धड़कनें बंद हो गई हों, तो धीरज से काम लें...सीपीआर दें
किसी व्यक्ति की यदि धड़कनें रुक जाएं, तो धैर्य रखें और सीपीआर दें। सीपीआर में छाती को दबाना और मुंह से सांस देना शामिल है। व्यक्ति को पीठ के बल लिटाकर छाती के बीच में हाथों से जोर से दबाएं (100-120 बार प्रति मिनट)। फिर, मुंह से दो बार सांस दें। यह प्रक्रिया तब तक जारी रखें जब तक धड़कनें वापस न आ जाएं या चिकित्सा सहायता न पहुंचे। सीपीआर का प्रशिक्षण जीवन बचाने में मददगार है।

नकुड सीएचसी में आयोजित कार्यक्रम में मरीजों को सीपीआर का प्रशिक्षण देते डाक्टर शुभम कुमार । जागरण
संवाद सूत्र, जागरण, नकुड़ (सहारनपुर)। अचानक आए हार्ट अटैक, पानी में डूबने व बिजली का करंट लगने से यदि किसी की धड़कनें बंद हो गई हैं तो इससे घबराने की बजाए धीरज रखते हुए संबंधित व्यक्ति को सीपीआर (कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन) देकर उसकी जान बचाई जा सकती है। डाक्टर शुभम कुमार ने सीएचसी पर आयोजित कार्यक्रम में मौजूद मरीजों व तीमारदारों को समझाईं।
मंगलवार को दैनिक जागरण की टीम के साथ सीएचसी पर आयोजित कार्यक्रम में डा. शुभम कुमार ने मरीजों व तीमारदारों को सीपीआर की आवश्यकता व इसे जरूरत पड़ने पर किस प्रकार से किया जाता है, करके जागरूक किया। उन्होंने बताया कि हार्ट अटैक यानी दिल की धड़कनें अचानक करंट लगने, पानी में डूबने व सांस लेने की नली में रुकावट पैदा होने से हो सकता है।
हार्ट अटैक के प्राथमिक लक्षणों में अचानक तेज पसीना आना, बाएं हाथ, बायीं ओर की छाती, बाएं जबड़े, गर्दन में तेज दर्द होना, छाती के बीच मानों पिन सी चुभन महसूस होना, चक्कर आना व चक्कर आने से अचानक गिर जाना मुख्य लक्षण हैं। प्राथमिक उपचार के लिए मरीज को बार बार सीपीआर देने अर्थात बाएं हाथ की हथेली के ऊपर दांए हाथ की हथेली को रखकर हार्ट पर बार बार जोर से दबाना होता है। इसके अलावा जितना भी शीघ्र संभव हो मरीज की जीभ के नीचे नाइट्रेट की गोली रखना चाहिए, यह गोली सभी मेडिकल स्टोर पर आसानी से उपलब्ध है।
डाक्टर शुभम ने बताया कि इसके साथ ही मरीज को सीपीआर देते हुए एंबुलेंस से निकट के अस्पताल में भर्ती कराना चाहिए। उन्होंने मरीजों व तीमारदारों को मरीज को सीपीआर देने की प्रक्रिया का प्रशिक्षण भी दिया। इस मौके पर जमीर खान, संजय अरोड़ा, डब्बू शर्मा, अंजू, शबाना, आयशा, शराफत, विनोद कुमार व सीएचसी स्टाफ मौजूद रहा।

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