घरों में ही करें मां की आराधना
बेहट में हिदू धर्म में माना जाता है कि जब भी मानवता पर कोई संकट आया तो कोई देवी-देवता किसी भी रूप में आकर दैत्य रूपी परेशानी का नाश करते हैं। पुराणों के अनुसार मां भगवती ने देवताओं की भी रक्षा की है।
सहारनपुर, जेएनएन। बेहट में हिदू धर्म में माना जाता है कि जब भी मानवता पर कोई संकट आया तो कोई देवी-देवता किसी भी रूप में आकर दैत्य रूपी परेशानी का नाश करते हैं। पुराणों के अनुसार मां भगवती ने देवताओं की भी रक्षा की है।
आज मंगलवार से चैत्र नवरात्र शुरू हो रहे हैं। ऐसे में भक्तों को अटूट विश्वास है कि इस नवरात्र में मां शाकंभरी कोरोना की विपदा को हर लेंगी और मनुष्य को राहत प्रदान कराएंगी। संकट की इस घड़ी में श्रद्धालु नौ दिनों में अपने घरों में ही मां की आराधना करें।
मंगलवार को सिद्धपीठ श्री शाकंभरी देवी स्थित शंकराचार्य आश्रम के प्रभारी एवं संत संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी सहजानंद जी महाराज ने यह प्रवचन दिए। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक असंतुलन से बहुत से व्याधियां उत्पन्न हो रहीं हैं। इस वैज्ञानिक युग में ऐसा पहले भी होता रहा है। जब-जब पृथ्वी पर संकट आए तब-तब माता की आराधना से संकटों का नाश हुआ। उन्होंने कहा कि माता ने विभिन्न रूपों में अवतरित होकर संपूर्ण जगत का उद्धार किया। देवताओं पर भूख-प्यास का संकट दैत्यों के अत्याचारों के चलते हुआ था। देवताओं ने भी शक्ति की कठिन तपस्या की थी।
ऐसे में औषधीय उपचारों के साथ ही आध्यात्मिक उपचार भी किया जाना चाहिए। वेद मंत्रों में वह शक्ति निहित है, जिससे प्रदूषित वातावरण सामान्य होता है। माता शक्ति की आराधना का यह श्रेष्ठ समय है। दुर्गा सप्तशती में वर्णित कवच भक्तों की हर तरह से रक्षा करते हैं। उनका पाठ अनुष्ठान के रूप में किया जाना चाहिए। वातावरण को शुद्ध करने के लिए वेदोक्त विधि से हवन किए जाएं। ऋषियों ने हवन में औषधीय गुणों से युक्त विभिन्न प्रकार की समिधाओं का उपयोग कर वातावरण को प्रदूषण मुक्त रखने के उपाय किए हैं, जो अब नहीं होते। ज्योतिषाचार्य मुरारी झा ने प्रथम नवरात्र को प्रात: 6:21 से 7:15 बजे के मध्य कलश स्थापना का मुहुर्त बताते हुये कहा कि कोरोना के नाश के लिए ईश्वरीय आराधना करें। वेदों और पुराणों में ऐसे मंत्र हैं, जिनके उच्चारण मात्र से ही मृत्यु पर विजय पाई जा सकती है। उन्होंने इसके लिए श्री महामृत्युंज मंत्र तथा माता शक्ति के बीज मंत्र जाप करने का आह्वान किया है। कहा कि हवन में शुद्ध घी, आख, ढाक, खैर, चिरचिटा, गिलोए, आम, लोंग, इलाइची की समिधाओं का उपयोग करने से वायरस का विनाश होता है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।