Azam Khan की आवाज के नमूने की मुरादाबाद प्रयोगशाला में नहीं हो पाई जांच, 15 साल पुराना है मामला
पिछली सुनवाई 29 अक्टूबर को हुई थी जिसमें अदालत में भाषण की आडियो रिकार्डिंग चलाई गई थी। इसे सुनने के बाद अदालत ने आजम खां की आवाज का सैंपल लेकर उसकी विधि विज्ञान प्रयोगशाला में जांच कराने के आदेश पुलिस अधीक्षक को दिए थे।

रामपुर, जागरण संवाददाता। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खां के खिलाफ 15 साल पहले दर्ज जाति सूचक शब्दों से अपमानित करने के मामले में तेजी आ गई है। इस मामले में अब तक नौ लोगों की गवाही हो चुकी है। बुधवार को फिर सुनवाई होगी। पिछली सुनवाई 29 अक्टूबर को हुई थी, जिसमें अदालत में भाषण की आडियो रिकार्डिंग चलाई गई थी। इसे सुनने के बाद अदालत ने आजम खां की आवाज का सैंपल लेकर उसकी विधि विज्ञान प्रयोगशाला में जांच कराने के आदेश पुलिस अधीक्षक को दिए थे। हालांकि मुरादाबाद की प्रयोगशाला ने आपत्ति लगाकर सैंपल वापस लौटा दिया है।
यह है मामला
आजम खां के खिलाफ दर्ज यह मामला वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव का है। प्रचार के दौरान उन्होंने टांडा तहसील क्षेत्र में जनसभा की थी। उन पर जनसभा में जातिसूचक टिप्पणी करने का आरोप है। तब बसपा नेता धीरज शील की ओर से टांडा थाने में आजम खां पर एससी-एसटी एक्ट की धारा में प्राथमिकी पंजीकृत कराई गई थी। बसपा नेता की मृत्यु हो चुकी है। मुकदमे की सुनवाई एमपी-एमएलए कोर्ट (सेशन ट्रायल) में चल रही है। कोर्ट ने 31 अक्टूबर 2021 को आजम खां पर आरोप तय कर दिए थे। मुकदमे में गवाही की प्रक्रिया चल रही है।
अब तक मामले में नौ लोग दे चुके गवाही
अब तक नौ गवाह हो चुके हैं। पिछली तारीख पर गवाही के लिए तत्कालीन नायब तहसीलदार गुलाब सिंह (वर्तमान में सेवानिवृत्त) को तलब किया गया था। उनकी मौजूदगी में अदालत ने भाषण की आडियो रिकार्डिंग को सुना। गवाह से आडियो में आ रही आवाज के बारे में सवाल किए थे। अदालत ने पुलिस अधीक्षक को आजम खां की आवाज का सेंपल लेकर विधि विज्ञान प्रयोगशाला मुरादाबाद से जांच कराने और कैसेट से उसका मिलान कराने के आदेश दिए थे।
आज फिर होगी मामले की सुनवाई
अदालत बुधवार को इस मामले में सुनवाई करेगी। पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार शुक्ला का कहना है कि आजम खां की आवाज का सेंपल लेकर मुरादाबाद प्रयोगशाला जांच के लिए भेजा गया था, जिसे आपत्ति लगाकर वापस भेज दिया गया है। आपत्ति में कहा गया है कि मुरादाबाद प्रयोगशाला में यह सुविधा उपलब्ध नहीं है। अब अदालत में यह आपत्ति रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे। अदालत जैसा आदेश करेगी, उसका पालन कराएंगे।
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