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    भूदान की जमीन का रिकार्ड सुरक्षित नहीं

    By Edited By: Updated: Sat, 15 Sep 2012 03:31 AM (IST)

    सहारनपुर : आजादी के बाद आचार्य विनोबा भावे के भूदान आंदोलन से जनपद अछूता नहीं रहा।उनके आह्वान पर तमाम लोगों ने अपनी जमीन दान में दी थी। बेहट में सर्वाधिक जमीन दान में दी गई थी। नकुड़ व देवबंद में भी। बेहट कस्बा तब सदर तहसील में था। नकुड़ व देवबंद में कम लोगों ने ही अपनी जमीन दान की थी, लेकिन दुर्भाग्य है कि बेहट को छोड़ अधिकांश का रिकार्ड ही नहीं है। जाहिर है कि जमीन पर या तो कब्जे हो गए या फिर हकदार की जगह उनका कोई और इस्तेमाल कर रहा है।

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    बता दें कि आजादी के बाद 1951 और 52 में काफी संख्या में लोगों ने आचार्य विनोबा भावे के आह्वान पर भूदान पत्र सौंपे थे। इन्हीं सालों में दान में मिली जमीनों का भूमिहीन परिवारों में आवंटन भी किया गया था। हालांकि 18 फरवरी 1976 को यह भूमि एकमुश्त ग्राम समाज में निहित हो गई थी। सहारनपुर तहसील में भूदान आंदोलन के अभिलेखों के अनुसार, 16 अगस्त 1954 तक तत्कालीन तहसीलदार को 47 दान पत्र प्राप्त हुए थे। इसी माह इनकी संख्या 24 तारीख तक बढ़कर 72 हो गई। हालांकि अभियान इससे पहले शुरू हो चुका था। इस आंदोलन के राजस्व अभिलेखों में 5 फरवरी 1951 से भूदान के नामांतरण का उल्लेख है। 1953 तक लोग इस आंदोलन में भूमि दान करते रहे। उस समय तहसील सहारनपुर के परगना मुजफ्फराबाद में 3127.12, परगना फैजाबाद में 336.12, परगना हरौड़ा में 136.08 तथा सहारनपुर में 4.08 बीघा भूमि दान करने का आंकड़ा आज भी इस आंदोलन के राजस्व अभिलेखों में दर्ज है। उस समय इसमें से 1813.16 बीघा भूमि तत्काल आवंटित कर दी गई थी। इसके बाद भूदान समितियों द्वारा इस भूमि के आवंटन के प्रस्ताव भेजे जाते रहे। 18 फरवरी 1976 को जिला भूदान यज्ञ समिति की तत्कालीन कार्यकारिणी ने तहसीलदार सहारनपुर को प्रस्ताव भेजा गया। इसके बाद इस भूमि का कुल रकबा ग्राम पंचायत में निहित हो गया। पहले आवंटन का प्रस्ताव भूदान समिति द्वारा अनुमोदित किया जाता था, लेकिन 1965 में कलक्टर को इसका अधिकार दे दिया गया था। रजिस्ट्रार कानूनगो पवन कुमार का कहना है कि कालूवाला जहानपुर दक्षिणी आदि गांव में अभी कुछ भूमि शेष है, जिसका आवंटन नहीं हुआ है। वर्तमान में बेहट तहसील के एसडीएम भानु प्रताप यादव का कहना है कि वैसे तो कोई भूमि बिना आवंटन के शेष नहीं होनी चाहिए, लेकिन इसकी स्पष्ट जानकारी अभिलेखों के अवलोकन के बाद ही दी जा सकती है। उल्लेखनीय है कि नकुड़, देवबंद में भी कुछ भूमि दान में दी गई थी। यहां रजिस्ट्रार-कानून गो आफिस में रिकार्ड खंगाला जा रहा है।

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