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    आजम खां की बढ़ेंगी मुश्किलें, डूंगरपुर प्रकरण में दोष सिद्ध; कोर्ट ने आज नहीं सुनाई सजा, फैसला सुरक्षित रखा

    Updated: Wed, 29 May 2024 03:31 PM (IST)

    सीतापुर की जेल में बंद आजम खां पर एक और केस में दोष सिद्ध हुआ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव आजम खां के विरुद्ध अब तक आठ मुकदमों में फैसला आ चुका है। इनमें पांच में सजा हुई है जबकि तीन में बरी हुए हैं। आजम के विरुद्ध 2019 में ताबड़तोड़ 84 मुकदमे दर्ज हुए थे जबकि 20 मुकदमे पहले से दर्ज थे। वर्तमान में ज्यादातर न्यायालय में विचाराधीन हैं।

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    आजम खां पर एक और केस में दोष सिद्ध हो गया है।

    जागरण संवाददाता, रामपुर। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव आजम खां को डूंगरपुर प्रकरण में बुधवार को एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट (सेशन ट्रायल) ने दोषी ठहराया है। आजम खां और बरकत अली ठेकेदार को न्यायालय ने बुधवार को सजा नहीं सुनवाई, बल्कि फैसला सुरक्षित रख लिया है।

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    अब गुरुवार को सजा पर फैसला सुनाया जाएगा। न्यायालय ने आजम खां को धारा 452, 392, 504, 506 और 120 बी में दोष सिद्ध किया है, जबकि धारा 307 में दोषमुक्त किया है। इसके अतिरिक्त बरकत अली ठेकेदार को धारा 452, 392, 504 और 506 में दोष सिद्ध किया है, जबकि धारा 447, 307 व 411 में दोष मुक्त किया है। आजम खां सीतापुर जेल में हैं, जेल से ही वीडियो कांफ्रेंस से पेशी हुई।

    सपा सरकार में 2016 में डूंगरपुर बस्ती में रह रहे लोगों के मकान तोड़कर आसरा आवास बनाए गए थे। वर्ष 2019 में बेघर 12 लोगों ने गंज कोतवाली में अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज कराई ।आरोप था कि सपा सरकार में आजम खां के इशारे पर पुलिस और सपाइयों ने उनके घरों को जबरन खाली कराया था। उनका सामान लूट लिया और मकानों पर ध्वस्त कर दिया था। इन मुकदमों में पहले आजम खां नामजद नहीं थे।

    अन्य आरोपितों की गिरफ्तारी और उनके बयानों के आधार पर पुलिस ने उनको भी आरोपित बनाया था। इससे पूर्व आजम खां के खिलाफ आठ मुकदमों में फैसला आ चुका है। पांच में उन्हें सजा हुई है, जबकि तीन में बरी हो चुके हैं। एक मामले में उनको सात साल की सजा हुई थी। जिसमें उन्हें हाई कोर्ट से जमानत मिल चुकी है। लेकिन, एक अन्य मामले में सजा होने के कारण उनकी रिहाई नहीं हो सकी है। आजम पर 84 मुकदमे अभी विचाराधीन हैं।

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    जान से मारने के लिए किया फायर

    बुधवार को पत्रावली पर निर्णय आना है। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता सीमा राणा के अनुसार फैसला लंच बाद आ सकता है। यह मुकदमा अबरार हुसैन की ओर से कराया गया था। उनका कहना था कि छह दिसंबर 2016 को सुबह आठ बजे पूर्व सीओ सिटी आले हसन खां, दारोगा फिरोज खां, बरकत अली ठेकेदार, सीएंडडीएस के अभियंता परवेज आलम घर में घुस आए थे। जान से मारने की नीयत से उनके ऊपर तमंचे से फायर किया गया। वह जान बचाकर भाग गए थे। इसके बाद उनके घर में जेवर नकदी आदि लूट ली गई। उनके घर को बुलडोजर चलाकर ध्वस्त कर दिया गया था।

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    इस मामले में दारोगा फिरोज खां और अभियंता परवेज आलम की पत्रावली अलग कर दी गई थी, जबकि पूर्व सीओ आले हसन खां के मामले में हाईकोर्ट से रोक लगी है। ऐसे में आजम खां और बरकत अली ठेकेदार की पत्रावली पर ही निर्णय आएगा। इन दोनों को ही 18 मार्च को भी डूंगरपुर प्रकरण के एक मामले में सजा हो चुकी है। आजम खां को सात और बरकत अली ठेकेदार को पांच साल कैद की सजा हुई थी।