देवबंद में था अल फलाह यूनिवर्सिटी का छात्र, सुरक्षा एजेंसियों के गिरफ्त में आया...आतंकी से संपर्क के मिले सुबूत
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने फरीदाबाद की अलफलाह यूनिवर्सिटी के एक छात्र को देवबंद से उठाया। छात्र पर आतंकी गतिविधियों में शामिल होने का शक है। वह पिछले पांच दिनों से एक मकान में छिपकर रह रहा था। पुलिस को उसके पास से कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज और मोबाइल डेटा मिला है। पुलिस छात्र के नेटवर्क की जांच कर रही है।

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल, आईबी और एटीएस की संयुक्त टीम ने मंगलवार शाम देवबंद से फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी के छात्र को उठाया है। (प्रतीकात्मक फोटो)
जागरण संवाददाता, सहारनपुर। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल, आईबी और एटीएस की संयुक्त टीम ने मंगलवार शाम देवबंद से फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी के छात्र को उठाया है। देवबंद के मुहल्ला पठानपुरा निवासी छात्र अहमद रजा एमबीबीएस तृतीय वर्ष की पढ़ाई कर रहा है। करीब पांच दिन पहले ही देवबंद आया था। सूत्रों के मुताबिक जांच के दौरान अहमद रजा के तार दिल्ली के लाल किले के पास हुए धमाके से जुड़े होने के संकेत मिले हैं।
जांच एजेंसियों को उसके पास से कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज मिलने के साथ डा. आदिल अहमद और डा. मुजम्मिल से उसके संपर्क होने के सुबूत भी मिले हैं। काल डिटेल से इनके बीच कई बार बातचीत होना पाया गया है। हालांकि संयुक्त टीम ने अभी इसकी पुष्टि नहीं की है। छात्र से गहनता से पूछताछ की जा रही है। बताया जाता है कि वह काफी दिनों से घर नहीं आया था। दिल्ली धमाके के बाद पांच दिन पहले ही वह अचानक देवबंद पहुंचा था। डा. आदिल से जुड़े नेटवर्क खंगालने में जुटीं जांच एजेंसियों के रडार पर सहारनपुर जनपद के 15 और डाक्टर भी हैं।
32 मोबाइल नंबरों की जांच : एसटीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस डा. आदिल अहमद राथर की डायरी में मिले करीब 32 संदिग्ध मोबाइल नंबरों की काल डिटेल और लोकेशन हिस्ट्री खंगालने में जुटी हुई है। अधिकांश नंबर सहारनपुर के एक निजी यूनिवर्सिटी और मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों के बताए जा रहे हैं। डा. आदिल ने कुछ नंबरों के साथ कोडवर्ड और लोकेशन भी लिख रखी थी। फेमस मेडिकेयर हास्पिटल के मालिक लकड़ी कारोबारी आरिफ शेख और डा. आदिल के करीबियों से भी पूछताछ की जा रही है।
उमर भटका हुआ नौजवान : इमरान सहारनपुर से कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने एक टीवी चैनल से विशेष बातचीत के दौरान आतंकी डा. उमर को एक भटका हुआ नौजवान बताया। इंटरनेट मीडिया पर उनका यह बयान प्रसारित होने के बाद वह सफाई देते भी नजर आए। कहा कि आतंकी का एक ही इलाज है गोली। वतन से गद्दारी किसी हाल में जायज नहीं है।

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