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    महान क्रांतिकारी थे महमूदुल हसन

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    Updated: Sat, 08 Feb 2014 10:48 PM (IST)

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    देवबंद (सहारनपुर) : यह सही है कि अपनी सियासत चमकाने और मुस्लिमों को खुश करने की गरज से ही सपा ने पिलखनी में 11 फरवरी को उद्घाटित होने वाले मेडिकल कालेज को शेखुल हिंद मौलाना महमूदुल हसन का नाम दिया है। लेकिन इतिहास की ओर मुड़कर देखें तो महमूदुल हसन का किरदार किसी धर्म-मजहब से ऊपर और सियासत से बिल्कुल जुदा है। वह जंग-ए-आजादी की लड़ाई लड़ने वाले महान क्रांतिकारी थे।

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    दारुल उलूम के प्रथम छात्र मौलाना महमूदुल हसन ने रेशमी रूमाल तहरीक चलाकर आजादी की लड़ाई को नई धार दी थी। शेखुल हिंद की इन्हीं खिदमात को देखते हुए भारत सरकार ने उनके रेशमी रूमाल आंदोलन के नाम पर डाक टिकट जारी किया। उनका जन्म वर्ष 1851 में देवबंद के एक इल्मी खानदान में हुआ था। वर्ष 1905 में दारुल उलूम की बागडोर संभालने वाले मौलाना महमूदुल हसन उन स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे, जिन्हें उनके कलम, ज्ञान, आचार और व्यवहार आदि विशेषताओं के बूते शेखुल हिद (भारतीय विद्वान) की उपाधि दी गई है। महान क्रातिकारी मौलाना शेखुल हिद ने देश को स्वतंत्र कराने के लिए रेशमी रूमाल आदोलन चलाया था। भारत को आजाद कराने के लिए स्तर पर चलाया गया पहला क्रातिकारी आदोलन था। उन्होंने अपने खास शिष्यों व प्रभावित लोगों के माध्यम से अंग्रेजों के विरुद्ध प्रचार आरंभ किया और हजारों मुस्लिम आंदोलनकारियों ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध चल रहे इस आंदोलन में शामिल किया। इस आदोलन के तहत फिरगी शासन को ध्वस्त करने के लिए सभी गुप्त योजनाएं रेशमी रूमाल पर लिखकर भेजी जाती थीं। इसी से इसका नाम रेशमी रूमाल आंदोलन पड़ा। अंग्रेजी शासकों ने शेखुल हिद मौलाना महमूद हसन को उनके साथियों मौलाना उजैर गुल, हकीम नुसरत हुसैन व मौलाना वहीद अहमद सहित गिरफ्तार कर लिया तथा रोम सागर के मालटा टापू के जंगी कैदखानों में डलवा दिया था। यहा शेखुल हिद व उनके साथियों ने चार साल तक बमुशक्कत जेल की पीड़ा झेली। जेल की सजा भुगतने के बाद शेखुल हिंद हिंदुस्तान पहुंचे तथा महात्मा गांधी से मिलकर आजादी की लड़ाई को नई धार दी। 30 नवंबर वर्ष 1920 में आजाद देश का सपना अपनी आंखों में संजोकर शेखुल हिंद इस दुनिया से रुखसत हो गए। शेखुल हिंद की आजादी में दिए गए योगदान को भारत सरकार ने नजरअंदाज नहीं किया। पिछले वर्ष शेखुल हिंद की आजादी की तहरीक रेशमी रूमाल आंदोलन के नाम से भारत सरकार द्वारा डाक टिकट जारी किया है।

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