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    सॉरी बच्चों! यहां बेजुबां गाय की चिता है लेकिन तुम्हारी नहीं..

    By JagranEdited By:
    Updated: Wed, 26 Jun 2019 06:29 AM (IST)

    जिले में करोड़ों की लागत से बेजुबां गाय को रखने के लिए कान्हा उपवन का निर्माण चल रहा है। इतना ही नहीं गाय के चारे के लिए पहली बार यूपी सरकार ने अपने बजट में अलग से व्यवस्था तो की है।

    सॉरी बच्चों! यहां बेजुबां गाय की चिता है लेकिन तुम्हारी नहीं..

    जेएनएन, सहारनपुर। जिले में करोड़ों की लागत से बेजुबां गाय को रखने के लिए कान्हा उपवन का निर्माण चल रहा है। इतना ही नहीं गाय के चारे के लिए पहली बार यूपी सरकार ने अपने बजट में अलग से व्यवस्था तो की है, लेकिन आदमखोर कुत्तों के आतंक को खत्म करने के लिए न तो सरकारी मशीनरी कुछ करने को तैयार है और न ही इसके खिलाफ जनता सड़क पर उतरने को। नतीजा यह है कि मात्र एक साल में महिला सहित 15 बच्चे आदमखोर कुत्तों का निवाला बन चुके हैं।

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    मंगलवार सुबह दयालपुर में महज तीन माह के अभिमन्यु की घटना ने सभी के रोंगटे खड़े कर दिए। जंगल में आग की तरह सोशल मीडिया पर यह खबर फैली तो गांव-देहात ही नहीं शहर में भी अभिभावक सचेत हो गए। छोटे बच्चों को घरों से बाहर निकलने नहीं दे रहे, क्योंकि आज भी हर गली-मोहल्ले में आवारा कुत्तों का ठिकाना है। अपनी सुरक्षा अपने हाथ के स्लोगन पर कुछ परिवार तो अपनी व्यवस्था स्वयं कर रहे हैं लेकिन लापरवाह सिस्टम को इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। इतना ही नहीं अभिमन्यु के साथ हुई इतनी खौफनाक घटना के बाद न तो कोई सरकारी अफसर इनके घर पहुंचा और न ही कोई जनप्रतिनिधि। हां इतना जरूर है कि सोशल मीडिया पर चल रही अभिमन्यु की खबर को पढ़ कर आमशहरी ओ-माई-गॉड जरूर बोल रहे हैं..। आदमखोर कुत्तों ने पिछले एक साल में महिला सहित 15 से ज्यादा बच्चों अपना निवाला बना लिया है। कुछ लोग आदमखोर हो रहे कुत्तों के लिए कमेले पर बंद हुए अवैध कटान को भी जिम्मेदार मान रहे हैं।

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    स्लाटर हाउस व मांस की बंद दुकान भी वजह

    योगी सरकार में नियम विरुद्ध चल रहे स्लाटर हाऊस व मांस की दुकानों को बंद किया गया था। कुत्तों के आदमखोर होने की एक बड़ी वजह यह भी है क्योंकि पूर्व में इन्हीं दुकान से निकलने वाले मांस से कुत्ते अपना पेट भरते थे, लेकिन अब यह सब कुछ बंद है। इसी वजह से कुत्ते घर के बाहर खेल रहे मासूम बच्चों को अपना शिकार बना रहे हैं।

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    एक साथ तीन बच्चों को नोच खाया था

    पिछले महीने 19 मई को गंगोह में चार साल के आरव को भी कुत्तों ने नोच कर मौत के घाट उतार दिया था। इससे पहले करीब सात साल पूर्व गांगोह के गांव धानवा में आदमखोर कुत्तों ने ऐसे हमले से सड़क पर खेल रहे छह बच्चों को नोच खाया था। इनमें से तीन की मौत हो गई थी। घटना के बाद पूरा गांव सहम गया था। इक्का-दुक्का दिन कुत्तों को पकड़ने का काम भी चला मगर फिर सब पहले की तरह हो गया।

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    नगर निगम ने चलाया था नसबंदी अभियान

    चंद महीने पहले नगर निगम ने आवारा कुत्तों को पकड़-पकड़ कर उनकी नसबंदी करने का अभियान चलाया था। अभियान में निगम ने नौ लाख रुपये से ज्यादा का बजट खर्च किया था, लेकिन स्थिति ढाक के तीन पात जैसी ही रही। आवारा कुत्तों का आतंक आज भी बरकरार है। हर गली-मोहल्ले में कुत्तों का झुंड देखा जा सकता है।

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    कुत्तों द्वारा की गई घटनाएं

    - 19 मई को गंगोह में चार साल के आरव को कुत्तों ने नोंच कर उतारा था मौत के घाट।

    - 11 महीने पहले रामपुर मनिहारन में कुत्तों के झुंड ने दो दर्जन से अधिक भेड़ों के झुंड पर हमला बोल दिया था।

    - 10 महीने पहले बेहट के गांव दयालपुर में संजय सैनी की नौ माह की बच्ची सिद्धांती को गली के आवारा कुत्ते घर के अंदर से खींच कर ले गए और पास के ही खेत में नोच खाया।

    - बीते साल गंगोह से सटे गांव लखनौती में महिला सफाईकर्मी बालादेवी पर कुत्तों ने हमला किया और काट-काट कर मौत के घाट उतार दिया था।

    - फरवरी 2018 में मल्हीपुर रोड पर दो साल की बच्ची को कुत्तों ने नोच खाया।

    - बीती अप्रैल 2018 में मोहल्ला नूरबस्ती निवासी कलीम की दस साल की बेटी इशा को भी आवारा कुत्तों ने अपना निवाला बना लिया।

    - चिलकाना के गांव शाहपुर दाउद में कुत्तों के झुंड ने आस मोहम्मद को बुरी तरह से काटा, जिसने अस्पताल में दम तोड़ दिया था।

    - चिलकाना के पठेड़ में 8 साल के कन्हैया व उसकी 12 साल की बहन नैनसी को आवारा कुत्तों ने घेर लिया। बच्ची भाग गई लेकिन कन्हैया को कुत्तों ने उसे बुरी तरह से नोच खाया।

    - मिर्जापुर में 12 साल के बच्चे को कुत्तों ने निवाला बना लिया था।

    - गांव सड़क दूधली में तीन वर्षीय मुहम्मद इब्राहीम को उसके घर के बाहर ही कुत्तों ने नोच डाला। ----

    इनका कहना है..

    कुत्तों को पकड़ने का अभियान जल्द ही शुरू किया जाएगा, ताकि उन्हें पकड़ कर जंगल में छुड़वाया जा सके। जरूरत पड़ी तो एक बार फिर कुत्तों की नसबंदी का अभियान चलाया जाएगा, ताकि यह और कुत्ते पैदा ही नहीं कर सकें।

    -एसबी सिंह, एडीएम प्रशासन।