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    जन्मतिथि में हेरफेर करके बन गया था ACMO, आखिर क्यों बलरामपुर अस्पताल में तैनाती चाहता था?

    Updated: Tue, 30 Sep 2025 08:13 PM (IST)

    रायबरेली में एसीएमओ डॉ. दशरथ यादव का जन्मतिथि फर्जीवाड़ा उजागर हुआ। उच्च अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद बलरामपुर में पोस्टिंग पाने की उनकी कोशिश नाकाम रही और उनके अभिलेखों की जांच में धोखाधड़ी पाई गई। विभाग का कहना है कि वह संपर्क से बाहर हैं और जांच से बचने के लिए फरार हैं। अब पुलिस इस मामले की जांच कर रही है और एसीएमओ की तलाश जारी है।

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    जन्मतिथि में हेरफेर करके बन गया था ACMO।

    जागरण संवाददाता, रायबरेली। जन्मतिथि में फर्जीवाड़ा करके एसीएमओ डा. दशरथ यादव का मन बढ़ गया था। उसकी पहुंच ऊंचे पदों तक थी, इसमें भी कोई संदेह नहीं है। उन्हीं ऊंची पहुंच वाले लोगों से दबाव बनवाकर वह बलरामपुर पोस्टिंग कराने के जुगाड़ में लग गया।

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    रिफारिशें भी उसके लिए खूब हुई, लेकिन इन्हीं सिफारिशों के दौरान उच्चाधिकारियों की नजर में वह आ गया। उसके अभिलेखों की जांच कराई गई तो फर्जीवाड़ा सामने आया। बलरामपुर अस्पताल में पोस्टिंग कराने के पीछे भी कोई बड़ा खेल था, लेकिन इस बार वह कामयाब नहीं हो सका।

    जिले में तैनाती के दौरान एसीएमओ अपने दायित्वों का निर्वहन बेहतर तरीके से नहीं कर रहे थे, यह विभाग को भी पता था। यहां आने के बाद एसीएमओ इंतजार में थे कि किसी तरह उनकी पोस्टिंग बलरामपुर अस्पताल में हो जाए। वहां पोस्टिंग तो नहीं हुई, लेकिन उनका फर्जीवाड़ा सामने आ गया।

    विभागीय अधिकारियों की माने तो उनका फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद से वह सामने नहीं आए। एसीएमओ से विभागीय अधिकारियों का भी कोई संपर्क नहीं हो पा रहा है, यहां तक कि विभाग की ओर से उनके आंबेडकर नगर पता समेत अन्य पतों पर पत्राचार किया जा रहा है, लेकिन कोई भी पत्र रिसीव नहीं हो रहा है।

    उनसे कोई संपर्क व पत्राचार न होने की बात उच्चाधिकारी भी स्वीकार कर चुके हैं। बताते हैं कि जांच से बचने के लिए एसीएमओ फरार हैं और कुछ दिन बीतने के बाद ठिकाना भी बदल रहे हैं। फिलहाल, अब एसीएमओ की जांच पुलिस के पास पहुंची। इस मामले की जांच के लिए पुलिस ही एसीएमओ का पता लगाएगी।