रायबरेली एम्स में पहली बार रोबोट की मदद से हुआ घुटने का ट्रांसप्लांट, हड्डी रोग विभाग ने हासिल की उपलब्धि
रायबरेली एम्स में पहली बार रोबोट की मदद से घुटने का ट्रांसप्लांट किया गया। हड्डी रोग विभाग ने इस ऑपरेशन को सफलतापूर्वक किया, जिससे यह संस्थान रोबोटिक ...और पढ़ें

एम्स में पहली बार रोबोट की मदद से हुआ घुटने का ट्रांसप्लांट।
जागरण संवाददाता, रायबरेली। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) बेहतर सुविधाएं देने के साथ ही नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। एम्स में पहली बार रोबोट की मदद से घुटने का प्रत्यारोपण सफलतापूर्वक किया। यह जटिल ऑपरेशन संस्थान के हड्डी रोग विभाग ने किया।
रोबोट की सहायता से की गई इस सर्जरी का लाभ दो मरीजों को मिला। हड्डी रोग विभागाध्यक्ष डॉ. गौरव कुमार उपाध्याय ने बताया कि रोबोटिक सहायता से घुटने का प्रत्यारोपण पारंपरिक तकनीक की तुलना में अधिक सटीक होता है।
इस तकनीक में रोगी के घुटने की संरचना के अनुसार पूर्व नियोजित सर्जिकल योजना बनाई जाती है, जिससे सर्जरी के दौरान हड्डी की कटाई, इंप्लांट की स्थिति व लिगामेंट संतुलन अत्यंत सटीकता से किया जाता है।
पूरी प्रक्रिया में सर्जन का नियंत्रण बना रहता है और रोबोट सहायता प्रदान करता है। कार्यकारी निदेशक प्रो. अमिता जैन ने बताया कि लंबे समय से घुटने के दर्द और अर्थराइटिस से पीड़ित रोगियों के लिए टीकेआर एक जीवन परिवर्तनकारी उपचार है।
एम्स में रोबोटिक घुटने का प्रत्यारोपण की शुरुआत से अब आस-पास क्षेत्र के मरीजों को विश्व स्तरीय आर्थोपेडिक उपचार अपने ही क्षेत्र में उपलब्ध हो सकेगा। उन्होंने सफल सर्जरी के लिए विभाग को बधाई दी।
पहले दिन सर्जरी की अगुवाई विभागाध्यक्ष डॉ. गौरव कुमार उपाध्याय ने की और उनके साथ डॉ. मिथिलेश रंजन और डॉ. रजत यादव शामिल रहे। दूसरे दिन की सर्जरी डॉ. पुलकेश सिंह ने की और उनके साथ डॉ. संजय सिंह शामिल रहे।
सर्जरी की सफलता में एनस्थीसिया टीम का महत्वपूर्ण योगदान रहा, जिसमें विभागाध्यक्ष डॉ. अलीम, डॉ. कालीचरण, डॉ. अभय यादव, डॉ. विजय अदाबला और डॉ. विनय पाठक रहे। नर्सिंग स्टाफ श्री शुभम गर्ग, शुभम शर्मा एवं टेक्नीशियन साहिल समेत अन्य शामिल रहे।

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