जीवित का मृत्यु प्रमाण पत्र बनाकर दो लाख हड़पे, वीडीओ समेत तीन फंसे
जेएनएन, रामपुर : जीवित का मृत्यु प्रमाण पत्र बनाकर जनसेवा केंद्र संचालक ने दो लाख रुपये बीमा धनराशि हड़प ली। फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र सैदनगर ब्लाक की ग्राम विकास अधिकारी ने जारी किया था। इसमें ब्लाक के बाबू की भी मिलीभगत सामने आई है। पुलिस ने तीनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जनसेवा केंद्र संचालक और बाबू को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि ग्राम विकास अधिकारी फरार हो गई है। आरोपित बाबू मुरादाबाद का रहने वाला है। मामला शहर कोतवाली क्षेत्र का है। गिरफ्तार दोनों आरोपितों के संबंध में अपर पुलिस अधीक्षक डा. संसार सिंह ने शहर कोतवाली में मीडिया को जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पकड़ा गया आरिफ पुत्र शफीक अहमद थाना गंज के काशीपुर गांव का रहने वाला है। वह जिला अस्पताल के पास जौहर जनसेवा केंद्र के नाम से दुकान करता है। वह यहां आने वाले लोगों के प्रधानमंत्री जनधन योजना से संबंधित खाते खोलता है। आय जाति मूल निवास प्रमाण पत्र भी बनाता है। प्रधानमंत्री जनधन योजना के अंतर्गत लाभार्थियों के खाते में सरकार द्वारा 500 रुपये आते हैं, जिसे वह खातेदारों के अंगूठे लगाकर जनसेवा केंद्र से ही भुगतान करता था। इस योजना के तहत उसने ग्राम बेनजीर उर्फ घाटमपुर निवासी कृष्णपाल और उनकी पत्नी मोरसारी का भी अलग-अलग खाता खोला था। योजना के तहत दोनों खाताधारकों का 12 रुपये का प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा और 330 रुपये का प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा था। जीवन ज्योति बीमा में खाताधारक की स्वभाविक मृत्यु होने पर मृत्यु प्रमाण पत्र के आधार पर दो लाख रुपये का क्लेम मिलता है। उसने कृष्णपाल का फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाकर बीमा के रूप में मिलने वाली दो लाख रुपये की रकम हड़पने की योजना बनाई। इसके तहत सैदनगर ब्लाक के बाबू गुलाब खां से संपर्क किया। बाबू ने 10 हजार रुपये में फर्जी प्रमाण पत्र जारी कर दिया। यह प्रमाण पत्र ग्राम विकास अधिकारी ऊषा चौहान की आइडी और पासवर्ड से जारी किया गया था। पुलिस ने इस मामले में तीनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जन सेवा केंद्र संचालक और सैदनगर ब्लाक के बाबू को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपित बाबू मुरादाबाद के थाना छजलेट के ग्राम सदरपुर का रहने वाला है। वह यहां मोहनपुर में किराये के मकान में रह रहा था। उसके पास से पुलिस को फर्जी प्रमाण पत्र बनाने के उपकरण व अभिलेख आदि बरामद हुए हैं। जन सेवा केंद्र संचालक ने बताया कि मृत्यु प्रमाण पत्र मिलने के बाद उसने क्लेम के लिए जरूरी कागजात एसबीआइ लाइफ इंश्योरेंस में जमा कर दिए। नोमिनी होने के कारण मृतक की पत्नी के खाते में दो लाख रुपये आ गए। इस रकम को निकालने के लिए उसने महिला को फोन किया और कहा कि जनधन खाते में 500 रुपये आए हैं। इस तरह बार-बार महिला को केंद्र पर बुलाकर उसका अंगूठा लगवाकर 20-20 हजार रुपये करके दो लाख रुपये की रकम निकाल ली थी। ऐसे पकड़ में आया मामला पीड़ित दंपती को इस फर्जीवाड़े की जानकारी सात जून को हुई थी। उनके घर कुछ सरकारी कर्मचारी आए। तब कृष्णपाल घर पर नहीं थे। कर्मचारियों ने उनकी पत्नी से कृष्णपाल की मृत्यु के संबंध में जानकारी की। उन्होंने बताया कि मेरे पति जीवित हैं। तब इस फर्जीवाड़े का पता चला। दंपती जनसेवा केंद्र संचालक आरिफ के पास गए। उसने बताया कि पैसा निकालकर खर्च कर दिया है। वह सारा पैसा जल्द ही जमा कर देगा। इसके बाद कृष्णपाल की पत्नी ने पुलिस अधीक्षक को प्रार्थना पत्र देकर अवगत कराया। महिला ने बताया कि वह और उसके पति पढ़ना लिखना नहीं जानते हैं। इसका फायदा उठाकर उनके साथ धोखाधड़ी की गई। पुलिस अधीक्षक ने मामले को गंभीरता से लिया और शहर कोतवाली पुलिस को जांच कर कार्रवाई के निर्देश दिए थे। बाबू के पास रहती थी अधिकारी की आइडी अपर पुलिस अधीक्षक डा. संसार सिंह ने बताया कि ग्राम विकास अधिकारी और बाबू आपस में मिले हुए हैं। बाबू संविदा कर्मी होने के बावजूद अधिकारी ने अपनी आइडी और पासवर्ड उसे दे दिया था। वह ही फर्जीवाड़ा करता था। बाबू ने पूछताछ के दौरान बताया कि फर्जी प्रमाण पत्र ग्राम विकास अधिकारी की आइडी व पासवर्ड के माध्यम से उनकी सहमति से बनाता था। उससे जो भी पैसा मिलता था, उसे दोनों बांट लेते थे। एएसपी ने बताया कि मामला पुलिस तक पहुंचने की जानकारी हो जाने पर ग्राम विकास अधिकारी ड्यूटी से गैरहाजिर होकर फरार हो गई हैं। उसकी तलाश की जा रही है।
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