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    UP News: खेत की जोताई के दौरान मिली अंग्रेजी हुकूमत की तलवारें व बंदूक की नाल, देखने के ल‍िए लगी लोगों की भीड़

    By vikash chandra bajpaiEdited By: Vinay Saxena
    Updated: Fri, 03 Nov 2023 10:54 PM (IST)

    राम प्रसाद शुक्रवार को ट्रैक्टर से अपने खेत की जोताई व ऊंचे हिस्से को समतल करा रहे थे। इसी दौरान खेत में तीन तलवारें व एक बंदूक की नाल लोहे की रॉड मिली। खेत में तलवार व बंदूक की नाल मिलने की खबर क्षेत्र में आग की तरह फैल गई। कुछ युवकों ने तलवारों का वीडियो बनाकर सोशल मीड‍िया पर वायरल कर द‍िया। वीडियो वायरल होने के बाद मौके पर पहुंची पुलिस खेत के स्वामी को चौकी ले आई और पूछताछ की।

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    खेत समतल करने के दौरान निकली तलवारों व बंदूक की नाल के साथ बैठे ग्रामीण।- जागरण

    संवाद सूत्र, लालगंज। भीरा गोविंदपुर में खेत की जोताई के दौरान पुरानी तलवारें व बंदूक की नाल मिलीं हैं। पुलिस ने सभी हथियार अपने कब्जे में लिए हैं। लोगों का कहना है कि ये हथियार अमर शहीद राणा बेनीमाधव की सेना के हैं, जो अंग्रेजों से युद्ध के बाद जमीन में छिपा दिए गए थे। गांव के राम प्रसाद शुक्रवार को ट्रैक्टर से अपने खेत की जोताई व ऊंचे हिस्से को समतल करा रहे थे। इसी दौरान खेत में तीन तलवारें व एक बंदूक की नाल, लोहे की रॉड मिली। खेत में तलवार व बंदूक की नाल मिलने की खबर क्षेत्र में आग की तरह फैल गई। कुछ युवकों ने तलवारों का वीडियो बनाकर सोशल मीड‍िया पर वायरल कर द‍िया। वीडियो वायरल होने के बाद मौके पर पहुंची पुलिस खेत के स्वामी को चौकी ले आई और पूछताछ की।

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    माना जा रहा है कि बंदूक की लकड़ी सड़ जाने के चलते लोहे की नाल टूटकर अलग हो गई है। तलवारों व बंदूक की नाल में लगी जंग देखकर अंदाजा लगाया जा रहा है कि सभी हथियार काफी पुराने हैं। ग्रामीणों का कहना है कि तलवारों की बनावट व उनमें लगी जंग देखकर लगता है कि ये सब अंग्रेजों के समय की हैं।

    रपतगंज चौकी प्रभारी मनोज यादव ने बताया कि तीन पुरानी तलवारें, बंदूक की नाल व बारूद भरने वाली राड खेत में दबी मिली है। तलवार व बंदूक पर लगे जंग की मोटाई देखकर अंदाजा लगाया जा रहा है कि यह सब 100 साल से अधिक पुरानी हैं। तलवारों की लंबाई लगभग 80 सेंटीमीटर व एक मस्कट की नाल, जिसकी लंबाई तकरीबन 105 सेंटीमीटर और बारूद भरने की राड बरामद हुई है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को रिपोर्ट भेजी जा रही है। जांच में ही यह पता चलेगा कि तलवारें कितनी पुरानी हैं।

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    80 के दशक में निकली थीं पांच तलवारें

    ग्रामीण भोला शंकर तिवारी व अजय त्रिवेदी का कहना है कि राणा बेनी माधव का रणक्षेत्र भीरा गोविंदपुर था। भीरा में राणा बेनी माधव की छावनी बनी थी। इसी गांव के किनारे बड़ैला ताल के पास अंग्रेजों से राणा बेनीमाधव की सेना के बीच भीषण युद्ध हुआ था। माना जा रहा है कि ये हथियार उसी समय के होंगे।

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    अजय पांडेय ने बताया कि 80 के दशक में साधन सहकारी समिति निर्माण के दौरान कुएं की खोदाई में तलवारें निकली थी, जिसमें एक दुधारा सहित पांच तलवारें थी, जो आज भी दिल्ली के संग्रहालय में सुरक्षित रखी हुई हैं। खेत में निकली ये वही तलवारें हैं जो आजादी की लड़ाई में राणा बेनी माधव और वीरा पासी जैसे महान सपूतों की सेना के द्वारा प्रयोग की गई थीं।