रायबरेली रेलवे स्टेशन पर कोलकाता से लाए गए एचबीम स्लीपर लगाए जाएंगे, ट्रेन गति में सुधार होगा
रायबरेली के रेलवे स्टेशनों और पुलों पर अब आधुनिक एचबीएम स्लीपर लगाए जा रहे हैं। कोलकाता से तैयार ये स्लीपर पुराने स्लीपरों से अधिक टिकाऊ हैं और इनकी आयु लगभग 20 वर्ष है। उबरनी और डलमऊ स्टेशनों पर इन्हें लगाया जा रहा है जिससे ट्रेनों की गति बढ़ेगी और यात्रा में समय की बचत होगी। रेलवे के इस कदम से यात्रियों को काफी सुविधा मिलेगी।

जागरण संवाददाता, रायबरेली। जिले के रेलवे स्टेशनों और रेलमार्गों पर स्थित पुलों और नहरों पर अब आधुनिक तकनीक से बने एचबीम स्लीपर लगाए जा रहे हैं।
यह स्लीपर कोलकाता से विशेष रूप से तैयार किए गए हैं, जिनकी आयु लगभग 20 वर्ष होगी। यह पहले से उपयोग हो रहे स्लीपर्स से कहीं अधिक टिकाऊ और सुरक्षित माने जा रहे हैं, जिनकी औसतन अवधि 10 से 15 वर्ष होती थी।
उबरनी और डलमऊ स्टेशनों पर लगभग 500 मीटर लंबाई में एचबीम स्लीपर लगाए जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त डलमऊ से बहाई, लालगंज से बहाई, लालगंज से रघुराज सिंह और रघुराज सिंह से तकिया रेलवे पुलों तक इस नई तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है।
जल्द ही सभी चिन्हित स्थानों पर स्लीपर लगाने का कार्य पूर्ण कर लिया जाएगा। रेलवे अधिकारियों के अनुसार एचबीम स्लीपर लगने के बाद पुलों पर अब तक ट्रेन की गति को सीमित करने के लिए लगाए गए काशनों (स्पीड रेस्ट्रिक्शन डिवाइसेस) को हटा दिया जाएगा।
इससे न केवल ट्रेन की गति बढ़ेगी बल्कि यात्रियों को समय की भी बचत होगी। साथ ही, ट्रेनों की आवाजाही में अधिक सुगमता आएगी और दुर्घटनाओं की संभावना भी कम होगी।
स्थानीय रेलवे इंजीनियरों ने बताया कि ये स्लीपर मजबूत बीम से बने होते हैं, जो पुलों की संरचना को अधिक स्थायित्व और मजबूती प्रदान करते हैं। इससे भविष्य में मेंटेनेंस की जरूरत भी कम होगी और रेलवे को लंबे समय तक लाभ मिलेगा।
रेलवे के इस कदम को यात्रियों और स्थानीय लोगों द्वारा सराहा जा रहा है। उम्मीद की जा रही है कि आधुनिक स्लीपरों के कारण क्षेत्र की रेल सेवाएं पहले से कहीं अधिक बेहतर होंगी। रेल पथ निरीक्षक बीबी सिंह का कहना है कि पहले चैनल स्लीपर लगाए जाते थे जिसकी हाइट भी कम होती थी जिसकी अवधि 10 से 15वर्ष तक होता था लेकिन अब कलकत्ता से तैयार आधुनिक एचबीम स्लीपर पुलों पर लगाए जा रहे है। जिनकी क्षमता भी 20वर्ष तक होता है।
जिन्होने बताया कि ये सभी रेलमार्ग पर पड़ने वाले पुलों के पास लगाए जाएंगे।जिसके लगने के बाद वहां पर लगे धीमी गति के संकेतक का काशन हटा दिया जाएगा।जिससे ट्रेनों की रफ्तार बढ़ेगी।
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