ब्लिस्टर बीटल कीड़ा दे रहा पीड़ा
सहारनपुर : बरसात के मौसम में कीड़े शरीर में जहर फैला रहे हैं। आमतौर पर ग्रामीण इलाकों में मिलने वाले 'ब्लिस्टर बीटल' ने अब शहरी इलाकों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। जिला अस्पताल की ओपीडी में रोज 20 से 30 फीसदी मरीज इस कीड़े के शिकार होकर आते हैं।
डाक्टरों की मानें तो सीलन और अंधेरे स्थानों पर जन्म लेने वाले ब्लिस्टर बीटल में पाया जाने वाला कैंथेरेडियन रसायन त्वचा के संपर्क में आते ही नसों को प्रभावित कर देता है। नुमाइश कैंप निवासी अवनीश कुमार, ब्रिजेश नगर की नेहा, अंबेहटा चांद की रामेश्वरी व उमरी मजबता के योगेश गुप्ता आदि बीटल डर्मेटाइटिस के शिकार हैं। सभी का उपचार जिला अस्पताल में चल रहा है। डाक्टरों की मानें तो कीड़ा काटने का असर किडनी और लीवर पर पड़ता है। आतों व गुर्दो में सूजन आ जाती है। पेशाब करते समय जलन, बुखार व पसीना आने लगता है। इसका हानिकारक रसायन मुंह में छाले पैदा कर देता है। हृदय की धड़कन बढ़ जाती है। शरीर का तापमान बढ़ जाता है और बदन दर्द होने लगता है। ब्लिस्टर बीटल के मरने के बावजूद इसके शरीर में पाया जाने वाला कैंथेरेडियन रसायन महीनों तक असरदार रहता है और त्वचा के संपर्क में आते ही उसे संक्रमित कर देता है।
वेस्ट यूपी में पाया जाने वाला ब्लिस्टर बीटल आधे इंच तक लंबा और मुलायम होता है। यह हरे, लाल, काले व नीले रंग के होते हैं। यह घास या खेतों में पैदा होते हैं और बरसात में इनकी संख्या बढ़ जाती है।
इनका कहना है..
ओपीडी में इन दिनों 20 से 30 फीसदी मामले बीटल डर्मेटाइटिस के ही आ रहे हैं। ब्लिस्टर बीटल ने शहर की घनी आबादी वाले इलाकों को निशाना बना लिया है। आने वाले दिनों में इसका प्रभाव और बढ़ेगा।
- डा. कर्मवीर सिंह, वरिष्ठ चर्म एवं गुप्त रोग विशेषज्ञ।
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