Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इस जिले में अपराधियों की खैर नहीं! कमर तोड़ने के लिए स्मार्ट क्लास में तैयार हो रहीं 600 बेटियां

    Updated: Fri, 26 Sep 2025 05:33 PM (IST)

    रामपुर पुलिस लाइन में महिला आरक्षियों का प्रशिक्षण चल रहा है जिसमें मध्य प्रदेश और राजस्थान तक की बेटियां शामिल हैं। वे सुबह परेड के बाद स्मार्ट क्लास में अपराध से निपटने के आधुनिक तरीके सीख रही हैं। उनका लक्ष्य समाज में महिलाओं को सम्मान दिलाना और पुलिस की छवि सुधारना है। वे साइबर धोखाधड़ी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में भी दक्षता हासिल कर रही हैं।

    Hero Image
    अपराधियों की कमर तोड़ने को स्मार्ट क्लास में तैयार हो रहीं छह सौ बेटियां।

    जागरण संवाददाता, रामपुर। पुलिस लाइन का नजारा पूरी तरह बदला हुआ है। बूटों की धमक के साथ सावधान, विश्राम में बेटियों की गूंज है। मिशन शक्ति के मंत्र संग ये बेटियां समाज में खाकी का मान बढ़ाने और महिला शक्ति को सम्मान दिलाने के लिए कमर कस रही हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इस बेड़े में मध्य प्रदेश से लेकर राजस्थान तक की बेटियां शामिल हैं। सुबह परेड में पसीना बहाने के बाद ये स्मार्ट क्लास में सामान्य पुलिसिंग के साथ ही अपराध के आधुनिक तौर-तरीकों से निपटने के गुर सीख रही हैं। महिला आरक्षी के पद पर भर्ती छह सौ बेटियां 19 जुलाई से पुलिस लाइन में प्रशिक्षण ले रही हैं।

    ये यहां सिर्फ नौकरी करने ही नहीं आई हैं, समाज में महिलाओं को सम्मान दिलाने का लक्ष्य लेकर आई हैं। इनमें पुलिस की छवि सुधारने की ललक है। जोश और जज्बे से भरी ये बेटियां साइबर फ्राड से निपटने के लिए भी हुनरमंद हो रही हैं। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की क्लास में भी ये बेबाकी से सवालों के जवाब देती हैं।

    पुलिस विभाग भी अब परंपरागत प्रशिक्षण से एक कदम आगे बढ़ गया है। आरक्षियों की ट्रेनिंग के लिए अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस स्मार्ट क्लास तैयार कराई गई हैं। क्लास में लगे मानिटर पर उन्हें पुलिस विभाग के विषय विशेषज्ञ बेसिक से लेकर गूढ़ विषयों तक की जानकारी दे रहे हैं।

    सुबह चार बजे जगने के बाद ये साढ़े पांच बजे परेड के लिए ग्राउंड पर पहुंच जाती हैं। इसके बाद दिन भर ये अलग-अलग विषयों में पारंगत होती हैं। एसपी विद्या सागर खुद क्लास में पहुंचकर प्रश्नों के जरिये इनके प्रशिक्षण की गुणवत्ता परखते हैं। इन बेटियों के प्रशिक्षण की निगरानी की कमान सीओ हर्षिता सिंह संभाल रही हैं।

    वह बताती हैं कि जिस तरह अपराध के तौर-तरीके बदले हैं, उसी के अनुरूप पुलिस की ट्रेनिंग भी बदली है। बताया सैकड़ों किलोमीटर दूर से यहां आकर ट्रेनिंग ले रही बेटियां पहले थोड़ा परेशान दिख रही थीं मगर अब उनके चेहरों पर रौनक है। ट्रेनिंग के बाद थानों में तैनाती के साथ खाकी की गरिमा को उंचाई तक ले जाने की उनमें ललक है।

    यही वजह है कि शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र को प्राथमिकता देने वाली बेटियां अब बेहिचक खाकी धारण कर रही हैं। अगले वर्ष अप्रैल तक प्रशिक्षण पूरा कर ये बेटियां आरक्षी के रूप में जिलों में पहुंच जाएंगी।

    अपराध के बदलते तौर तरीकों के साथ ही पुलिस प्रशिक्षण में भी बदलाव किया गया है। आरक्षी पद पर प्रशिक्षण ले रहीं छह सौ बेटियां साइबर अपराध व एआइ जैसी आधुनिक तकनीक के बारे में दक्ष हो रही हैं। मिशन शक्ति के तहत ये बेटियां महिला सशक्तीकरण की दिशा में अहम भूमिका का निर्वहन करेंगी।

    - विद्या सागर मिश्र, पुलिस अधीक्षक

    प्रशिक्षु महिला आरक्षी स्नातक करने के बाद मैं एक प्राइवेट कालेज में फिजिक्स पढ़ाती थी। मैं देखती थी कि हमारे आसपास काफी कुछ गलत हो रहा है। मैं उसे रोकना चाहती थी। उसे रोकने के लिए मुझे वर्दी की जरूरत थी। बस यहीं से पुलिस में जाने का ख्याल आया। तैयारी शुरू कर दी और सिपाही में भर्ती हो गई। अब इसी विभाग में ऊंचे पद तक जाने का इरादा है। उप निरीक्षक की तैयारी भी कर रही हूं।

    - अंकिता पाठक, झांसी

    मेरे पिता आर्मी में थे। उन्होंने ही पुलिस में जाने की सलाह दी। बाद में मेरी शादी हो गई। मेरे पति संजय सिंह भी पुलिस में है। उनकी तैनाती पीलीभीत में है। पति को अपनी इच्छा बताई तो उन्होंने मुझे बहुत प्रोत्साहित किया। इसके बाद तैयारी शुरू कर दी। तीसरे प्रयास में सफल हो गई। अब वर्दी पहनकर लोगों की सेवा और महिलाओं की सुरक्षा करुंगी।

    -अर्चना, सैदनगर, रामपुर

    मुझे पुलिस विभाग के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। पुलिस का क्या काम है और कैसे भर्ती होते हैं। जब छोटी थी, तब टीवी पर एक सीरियल में महिला पुलिस अधिकारी को देखकर मन में वर्दी पहनने की इच्छा जागी थी। मेरे परिवार व गांव में कोई महिला पुलिस में नहीं थी। मेरी इच्छा का मेरी मां व परिवार के सभी सदस्यों ने सम्मान किया और उन्होंने मुझे आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।

    - खुशी, मुजफ्फरनगर

    मेरे पिता का सपना था कि मैं पुलिस में जाऊं। हमारे परिवार में कोई महिला नौकरी नहीं करती थी, लेकिन मेरे पिता हम सभी भाई-बहनों को आत्मनिर्भर बनाना चाहते थे। मैं और मेरे भाई ने पुलिस में भर्ती होने के लिए तैयारी शुरू कर दी। घर पर ही पढ़ाई करते थे। पहले ही प्रयास में हम दोनों भर्ती हो गए। गांव जाकर दूसरी लड़कियों को भी आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित करूंगी।

    - खुशी यादव, झांसी

    मैंने कभी पुलिस में आने का नहीं सोचा था। मध्य प्रदेश में पुलिस बहुत कम है। चौराहों पर कभी-कभार पुलिस देखने को मिलती थी। हमारी बुआ जब पुलिस में भर्ती हुईं, तब पुलिस विभाग के बारे में पता चला। हमने तैयारी शुरू कर दी। इसी दौरान हमारे भइया पीएसी में भर्ती हो गए। अब पुलिस में रहकर लोगों की सेवा करेंगे। महिलाओं को जागरूक करेंगे। पुलिस की बेहतर छवि बनाने का प्रयास करेंगे।

    - शैफाली शुक्ला, जिला सीधी- मध्य प्रदेश