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    सुनो प्रधानमंत्रीजी मैं हूं लार्ड कृष्णा मिल, रो रहा है मेरा दिल

    By Edited By:
    Updated: Wed, 25 May 2016 11:47 PM (IST)

    संजीव गुप्ता, सहारनपुर : मैं हूं लार्ड कृष्णा टेक्सटाइल मिल। अपने अतीत पर आंसू बहाने को मजबूर हूं। ब

    संजीव गुप्ता, सहारनपुर : मैं हूं लार्ड कृष्णा टेक्सटाइल मिल। अपने अतीत पर आंसू बहाने को मजबूर हूं। बता दूं कि मेरा जन्म आजादी के बाद हुआ। 40 वर्षों तक लाखों को लोगों को मैंने रोजगार दिया।

    लेकिन 25 वर्ष पहले हमें बेनूर कर दिया गया। मैं अब बंद हूं। पहले मेरे दर पर 3300 अधिकारी-कर्मचारी काम करते थे। 126 बीघा में फैले मेरे परिसर में अरबों की संपदा जर्जर हो रही है। प्रधानमंत्री जी सुनो मेरी व्यथा और संवार दो मेरा जीवन। लाखों परिवारों को मैं रोजगार दूंगी। चमक उठेगी अपने सहारनपुर की किस्मत।

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    आजादी के बाद 1952 में मेरी नींव रखी गई थी। तेजी से औद्योगीकरण की दिशा में पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुझे खास पहचान मिली थी। देश में कई दलों की सरकारें आईं और चली गई। आधुनिकीकरण की दिशा में मुझमें आंशिक बदलाव ही हो सके। कपड़ा बनाने का काम मेरी मशीनें करती थीं। धागा बाहर से आता था। 90 के दशक में यदि मुझे आधुनिक कर दिया जाता तो आज ये बुरे दिन नहीं होते। पूरी ताकत से काम करने के बाद 1991 में मुझे बीमार इकाई मानते हुए बंद कर दिया गया। कई सरकारें आई और चली गई। किसी ने मेरी सुधि नहीं ली। आपके दल के सांसद राघव लखनपाल शर्मा ने पिछले दिनों बड़े जोर-शोर से दावे किए। कहा था कि वह मिल चालू कराएंगे। पिछले दिनों कपड़ा मंत्री संतोष गंगवार भी जब सांसद आवास पर आए तो उन्होंने भी मिल चलवाने का वचन दिया।

    यदि वह मेरे परिसर का दौरा कर लेते तो शायद उम्मीद पक्की होती। प्रधानमंत्री जी अब आप विकास पर्व महारैली करने आ रहे हैं। आप भले ही मुझे देखने मत आना, लेकिन फिर भी मैं आपसे एक बार गुहार करती हूं। थोड़े से पैसे लगाकर मुझे फिर से शुरू करा दो। गंगोह रोड स्थित कपड़ा मिल की यह दुख भरी दास्तान को आप भूल न जाना। भगवान श्री राम ने पत्थर बनी अहिल्या का उद्धार किया था। आपसे मेरा नम्र निवेदन है कि आप मुझे फिर से नई जिंदगी दे दो।

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