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    साहित्यकार जाकिर अली का निधन

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    Updated: Wed, 08 Feb 2012 10:24 PM (IST)

    रामपुर। उर्दू के साहित्यकार एवं पाकिस्तान में अलीगढ़ तकनीकी विश्वविद्यालय की स्थापना करने वाले जाकिर अली का करांची में निधन हो गया। उनको दो वर्ष पूर्व अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ने सर सैयद अवार्ड से सम्मानित किया था। उनके निधन की सूचना पर सौलत पब्लिक लाइब्रेरी स्टाफ शोक में है।

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    रामपुर स्टेट पीरियड में मोहल्ला झंडा निवासी जाकिर अली के पिता बाकर अली खां रामपुर के पुलिस अधीक्षक थे। उन्होंने सन् 1947 से एएमयू से इंजीनियरिंग की। देश विभाजन के बाद करांची में जाकर बस गए। वहां वाटर एवं सीवरेज बोर्ड के प्रबंध निदेशक बने। करांची में ही एएमयू ओल्ड ब्वायज एसोसिएशन बनाई। साथ ही अहबाबे रामपुर इंटरनेशन की करांची में बुनियादी रखी। साहित्यिक रूचि के चलते कई पुस्तकें लिखी। जिसमें बराये गम, मरहबा अल्हाज, माई बाप, यादों का दस्तरखान, दीवाने आम, मियां की अटरिया आदि प्रमुख हैं। वर्तमान में वह पाकिस्तान में उर्दू की साहित्यिक पत्रिका तहजीब के प्रकाशक एवं संपादक थे। सौलत पब्लिक लाइब्रेरी के अध्यक्ष सीन शील आलम ने बताया कि उनके निधन से साहित्यिक क्षति हुई है। सौलत पब्लिक लाइब्रेरी रामपुर भी उनके ससुर सौलत अली खां की ही देन है। करांची में वह रामपुर वालों से लगातर संपर्क बनाए रखते और जो रामपुर से जाता उसे काफी समय देते। मोहल्ला झंडे में उनके पिता सुपरिंटेंडेंटके नाम से मशहूर थे, उनका मकान आज भी सुपरिंटेंडेंट साहब की कोठी से जाना जाता है।

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