दारुल उलूम का फतवाः शियों की इफ्तार पार्टी से परहेज करें सुन्नी, शादी दावत भी खाने से बचें
दारुल उलूम ने फतवा दिया है कि सुन्नी समाज के लोगों को शियाओं के यहां होने वाली इफ्तार पार्टी समेत किसी भी दावत में शरीक होने से परहेज करना चाहिए।
सहारनपुर (जेएनएन)। शिया और सुन्नी समाज में विचारों को लेकर मतभेद की खबरें अक्सर सुनने को मिलती हैं। अब दारुल उलूम देवबंद ने अपने ताजा फतवे के जरिए इस मतभेद को और भी हवा दे दी है। दारुल उलूम ने फतवा दिया कि सुन्नी समाज के लोगों को शियाओं के यहां होने वाली इफ्तार पार्टी समेत किसी भी दावत में शरीक होने से परहेज करना चाहिए।
दारुल उलूम खंडपीठ की सलाह
मोहल्ला बड़जियाउलहक निवासी सिकंदर अली ने दारुल उलूम के इफ्ता विभाग से सवाल किया था कि शिया हजरात की इफ्तार और ब्याह-शादी की दावतों में सुन्नी मुसलमानों का जाना जायज है? दारुल उलूम के मुफ्तियों की खंडपीठ ने सवाल के जवाब में सुन्नी मुसलमानों से शियों के यहां रोजा इफ्तार पार्टी में जाने से परहेज करने की सलाह दी। फतवे में कहा गया कि दावत चाहे इफ्तार की हो या ब्याह शादी की। शियो की दावत में सुन्नियों को खाने-पीने से परहेज करना चाहिए।
जायज या नाजायज का जिक्र नहीं
देवबंद स्थित दारुल उलूम मुफ्तियों की खंडपीठ के इस फतवे की खासियत यह कि इसमें इफ्तार और ब्याह-शादी की दावतों में खाना जायज या नाजायज होने का कोई जिक्र नहीं है। सिर्फ खाने-पीने से परहेज करने की सलाह जरूर दी गई है।
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