Move to Jagran APP

गजवा-ए-हिंद पर दिया फतवा सही, कार्रवाई हुई तो जाएंगे अदालत: दारुल उलूम

दारुल उलूम की वेबसाइट पर गजवा-ए-हिंद को वैध बताने वाले फतवे पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने घोर आपत्ति जताई थी। आयोग ने डीएम व एसएसपी को संस्था के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने को कहा था। अधिकारियों ने दारुल उलूम पहुंचकर पूरे मामले में जानकारी ली थी। बाद में संस्था ने अपना स्पष्टीकरण देते हुए फतवे को नौ साल पुराना बताया था।

By Jagran News Edited By: Vinay Saxena Published: Thu, 29 Feb 2024 08:47 PM (IST)Updated: Thu, 29 Feb 2024 08:47 PM (IST)
मजलिस-ए-शूरा की बैठक में सदस्यों ने गजवा-ए-हिंद पर दिए फतवे को ठहराया सही।

जागरण संवाददाता, देवबंद (सहारनपुर)। दारुल उलूम की सुप्रीम पावर कमेटी मजलिस-ए-शूरा की बैठक में सदस्यों ने गजवा-ए-हिंद पर दिए फतवे को सही ठहराया है। उन्होंने कहा कि अगर किसी तरह की कोई कार्रवाई दारुल उलूम पर होती है तो संस्था अदालत का रुख करेगी। इतना ही नहीं संस्था की वेबसाइट को बंद नहीं किया जाएगा। पहले की तरह ऑनलाइन फतवे दिए जाते रहेंगे। संस्था द्वारा प्रशासन को दिए जवाब पर भी शूरा सदस्यों ने संतुष्टि जताई। बैठक में शिक्षकों के वेतन में बढ़ोतरी किए जाने समेत कई प्रस्तावों पर मुहर लगी।

loksabha election banner

दारुल उलूम के अतिथिगृह में बुधवार से शुरू शूरा की दो दिवसीय बैठक में सदस्यों ने संस्था से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नौमानी ने बताया कि गजवा-ए-हिंद पर दिए फतवे के मामले में भविष्य में कोई भी कार्रवाई हुई तो उसका कानूनी रूप से जवाब दिया जाएगा।

बताया कि बैठक में शिक्षकों के वेतन में बढ़ोतरी करने और छात्रों की कक्षाओं में उपस्थिति शत-प्रतिशत कराने के लिए सख्त नियम बनाने की बात कही है और एक निर्धारित सीमा से अधिक अनुपस्थित रहने वाले छात्रों को परीक्षाओं में शामिल न किए जाने का फैसला किया गया है।

यह था फतवे का मामला

दारुल उलूम की वेबसाइट पर गजवा-ए-हिंद को वैध बताने वाले फतवे पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने घोर आपत्ति जताई थी। आयोग ने डीएम व एसएसपी को संस्था के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने को कहा था। अधिकारियों ने दारुल उलूम पहुंचकर पूरे मामले में जानकारी ली थी। बाद में संस्था ने अपना स्पष्टीकरण देते हुए फतवे को नौ साल पुराना बताया था।

जवाब में संस्था ने कहा था कि उक्त फतवा वर्ष 2015 में दिया गया था और यह एक किताब में दी गई हदीस के हवाले से एक शख्स द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में दिया गया था। डीएम डा. दिनेश चंद्र ने बताया कि फतवा प्रकरण में जिला प्रशासन ने अपनी प्राथमिक जांच रिपोर्ट राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को भेज दी है। आयोग के निर्देशों के मुताबिक आगे की कार्रवाई की जाएगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.