पाकिस्तानी मूल की पूनम बनीं भारत की नागरिक, बोली- अब सबसे पहले बनवाऊंगी आधार कार्ड और पासपोर्ट
रामपुर की पूनम अब भारतीय नागरिक बन गई हैं, जिससे उनकी खुशी दोगुनी हो गई है। 12 साल से माता-पिता से मिलने को तरस रहीं पूनम को सीएए से उम्मीद मिली। 2005 में पुनीत से विवाह के बाद नागरिकता के लिए संघर्ष कर रही थीं। पासपोर्ट की समस्या के कारण मायके नहीं जा पा रही थीं। सीएए के तहत आवेदन करने के पांच महीने बाद उन्हें नागरिकता मिली। अब आधार कार्ड और पासपोर्ट बनवाकर मायके जाने की तैयारी में हैं।

21 साल का इंतजार खत्म
अनिल अवस्थी, रामपुर। पाकिस्तानी पूनम अब संवैधानिक रूप से भारतीय हो चुकी हैं। इस सौगात ने उनकी दीपावली की खुशियां दोगुणी कर दी हैं। नागरिकता के अभाव में वह 12 वर्षों से अपने माता-पिता से मिलने को तरस रही थीं। इस जनम में दोबारा पीहर जाने की उम्मीदें भी दम तोड़ चुकी थीं। ऐसे में सीएए ने उनकी उम्मीदों को नये पंख लगा दिए। अप्रैल में आवेदन किया और पांच महीने में ही उन्हें भारतीय नागरिकता मिल गई।
सिविल लाइंस स्थित बीपी कालोनी के रहने वाले पुनीत कुमार किराना कारोबारी हैं। 2005 में उनका विवाह पाकिस्तान स्थित पेशावर के पास स्वात वैली निवासी पूनम के साथ हुआ था। पूनम ने इंटर तक की पढ़ाई पाकिस्तान में ही की है। उनके पिता दीनानाथ चावला पाकिस्तान में चाय पत्ती के थोक कारोबारी हैं। उनके परिवार के कई सदस्य दिल्ली के जनकपुरी में रहते हैं।
पूनम बताती हैं कि वर्ष 2004 में उनके पिता ने भी अपने परिवारीजनों के साथ भारत में बसने का फैसला किया था। इसी क्रम में उन्होंने पहले अपने बेटे गगन चावला के साथ पूनम को दिल्ली भेज दिया। पूनम यहां अपनी बुआ के घर आ गई। रामपुर के पुनीत की भी पूनम के परिवार से रिश्तेदारी थी। बुआ ने पूनम का रिश्ता पुनीत के साथ तय करा दिया। वर्ष 2005 में पूनम के माता-पिता दिल्ली पहुंचे और दोनों का विवाह संपन्न कराने के बाद वापस लौट गए।
पूनम बताती हैं कि बाद में उनके माता-पिता ने पाकिस्तान छोड़ने का फैसला बदल दिया। वर्ष 2013 तक पूनम अपने पाकिस्तानी पासपोर्ट के जरिये माता-पिता से मिलने मायके जाती रहीं। मगर इसके बाद उसके पासपोर्ट के नवीनीकरण की तिथि निकल गई। इस वजह से उसका न तो वीजा बना और न ही वह पाकिस्तान जा सकी। तब से वह लगातार भारत की नागरिकता पाने के लिए परेशान थीं।
दिल्ली से लखनऊ के बीच कई चक्कर काटने के बावजूद सफलता नहीं मिली तो उन्होंने हार मान ली। इसी वर्ष मार्च में खुफिया विभाग के लोगों ने पूनम को बताया कि पिछले वर्ष 11 मार्च को नागरिकता संशोधन कानून लागू हो गया है। इस क्रम में वह एक बार फिर नागरिकता के लिए आवेदन कर दें। अप्रैल के प्रथम सप्ताह में पूनम ने नागरिकता के लिए आनलाइन आवेदन किया था। 18 सितंबर को उसके पास नागरिकता मिलने का मेल आ गया। वह कहती है कि उसे तो नागरिकता मिलने की उम्मीद ही नहीं बची थी मगर सीएए ने उसकी उम्मीदों को पंख लगा दिए।
सबसे पहले बनवाएंगी पासपोर्ट
पूनम बताती हैं कि उनका वश चले तो आज ही माता-पिता को मिलने पाकिस्तान चली जाएं। बोलीं, अब सबसे पहले आधार कार्ड और उसके बाद पासपोर्ट बनवाएंगी। दोनों देशों के बीच रिश्ते सुधरते ही अपने मायके होकर आएंगी। बताया कि नागरिकता न होने के कारण आज तक उनका न तो बैंक में खाता खुला और न ही मतदाता पहचानपत्र ही बना। अब ये सारी दिक्कतें दूर हो जाएंगी। इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद भी बोला।
भाई को वर्ष 2016 में मिल गई थी नागरिकता
पूनम के साथ भारत आए उसके भाई गगन चावला अब दिल्ली में ही रहते हैं। काफी प्रयासों के बाद उन्हें वर्ष 2016 में भारतीय नागरिकता मिल गई थी। पूनम बताती हैं कि उन्होंने भी इसके लिए आवेदन किया था। दिल्ली से उनकी फाइल रामपुर भेज दी गई। यहां से फाइल लखनऊ चली गई। इसके बाद फाइल से कुछ कागजात गुम हो गए। दिल्ली और लखनऊ के बीच वह कई बार दौड़ी। इसके बावजूद कामयाबी नहीं मिल पा रही थी।
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