इस जिले में अपराधियों की खैर नहीं! कमर तोड़ने के लिए स्मार्ट क्लास में तैयार हो रहीं 600 बेटियां
रामपुर पुलिस लाइन में महिला आरक्षियों का प्रशिक्षण चल रहा है जिसमें मध्य प्रदेश और राजस्थान तक की बेटियां शामिल हैं। वे सुबह परेड के बाद स्मार्ट क्लास में अपराध से निपटने के आधुनिक तरीके सीख रही हैं। उनका लक्ष्य समाज में महिलाओं को सम्मान दिलाना और पुलिस की छवि सुधारना है। वे साइबर धोखाधड़ी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में भी दक्षता हासिल कर रही हैं।

अपराध के बदलते तौर तरीकों के साथ ही पुलिस प्रशिक्षण में भी बदलाव किया गया है। आरक्षी पद पर प्रशिक्षण ले रहीं छह सौ बेटियां साइबर अपराध व एआइ जैसी आधुनिक तकनीक के बारे में दक्ष हो रही हैं। मिशन शक्ति के तहत ये बेटियां महिला सशक्तीकरण की दिशा में अहम भूमिका का निर्वहन करेंगी।
- विद्या सागर मिश्र, पुलिस अधीक्षक
प्रशिक्षु महिला आरक्षी स्नातक करने के बाद मैं एक प्राइवेट कालेज में फिजिक्स पढ़ाती थी। मैं देखती थी कि हमारे आसपास काफी कुछ गलत हो रहा है। मैं उसे रोकना चाहती थी। उसे रोकने के लिए मुझे वर्दी की जरूरत थी। बस यहीं से पुलिस में जाने का ख्याल आया। तैयारी शुरू कर दी और सिपाही में भर्ती हो गई। अब इसी विभाग में ऊंचे पद तक जाने का इरादा है। उप निरीक्षक की तैयारी भी कर रही हूं।
- अंकिता पाठक, झांसी
मेरे पिता आर्मी में थे। उन्होंने ही पुलिस में जाने की सलाह दी। बाद में मेरी शादी हो गई। मेरे पति संजय सिंह भी पुलिस में है। उनकी तैनाती पीलीभीत में है। पति को अपनी इच्छा बताई तो उन्होंने मुझे बहुत प्रोत्साहित किया। इसके बाद तैयारी शुरू कर दी। तीसरे प्रयास में सफल हो गई। अब वर्दी पहनकर लोगों की सेवा और महिलाओं की सुरक्षा करुंगी।
-अर्चना, सैदनगर, रामपुर
मुझे पुलिस विभाग के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। पुलिस का क्या काम है और कैसे भर्ती होते हैं। जब छोटी थी, तब टीवी पर एक सीरियल में महिला पुलिस अधिकारी को देखकर मन में वर्दी पहनने की इच्छा जागी थी। मेरे परिवार व गांव में कोई महिला पुलिस में नहीं थी। मेरी इच्छा का मेरी मां व परिवार के सभी सदस्यों ने सम्मान किया और उन्होंने मुझे आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।
- खुशी, मुजफ्फरनगर
मेरे पिता का सपना था कि मैं पुलिस में जाऊं। हमारे परिवार में कोई महिला नौकरी नहीं करती थी, लेकिन मेरे पिता हम सभी भाई-बहनों को आत्मनिर्भर बनाना चाहते थे। मैं और मेरे भाई ने पुलिस में भर्ती होने के लिए तैयारी शुरू कर दी। घर पर ही पढ़ाई करते थे। पहले ही प्रयास में हम दोनों भर्ती हो गए। गांव जाकर दूसरी लड़कियों को भी आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित करूंगी।
- खुशी यादव, झांसी
मैंने कभी पुलिस में आने का नहीं सोचा था। मध्य प्रदेश में पुलिस बहुत कम है। चौराहों पर कभी-कभार पुलिस देखने को मिलती थी। हमारी बुआ जब पुलिस में भर्ती हुईं, तब पुलिस विभाग के बारे में पता चला। हमने तैयारी शुरू कर दी। इसी दौरान हमारे भइया पीएसी में भर्ती हो गए। अब पुलिस में रहकर लोगों की सेवा करेंगे। महिलाओं को जागरूक करेंगे। पुलिस की बेहतर छवि बनाने का प्रयास करेंगे।
- शैफाली शुक्ला, जिला सीधी- मध्य प्रदेश
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