अस्पताल प्रशासन को गुमराह कर डा. आदिल ने ली थी 15 दिन की छुट्टी...और साजिश को दिया अंजाम
आदिल ने 26 फरवरी को जम्मू-कश्मीर में एक कार दुर्घटना का बहाना बनाकर एक साजिश रची। इस दुर्घटना का उपयोग उसने अपने षड्यंत्र को छिपाने के लिए किया। यह घटना जम्मू-कश्मीर में हुई, जहाँ आदिल ने अपनी योजना को अंजाम दिया।

डा. आदिल व मुजम्मिल। सौ. इंटरनेट मीडिया
जागरण संवाददाता, सहारनपुर। आतंकी गतिविधियों में शामिल पाए गए डा. आदिल अहमद राथर की हरकतों की परतें अब एक-एक कर खुल रही हैं। जम्मू-कश्मीर और खुफिया एजेंसियों की जांच में सामने आया है कि दिल्ली रोड स्थित वी-ब्रास अस्पताल में साढ़े तीन माह तक कार्यरत रहने के दौरान डा. आदिल लंबे समय से अपनी साजिश को पर्दे के पीछे से अंजाम देता रहा। इसी सिलसिले में उसने 26 फरवरी को अस्पताल प्रशासन को गुमराह कर 15 दिन की छुट्टी ली थी।
अस्पताल प्रबंधन के अनुसार आदिल ने दावा किया था कि जम्मू-कश्मीर में उसकी कार का एक्सीडेंट हो गया है और मामले में स्थानीय पुलिस ने उसे पूछताछ के लिए बुलाया है। डा. आदिल ने एक माह का वेतन के चार लाख रुपये भी अस्पताल प्रबंधक से नहीं लिए। अस्पताल से डा. आदिल रविवार की छुट्टी रखता था। देवबंद में भी आना-जाना होता था। 26 फरवरी को डा. आदिल करीब 15 दिन की छुट्टी लेकर सीधा जम्मू-कश्मीर पहुंचा, जहां उसने अपने साथियों से मुलाकात की। उसने अपने नेटवर्क के साथ मिलकर विस्फोट की साजिश को अंतिम रूप दिया।
एसटीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस अब आदिल की पूरी गतिविधियों की कड़ियां जोड़ रही हैं। अस्पताल में उसके कार्यकाल के दौरान उसकी दिनचर्या, वार्तालाप, डिजिटल डाटा और संपर्कों का बारीकी से विश्लेषण किया जा रहा है। अस्पताल प्रबंधन से आदिल के दस्तावेज, ज्वाइनिंग डिटेल, उपस्थिति रिकार्ड और उसके व्यवहार से जुड़े सभी इनपुट जुटाए हैं। आदिल ने डाक्टर की आड़ में खुद को बेहद सामान्य तरीके से पेश किया, ताकि उसकी असली गतिविधियों पर किसी की नजर न पड़े।
पुलिस को संदेह है कि डा. आदिल अहमद की हरकतों का दायरा काफी बड़ा है और उसके संपर्क कई राज्यों तक फैले हो सकते हैं। उसकी फोन काल डिटेल, बैंकिंग गतिविधियां और यात्राओं की ट्रैकिंग से कई अहम खुलासों की उम्मीद भी जताई जा रही है।

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