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    नौकरी छोड़िए! सिर्फ 60 दिन में ये फसल देगी आपको मोटा मुनाफा, जानिए यूपी के इस किसान की Success Story

    Updated: Sat, 06 Sep 2025 06:00 AM (IST)

    रायबरेली के जमुनापुर निवासी संजय सिंह ने नौकरी न मिलने पर खीरे की खेती शुरू की और लाखों की कमाई कर रहे हैं। उन्होंने नई तकनीक का इस्तेमाल किया और 16 परिवारों को रोजगार भी दिया। कृषि विभाग भी उनकी मदद कर रहा है जिससे अन्य किसानों को भी प्रेरणा मिल रही है। खीरे की खेती से अच्छी आमदनी हो रही है।

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    खीरे की खेती से संजय को मिली नई पहचान, पांच लाख महीने की हो रही आमदनी।

    लालजी शुक्ल, रायबरेली। कदम चूम लेती है खुद बढ़कर मंजिल, मुसाफिर अगर अपनी हिम्मत न हारे। यह पंक्तियां जमुनापुर निवासी प्रगतिशील किसान संजय सिंह पर सटीक बैठती हैं। कारण ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी कर दर-दर नौकरी के लिए भटकना पड़ा।

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    सफलता न मिलने पर चार बीघे भूमि पर नई तकनीक से खीरा की खेती कर साधारण नौकरी करने वालों को पछाड़कर लाखों की आमदनी के साथ क्षेत्र में कीर्तिमान स्थापित कर परिवार को नई दिशा दे रहे हैं। साथ ही क्षेत्र के लगभग 16 परिवार के लोगों को रोजगार मुहैया करा रहे हैं।

    गांव निवासी राम बहादुर सिंह पारंपरिक रूप से धान और गेहूं की खेती कर परिवार का भरण पोषण करते थे। इनके दो बेटे हैं, पिता की मृत्यु के बाद परिवार की सारी जिम्मेदारी बड़े बेटे संजय सिंह सारंग पर आ गई। वर्ष 2013 में ग्रेजुएशन के बाद संजय नौकरी की तलाश में दर-दर भटकते रहे, लेकिन मनमुताबिक कहीं भी रोजगार नहीं मिल सका और परिवार आर्थिक तंगी का शिकार होता गया।

    इसके बाद युवक अपने मामा के घर छत्तीसगढ़ चला गया, जहां कृषि वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र में नई तकनीक से खेती करने का प्रशिक्षण लिया। संजय सिंह वर्ष 2023 में अपने घर लौटे और दो बीघे अगेती वैज्ञानिक तौर तरीके से खीरे की खेती करने की शुरुआत की।

    दरियापुर स्थित उद्यान विभाग से संपर्क कर इरिगेशन सिस्टम ड्रिप के साथ जिगजैग व मल्चिंग विधि से बीएनआर किस्म की पांच हजार खीरे की नर्सरी डाली। फसल को नुकसान न हो इसलिए रस्सियों से बाड़ बनाकर चढ़ा दिया। संजय ने बताया कि यह फसल 60 से 70 दिनों की होती है।

    28 दिनों बाद फल टूटने शुरू हो जाते हैं। इनके मुताबिक एक एकड़ खेत से हर तीसरे दिन 25 से 30 क्विंटल खीरे की पैदावार होती है, जिससे औसतन 25 से 30 रुपये प्रति किलो यानि 60 से 70 हजार रुपये की आमदनी होती है।

    इस तरह महीने में पांच से छह लाख रुपये प्रतिमाह की आमदनी हो रही है। उन्होंने बताया कि तैयार खीरे की फसल को ऊंचाहार, लालगंज, रायबरेली व प्रयागराज की थोक मंडियों में भेजा जाता है।

    संजय का कहना है कि वैज्ञानिक विधि से खीरे की खेती कर अच्छी आमदनी के साथ बच्चों की शिक्षा व परिवार का भरण पोषण बहुत ही अच्छे तरीके से हो रहा है। कोई भी किसान खीरे की खेती से अच्छा लाभ ले सकते हैं।

    पचखरा निवासी उदय सिंह कछवाह, बबलू मिश्र, कोटिया चित्रा निवासी नीरज सिंह बघेल, होरैसा निवासी यशु सिंह, बाहर पुर गांव के कुलदीप सिंह, पूरे छेदी निवासी गणेश प्रसाद भी उनसे सीख लेकर खीरे की खेती की ओर कदम बढ़ा रहे हैं।

    कृषि विभाग के ब्लाक तकनीकी प्रबंधक शिवचरन वर्मा ने बताया कि किसान द्वारा खीरे की खेती से उत्कृष्ट उत्पादन किया जा रहा है, जिसकी वजह से अन्य किसान भी प्रेरणा लेकर नई तकनीक से खेती कर समृद्धवान बन सकते हैं। उन्नशील किसानों को अनुदान पर दिए जाने वाले कृषि यंत्र मांग पर समय से उपलब्ध कराए जाएंगे।

    16 मजदूरों को निरंतर मिल रहा रोजगार

    शिव शंकर, विनोद कुमार, गणेश प्रसाद, गोपाल, राजू, महेश प्रसाद ने बताया कि बरसात के दिनों में जल भराव के कारण शासन द्वारा संचालित मनरेगा योजना भी बंद हो जाती है, जिसके चलते परिवार आर्थिक तंगी से गुजरने लगे। फसल की रखवाली, रखरखाव व तोड़ाई का काम मिला तो इनके परिवार खुशी से झूम उठे।

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