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    जंगल में रोकनी पड़ी ट्रेन, सहमे यात्री

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 22 Nov 2018 10:51 PM (IST)

    मिलक : धमौरा और दुगनपुर रेलवे स्टेशन के बीच में रेल की पटरियां हादसे में क्षतिग्रस्त होन

    जंगल में रोकनी पड़ी ट्रेन, सहमे यात्री

    मिलक : धमौरा और दुगनपुर रेलवे स्टेशन के बीच में रेल की पटरियां हादसे में क्षतिग्रस्त होने के बाद ट्रेनों का आवागमन प्रभावित हुआ। ट्रेनों को मिलक, धमोरा और दुगनपुर आदि स्टेशनों पर खड़ा कर दिया गया। वहीं कुछ ट्रेनों को बीच जंगल घनघोर अंधेरे में पटरियों पर खड़ा कर दिया गया। देर रात को घने जंगल के बीच गाड़ी को रोकने पर यात्रियों में खलबली मच गई। यात्री ट्रेन के गार्ड और ड्राइवर से ट्रेन को जंगल में खड़ी करने का कारण पूछते रहे। कुछ ट्रेनों को कई-कई घंटों तक इसी तरह बीच रास्ते खड़ा होना पड़ा। ट्रेनों में सवार यात्रियों को ठंड के कारण परेशानी का सामना करना पड़ा। देर रात को ¨सगल लाइन की अप लाइन से ट्रेनों को उनके गंतव्य के लिए रवाना किया। सुबह साढ़े दस बजे के बाद रेलवे ट्रैक की काम चलाऊ मरम्मत कर दी गई और उसी ट्रैक पर कासन लगाकर ट्रेनों को मध्यम गति से गुजारा गया। ट्रेन संचालन चालू होने पर ट्रेनों में सवार यात्रियों ने राहत की सांस ली। मुझे लखनऊ जाना था, रात को सात बजे मैं घर से निकला और मिलक स्टेशन पर बैठकर ट्रेन का इन्तजार कर रहा था। घंटों इन्तजार करने के बाद भी कोई ट्रेन नहीं आई। पूरी रात स्टेशन पर बिताने के बाद अब मैं सुबह को वापस अपने घर लौटने को मजबूर हूं।

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    अनूप गुप्ता। मैं रोजाना कारोबार के सिलसिले में शाहजहांपुर जाता हूं। आज भी मुझे कारोबारी से मिलने के लिए शाहजहांपुर जाना था, लेकिन ट्रेन पलटने के कारण क्षतिग्रस्त पटरियों से ट्रेन यातायात ठप हो गया है।

    सूरज मौर्य। मुझे अपनी पुत्री के घर लखनऊ जाना था। इसके लिए मैं मिलक रेलवे स्टेशन से ट्रेन पकड़ता हूं। बरेली पहुंचने पर वहां से ट्रेन बदलकर दूसरी ट्रेन में सवार होकर लखनऊ जाता हूं। कोई रेलगाड़ी पलट गई है, इसलिए कोई भी ट्रेन नहीं मिलेगी।

    जोगा ¨सह। मैं और मेरा मित्र पंकज को शाहजहांपुर जाना था, लेकिन डाउन लाइन पर कोई रेलगाड़ी नहीं आ रही है। हमें बेहद परेशानी हो रही है। अब ट्रेन के ना होने के कारण रोडवेज पकड़कर शाहजहांपुर जाना होगा।

    विनोद सक्सेना। रेलवे की उदासीनता के चलते आए दिन रेल हादसे हो रहे हैं। पटरियां ठंड में सिकुड़ जाती हैं और गर्मियों में मुलायम हो जाती हैं। ठंड के दिनों में पटरियों के चटकने की घटनाएं अधिक होती हैं। शायद लापरवाही के कारण ही यह हादसा हुआ है।

    विनय कुमार। रात के सवा दस बजे जोरदार आवाज हुई। जैसे कोई बड़ी चीज रगड़ खाती हुई गुजरी हो। धमाके की आवाज सुनकर हम लोग पटरियों की ओर दौड़े। मौके पर देखा कि यहां पर तो रेलगाड़ी पटरियों किनारे पलटी हुई हैं। मन में ख्याल आया कि ट्रेन के डिब्बों के अंदर सवार यात्रियों का क्या हुआ होगा? मोबाइल की फ्लैश लाइट जलाकर हम लोगों ने डिब्बों के अंदर झांक कर देखा। उनमें कोई भी यात्री सवार नहीं था।

    मनोज यादव। रेल पलटने की सूचना पूरे गांव में आग की तरह चंद मिनटों में फैल गई। रेल हादसे की खबर गांव में फैलने पर ग्रामीण पटरियों की ओर दौड़े। मैं भी ग्रामीणों के साथ पटरियों पर मौके पर पहुंची। हमारे पहुंचने के कुछ देर बाद ही पुलिस फोर्स और रेल विभाग के कर्मचारी वहां पर पहुंच गए और ट्रेन के गार्ड को एंबुलेंस से सरकारी अस्पताल भिजवाया।

    अनीता देवी।