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    जैन धर्म में त्याग व दान का बड़ा महत्व

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    Updated: Tue, 13 Sep 2016 10:02 PM (IST)

    बिलासपुर: श्री दिगंबर जैन मंदिर में दशलक्षण महापर्व के आठवें लिह उत्तम त्याग धर्म की व्याख्या की। पं

    बिलासपुर: श्री दिगंबर जैन मंदिर में दशलक्षण महापर्व के आठवें लिह उत्तम त्याग धर्म की व्याख्या की। पंडित जय कुमार जैन ने कहा कि उत्तम त्याग अत्यंत महत्वपूर्ण धर्म है, हमें त्याग व दान करते रहना चाहिए। दान चार प्रकार का होता है औषधि दान, शास्त्र दान, अभय दान एवं आहार दान। निर्धन की सहायता कर धन का सदुपयोग किया जा सकता है। इससे पहले श्री जी का अभिषेक हुआ। दिनेश चंद्र जैन ने प्रथम कलश से श्री जी का अभिषेक किया। इसके बाद चतुष्कोणीय दिशाओं से राजीव जैन, अंकुर जैन, सुदीप जैन, आकर्ष जैन ने कलश अभिषेक किया। निशा-शालू जैन ने सपरिवार सहित मंगल आरती की। तत्पश्चात शांति विधान किया गया जिसमें असमय मृत्यु को प्राप्त होने वाले प्रत्येक प्राणी के लिए सद्गति की कामना भी की गई। साथ ही मुख्य आकर्षण इक्यावन पुजारियों द्वारा विश्व शांति धारा रहा। सायंकालीन कार्यक्रम में सामूहिक मंगल आरती के पश्चात लता जैन एवं राशि जैन ने भजन सुनाएं। अवनि जैन ने उत्तम त्याग पर विचार रखे। अंत में कनिका जैन ने बूझो तो जाने प्रतियोगिता कराई, जिसमें नितिन जैन, आरती जैन, मधु जैन, सृष्टि जैन आदि ने पुरस्कार जीते। कोमल जैन, आशीष जैन, प्रियांश जैन, सुमन जैन, साक्षी जैन, प्रज्ञा जैन, विनीता जैन, साधना जैन, जूही जैन, अरिहंत जैन, सलोनी जैन, विपुल जैन, सक्षम जैन आदि मौजूद रहे।

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