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    लाल कपड़े में सुरक्षित रजा लाइब्रेरी की किताबें

    By JagranEdited By:
    Updated: Mon, 17 Aug 2020 06:11 AM (IST)

    मुस्लेमीन रामपुर किताबों को लाल कपड़े में रखना लोग शुभ मानते हैं। इसके पीछे वैज्ञानिक

    लाल कपड़े में सुरक्षित रजा लाइब्रेरी की किताबें

    मुस्लेमीन, रामपुर: किताबों को लाल कपड़े में रखना लोग शुभ मानते हैं। इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी हैं। लाल कपड़े में रखी किताब में दीमक और फफूंदी नहीं लगती है। दुनियाभर में अपने किताबी खजाने के लिए मशहूर रजा लाइब्रेरी में हजारों किताबें लाल कपड़े में रखी हैं।

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    रजा लाइब्रेरी में कई सौ साल पुरानी किताबें भी पूरी तरह सुरक्षित हैं। यहां हजरत अली के हाथ से हिरन की खाल पर लिखी 14 सौ साल पुरानी कुरआन है तो सुमेरचंद के हाथ से सोने के पानी से लिखी रामायण भी मौजूद है। बड़ी संख्या में ऐसी किताबें भी हैं जो लाल कपड़े में रखी गई हैं। फटी पुरानी किताबों के संरक्षण के लिए प्रयोगशाला भी है। इसलिए लाल कपड़ा कारगर सीनियर टेक्नीकल रेस्टोरर सैयद (वरिष्ठ तकनीकी पुनस्र्थापक) तारिक अजहर बताते हैं कि लाल कपड़े में किताबें रखना परंपरागत तरीका है। पहले तमाम बही खाते और महत्वपूर्ण किताबें लाल कपड़े में ही रखी जाती थीं। इसका वैज्ञानिक कारण भी है। सूती कपड़ा जिस लाल रंग से रंगा होता है, उसमें लेड सल्फेट होता है। इस कलर के पास कीड़े मकोड़े नहीं आते हैं। ताड़ पत्र पर लिखी कई सौ साल पुरानी 204 पांडुलिपियां भी लाल कपड़े में ही रखी हैं। हालांकि इन्हे कपड़े में बांधकर एसिड फ्री बाक्स में रखा गया है, ताकि उनमें कोई अमलता पैदा न हो। सैयद तारिक बताते हैं कि किताबों को फफूंदी से बचाने के लिए थाइमोल व कीड़े मकोड़ों से बचाने के लिए रसायन का इस्तेमाल करते हैं। पुराने दौर में अजवाइन, कपूर और नीम व गेंदे की पत्ती का इस्तेमाल होता था। इसलिए भागते हैं कीड़े मकौड़े रजा डिग्री कालेज में रसायन विज्ञान के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. मुहम्मद कामिल हुसैन बताते हैं कि लेड सल्फेट टाक्सिक मेटल है। इसके टाक्सिक इफेक्ट के कारण ही कीड़े मकौड़े इससे दूर भागते हैं। किताबी खजाने के संरक्षण पर विशेष जोर जिलाधिकारी आन्जनेय कुमार सिंह के पास ही रजा लाइब्रेरी के निदेशक का कार्यभार है। कहते हैं कि लाइब्रेरी में अमूल्य किताबी खजाना है। इसके संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। सरकार ने इसके लिए यहां संरक्षण प्रयोगशाला भी स्थापित की है। लाइब्रेरी में हिदी, उर्दू, अरबी, फारसी, अंग्रेजी, संस्कृत, तुर्की आदि भाषाओं में लिखी 60 हजार से ज्यादा किताबें और 17 हजार पांडुलिपियां हैं।