आजम खान और बेटे अब्दुल्ला को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, इन दो मामलों में ट्रायल पर लगाई रोक
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी जिसमें रामपुर के एपमी-एमएलए कोर्ट को पूर्व विधायक और समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान के बेटे मोहम्मद अब्दुल्ला आजम खान से जुड़े दो मामलों में ट्रायल जारी रखने का निर्देश दिया गया था।

नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें रामपुर के एपमी-एमएलए कोर्ट को पूर्व विधायक और समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान के बेटे मोहम्मद अब्दुल्ला आजम खान से जुड़े दो मामलों में ट्रायल जारी रखने का निर्देश दिया गया था। जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने अब्दुल्ला द्वारा दायर अपील पर उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस भी जारी किया।
23 जुलाई को हाई कोर्ट ने अब्दुल्ला द्वारा दायर दो याचिकाओं को खारिज कर दिया था, जिसमें उनके खिलाफ चल रहे आपराधिक मामलों की कार्यवाही को चुनौती दी गई थी। पहला मामला अब्दुल्ला के कथित फर्जी पासपोर्ट से संबंधित है और दूसरा मामला उनके द्वारा दो पैन कार्ड हासिल करने से जुड़ा है। हाई कोर्ट ने कहा, ''मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए यह आवेदन मेरिट से रहित है और इसे खारिज किया जाना चाहिए।''
अब्दुल्ला ने हाई कोर्ट में अलग-अलग याचिकाएं दायर की थीं, जिसमें उन्होंने रामपुर के एपमी-एमएलए कोर्ट कोर्ट में चल रहे आपराधिक मामलों की पूरी कार्यवाही को रद करने की मांग की थी।
भाजपा विधायक आकाश सक्सेना ने 30 जुलाई, 2019 को अब्दुल्ला के खिलाफ रामपुर में धोखाधड़ी और पासपोर्ट अधिनियम के उल्लंघन का मामला दर्ज कराया था। शिकायत के अनुसार, अब्दुल्ला को 10 जनवरी, 2018 को पासपोर्ट जारी किया गया था, जिसमें जन्म तिथि 30 सितंबर 1990 बताई गई थी, जबकि उनके शैक्षणिक प्रमाणपत्रों में यह एक जनवरी, 1993 है।
सक्सेना ने अब्दुल्ला और उनके पिता आजम खान के खिलाफ छह दिसंबर, 2019 को सिविल लाइन्स पुलिस स्टेशन में एफआइआर भी कराई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि अब्दुल्ला ने 2017 विधानसभा चुनावों में अपने चुनावी हलफनामे में गलत पैन नंबर दिया था। सक्सेना ने आजम खान पर भी धोखाधड़ी और झूठ बोलने का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि सपा नेता ने अपने बेटे के लिए धोखाधड़ी के माध्यम से दो पैन कार्ड बनवाए ताकि वह चुनाव लड़ सके। उनके अनुसार, अब्दुल्ला ने चुनाव आयोग को प्रस्तुत हलफनामे में इस तथ्य को छिपाया। उन्होंने हलफनामे में एक पैन नंबर दिखाया लेकिन अपने आयकर रिटर्न दस्तावेजों में दूसरे नंबर का इस्तेमाल किया।
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