बन चुके हैं दर्जनों उत्पाद

    सहारनपुर नगर निगम द्वारा संचालित श्री शाकंभरी कान्हा उपवन गोशाला अपने अभिनव प्रयोगों के लिए चर्चित है। गोबर से बायोगैस प्लांट, दीपावली पर दीया, वर्मी कंपोस्ट, रक्षाबंधन पर राखी, हवन की लकड़ी, धूपबत्ती, ओम, स्वास्तिक, गो-फिनाइल बनाया जा रहा है। गोशाला का कार्य देख रहे पशु कल्याण अधिकारी नगर निगम के डा. संदीप मिश्रा ने बताया कि गोबर से पेंट बनाने की फैक्ट्री का डीपीआर बन चुका है। नगर आयुक्त ने इस प्रोजेक्ट को बारीकी से परखा है।

    इन्हें मिलाकर बनेगा पेंट

    गोबर

    चूना

    टाइटेनियम डाईआक्साइड– सफेदी बढ़ाने के लिए

    सोडियम हाईड्रोक्साइड

    हाईड्रोजन पेरोक्साइड

    पेंट बाईंडर

    अलसी का तेल– केवल इमल्शन पेंट बनाने के लिए

    पिगमेंट कलर

    थिनर

    एडिटिव्स

    जयपुर में ले रहे प्रशिक्षण

    गोबर से पेंट बनाने का प्रशिक्षण कुमारप्पा नेशनल हैंडमेड पेपर इंस्टीटयूट, जयपुर में दिया जाता है। यहां के वैज्ञानिक गाय के गोबर से पेंट बना चुके हैं। नगर निगम की टीम जयपुर में प्राकृतिक पेंट बनाने का प्रशिक्षण ले रही है।

    ऐसे बनाया जाएगा गोबर से पेंट

    गाय के गोबर को बारीक कर गोबर और पानी को अलग-अलग रिफाइन करते हैं। रिफाइनरी से प्राप्त तरल को साफ करने के लिए ब्लीच (सोडियम हाईड्रोक्साइड और हाईड्रोजन पेरोक्साइड) का प्रयोग किया जाता है। इससे प्राप्त तरल को सीएमसी कहते हैं, जो कि किसी भी तरह का पेंट बनाने के लिए सबसे प्रमुख घटक होता है। सीएमसी में चूना व 100 ग्राम टाइटेनियम डाई आक्साइड को मिलाया जाता है।

    आकर्षक डिब्बों में पैक

    तैयार मिश्रण में पेंट बाईंडर, हाईड्रोक्सीएथिल सैलूलोज व सोडियम बेंजोएट मिलाते हैं। इससे प्राप्त तरल डिस्टेंपर होता है। अंतिम पड़ाव में पेंट को आकर्षक डिब्बों में पैक कर दिया जाता है। यह डिस्टेंपर सफेद रंग का होता है, जिसे सीधे अथवा इच्छानुसार किसी भी रंग का बनाकर बाजार में बिक्री के लिए भेजा जा सकता है।

    इनका कहना है....

    गोबर का लेप या उपचार पुरानी भारतीय परंपरा है। यह पेंट पर्यावरण के अनुकूल होगा। गाय का गोबर कच्चे माल के तौर पर प्रयोग होगा। इसे वैज्ञानिक रूप से संशोधित कर डिस्टेंपर और अन्य पेंट बनाए जाएंगे। दीवार पर पेंट मात्र चार घंटे में सूख जाएगा। डीपीआर बनाई जा चुकी है।

    - गजल भारद्वाज, नगर आयुक्त, सहारनपुर