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    महज 24 दिन है ब्रायलर मुर्गे का जीवन

    By Edited By:
    Updated: Tue, 22 Dec 2015 12:05 AM (IST)

    बाबर बकरवाल, सहारनपुर : दुनियाभर के जीव-जंतुओं में शायद ब्रायलर मुर्गी-मुर्गा ही ऐसे होते हैं जिनकी

    बाबर बकरवाल, सहारनपुर : दुनियाभर के जीव-जंतुओं में शायद ब्रायलर मुर्गी-मुर्गा ही ऐसे होते हैं जिनकी उम्र महज 24-25 दिन होती है। 25 दिन का होते-होते ही ये मुर्गे किसी चिकन सेंटर पर कटकर शौकीनों के खाने के लिए तैयार हो जाते हैं। जानकार बताते हैं कि जनपद में 100 से ज्यादा पोल्ट्री फार्म संचालक पंजाब व उत्तराखंड से ब्रायलर मुर्गे के 24 घंटे के बच्चे की खेप मंगवाते हैं। इन्हें महज दस दिन में दवा पिलाकर सवा किलो का बना दिया जाता है।

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    जिले में ब्रायलर मुर्गा-मुर्गी का कारोबार अब बड़े पैमाने पर हो गया है। यहां 100 से ज्यादा पोल्ट्री फार्म पर हर रोज 100 से ज्यादा गाड़ियों में ब्रायलर मुर्गो की खेप पहुंचती है। पंजाब व उत्तराखंड से आने वाले ब्रायलर मुर्गे-मुर्गी की उम्र करीब 24 घंटे की होती है, जिन्हें दवा पिलाकर दस दिन में एक से सवा किलो तक का हृष्ट-पुष्ट बना दिया जाता है। ब्रायलर मुर्गी के 24 दिन के बच्चे (चूजा) की कीमत 20 से 27 रुपये तक होती है, जो तैयार होने के बाद 70 से 80 रुपये तक का बिकता है। जानकार बताते हैं कि मुर्गे की सबसे अच्छी किस्म का बच्चा देहरादून का होता है, जिनकी कीमत 25 से 27 रुपये तक होती है। ब्रायलर मुर्गा-मुर्गी की खपत को देखते हुए अब इनके बिक्री केंद्र गांव-देहात तक खुल गए हैं।

    अब नहीं लगता मुर्गो पर दांव..

    पुराने दौर में मुर्गे लड़ाए जाते थे, लोग खूब मजे लेते थे और मुर्गे लहूलुहान हो जाते थे। बाजी लगा करती थी, हारने वाला मुर्गा अक्सर कटकर कड़ाही में पककर थाली में सज जाता था। नए जमाने में मुर्गे मजेदार नहीं रहे। ब्रायलर के दौर में देशी मुर्गो को कौन पूछे। मुर्गो की लड़ाई तो दूर सुबह-सबेरे उनकी बाग तक सुनाई नहीं पड़ती। कारण देशी मुर्गे पर ब्रायलर मुर्गा हावी हो गया है। देशी मुर्गे की तरह वह एक साल में नहीं महज 24 दिन में ही तैयार हो जाता है। यही कारण है कि सहारनपुर समेत पूरे वेस्ट यूपी में देशी मुर्गा के स्थान पर ब्रायलर मुर्गे की डिमांड बढ़ रही है।