सम्पूर्ण ब्रह्मांड के स्वामी हैं शिव
शिव ही विश्व का कल्याण करते हैं। सृष्टि के कण-कण में उनका वास है। शिव शब्द का मूल भाव होता है कल्याण
शिव ही विश्व का कल्याण करते हैं। सृष्टि के कण-कण में उनका वास है। शिव शब्द का मूल भाव होता है कल्याण, सुख व आनंद। शास्त्रों के अनुसार ईश्वर ने सृष्टी की उत्पत्ति, पालन और प्रलय, इन तीन कार्यों के लिए स्वयं को ब्रह्मा, विष्णु और शिव के रूपों में विभक्त कर रखा है। यथार्थ में ये तीनों एक ही है। शिवपुराण के अनुसार एक बार ब्रह्मा तथा विष्णु में यह विवाद छिड़ा कि हम दोनों में बड़ा कौन है-इसका निर्णय कर लिया जाय द्य जिस समय वे विवाद में संलग्न थे ,उसी समय उन दोनों के मध्य एक दिव्य ज्योतिर्लिंग प्रकट हुआ द्य उसका विस्तार अपरम्पार था द्य उसे देखकर दोनों ही आश्चर्य -चकित रह गये द्य फिर उन्होंने परस्पर विचार कर के यह निश्चय किया की हम दोनों में से जो कोई इस ज्योति¨लग के ओर -छोर का पता लगाएगा ,वही बड़ा माना जाएगा द्य परन्तु कोई भी इसमें सफल् नहीं हुआ। उसी समय उस ज्योतिर्लिंग के मध्य से भगवान शिव सहसा ही प्रकट हुए और उन्होंने अपने परम तेजस्वी दिव्य स्वरुप के दर्शन देकर ब्रह्मा और विष्णु दोनों को यह ज्ञान दिया कि शिव ही सम्पूर्ण ब्रह्मांड के स्वामी हैं। वे अनंत हैं। उनकी उपासना से परम ज्ञान की प्राप्ति होती है, जिससे मोक्ष मिलता है।
अर¨वद कुमार शर्मा, सांई मंदिर रामपुर
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