सावधान! सेहत पर भारी मिलावटखोरी
सहारनपुर । होली का त्योहार नजदीक आते ही शहर के मिलावटखोर सक्रिय हो गए हैं। मोटी कमाई के चक्कर में ये धंधेबाज अभी से मावा, दूध, खाद्य तेल के साथ सेहत के लिए खतरनाक कृत्रिम रंग युक्त खाद्य पदार्थ तैयार कर उन्हें सस्ती दर पर खपाने में जुट गए हैं। मिलावट भी ऐसी कि आम उपभोक्ता उसे पहचान न सकें। इसलिए जरूरत है कि उपभोक्ता संभल कर खरीदारी करें।
रोकथाम की कार्रवाई न होने से बेखौफ मिलावटखोर दूध, मावा व पनीर से लेकर खाद्य तेल व अन्य खाद्य सामग्री सभी में जोरों पर मिलावट कर रहे हैं।
ब्रांडेड पैकिंग में मिलावटी माल
त्योहार पर खाद्य तेल, बेसन व विभिन्न मसालों की खपत बढ़ जाती है। ऐसे में मिलावटखोर सबसे ज्यादा सरसों व रिफाइंड ऑयल में मिलावट कर तिजोरी भरते हैं। प्रतिबंधित रंग व केमिकल्स का इस्तेमाल कर सस्ती लागत में तैयार खाद्य तेल ऊंची कीमत पर असली के दाम में बाजारों में बेचा जाता है। वहीं बेसन में चने की जगह मटरी व पीली मिट्टी मिलाकर बेचने में भी धंधे बाजार परहेज नहीं कर रहे हैं। धनिया पाउडर लाल मिर्च, हल्दी सभी में खुलेआम केमिकल्स का प्रयोग हो रहा है।
दूध में केमिकल अरारोट से तैयार मावा
दूध में कार्बोनेट, फार्मलीन, यूरिया और खराब मिल्क पाउडर तथा पानी मिलाकर अधिक मुनाफा कमाया जा रहा है। भैंस के एक लीटर दूध में छह फीसदी फैट और नौ फीसदी अघृत ठोस पदार्थ यानी प्रोटीन, विटामिन, मिनरल और कार्बोहाइड्रेटस होने चाहिए। वहीं शकरकंद और अरारोट से मिलावटी खोया बनाना अब बीते जमाने की बात हो गई। मिलावटखोर अब इसके लिए नई तकनीक उपयोग में लाते हैं। इस मिलावटखोरी से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि वह दो प्रकार का खोया बनाते हैं। इसमें एक को डालडा ब्रांड व दूसरे को सूखा पाउडर ब्रांड मावा कहा जाता है। डालडा खोया बनाने के लिए पहले दूध की क्रीम निकाल ली जाती है। फिर इसमें रिफाइंड और डालडा मिलाया जाता है। खोये जैसी महक लाने के लिए हाइड्रो और पापड़ी नामक केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है। सूखा पाउडर खोया बनाने में सूखा मिल्क पाउडर, पानी और डालडा मिलने के साथ हाइड्रो और पापड़ी केमिकल का इस्तेमाल होता है।
सेहत पर असर
डिप्टी सीएमओ लोकेश्वर के अनुसार, खाद्य सामग्री में किसी भी तरह की मिलावट सेहत के लिए नुकसानदायक होती है। मिलावटखोरों द्वारा प्रयोग किए जाने वाले खतरनाक रसायन व रंग का रिएक्शन पेट व त्वचा के साथ ही दिल की बीमारी का बड़ा कारण बन रहा है। सिंथेटिक पनीर, मावा, दूध व खाद्य तेल का सेवन लीवर और किडनी को तो क्षतिग्रस्त करता ही है साथ ही इसके ज्यादा सेवन से रक्त धमनियों में खून का थक्का जमने से हार्ट का बड़ा खतरा पैदा हो सकता है। होली में पेट संबंधी गैस्ट्रो, डायरिया व पेट दर्द के रोगियों की बढ़ने वाली संख्या को मिलावटखोरी का परिणाम माना जा सकता है।
इनका कहना है..
मिलावटखोरों के खिलाफ एक फूड इंस्पेक्टर के नेतृत्व में एक टीम बनाई जाएगी, जिसका कार्यभार सिटी मजिस्ट्रेट को दिया जाएगा। शहर ही नहीं, देहात में भी छापामारी कर मिलावटखोरों को पकड़ा जाएगा।
अजय कुमार, डीएम।
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