जिस बेटी का कर दिया कन्यादान, उसने बचाई पिता की जान
रामपुर बेटियां अपने पापा की लाडली होती हैं। यह सिर्फ कहने की बात नहीं है। जब पिता की जान पर बन आए तो वही बेटियां सबसे आगे मदद के लिए खड़ी होती हैं। पिता-पुत्री के प्रेम की यह मिसाल 10 दिन पहले सिविल लाइंस क्षेत्र के एक सराफा व्यापारी के परिवार में देखने को मिली जहां विवाहित बेटी ने अपना लिवर पिता को देकर उनकी जान बचाई।

रामपुर : बेटियां अपने पापा की लाडली होती हैं। यह सिर्फ कहने की बात नहीं है। जब पिता की जान पर बन आए तो वही बेटियां सबसे आगे मदद के लिए खड़ी होती हैं। पिता-पुत्री के प्रेम की यह मिसाल 10 दिन पहले सिविल लाइंस क्षेत्र के एक सराफा व्यापारी के परिवार में देखने को मिली, जहां विवाहित बेटी ने अपना लिवर पिता को देकर उनकी जान बचाई।
पुरानी आवास विकास कालोनी निवासी कमल किशोर रस्तोगी सर्राफ हैं। उनकी ज्वालानगर में कमल ज्वैलर्स के नाम से दुकान है। वह उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार प्रतिनिधिमंडल के नगर अध्यक्ष भी हैं। पिछले आठ माह से उनका स्वास्थ्य खराब चल रहा था। जांच से पता चला कि उनका लिवर 50 फीसद तक खराब हो चुका है। उन्हें चिकित्सकों ने लिवर ट्रांसप्लांट की सलाह दी। पहले किसी दानकर्ता की तलाश की, लेकिन नहीं मिला। इसके बाद परिवार के सदस्य लिवर देने को तैयार हुए तो किसी का लिवर मैच नहीं हुआ। यह जानकारी जब सराफा व्यापारी की मेरठ में रहने वाली विवाहित बेटी आकांक्षा को हुई तो वह मायके आ गई। सराफा व्यापारी ने उसकी पांच साल पहले शादी की थी। उनके दामाद सोनू रस्तोगी मेरठ में विद्युत वितरण निगम द्वितीय में अधिशासी अभियंता हैं। बेटी ने अपना लिवर देने का फैसला लिया। पति और ससुरालियों से बात की। पति ने हिम्मत दी और ससुरालीजन ने भी हौंसला बढ़ाया। इसके बाद उनकी कुछ जरूरी जांच कराई। जांच में बेटी का लिवर मैच हो गया। 23 मार्च को दिल्ली के एक अस्पताल में 14 घंटे तक आपरेशन चला, जिसमें लिवर ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक हो गया। आपरेशन के चंद रोज बाद बेटी को अस्पताल से छुट्टी मिल गई और वह अपने पति के पास मेरठ चली गई। सराफा व्यापारी अभी दिल्ली के अस्पताल में ही भर्ती हैं और उनकी हालत अब पहले से ठीक है।
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