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    Raebareli News: रंगदारी मांगने वालों के आगे नतमस्तक यूपी पुलिस, भूमि विवाद में दे रहे जानमाल की धमकी

    By Jagran NewsEdited By: Siddharth Chaurasiya
    Updated: Fri, 04 Aug 2023 07:54 PM (IST)

    रायबरेली जिले के लालगंज पुलिस की कार्यशैली एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है। जानलेवा हमला और रंगदारी मांगने के मामले में पुलिस आरोपितों पर कार्रवाई नहीं कर रही है। उल्टा पीड़ित परिवार को धमकाया जा रहा है। पुलिस पीड़ित परिवार पर सुलह का दबाव बना रही है और विपक्षी दोबारा जानमाल की धमकी दे रहे हैं।

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    लालगंज पुलिस की कार्यशैली एक बार फिर से सवालों के घेरे में आ गई है। (सांकेतिक तस्वीर)

    जागरण संवाददाता, रायबरेली। लालगंज पुलिस की कार्यशैली एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है। जानलेवा हमला और रंगदारी मांगने के मामले में पुलिस आरोपितों पर कार्रवाई नहीं कर रही है। उल्टा पीड़ित परिवार को धमकाया जा रहा है। पुलिस पीड़ित परिवार पर सुलह का दबाव बना रही है और विपक्षी दोबारा जानमाल की धमकी दे रहे हैं।

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    स्थानीय स्तर पर न्याय न मिलता देख मामले की शिकायत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से की गई है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लालगंज में रहने वाली नीलम त्रिपाठी और फार्मासिस्ट सुनीता सचान ने सूदनखेड़ा में भूखंड खरीदा है। उसी पर कब्जे को लेकर विवाद चल रहा है। 24 जुलाई को इसी प्रकरण में जांच करने राजस्व विभाग की टीम पहुंची थी, जिसके सामने नेता रमेश सिंह ने नीलम त्रिपाठी और सुनीता के बेटे शुभम सचान को धमकाया था।

    रमेश का एक वीडियो भी इंटरनेट मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें वह लाशें बिछाने की धमकी दे रहे थे। इस मामले में पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर 25 जुलाई को रमेश बहादुर सिंह, सुनील सिंह, ब्रजेश सिंह, राजेश सिंह फौजी और वैभव गुप्ता के खिलाफ रंगदारी मांगने, जान से मारने की धमकी देने सहित कई अन्य धाराओं में केस दर्ज किया गया था।

    उक्त प्रकरण में पुलिस ने अभी तक किसी पर कार्रवाई नहीं की है। नीलम ने बताया कि लालगंज पुलिस रंगदारी मांगने वालों के आगे नतमस्तक है। उच्चाधिकारी घटना का संज्ञान नहीं लेंगे तो उन्हें न्याय नहीं मिलेगा। उन्होंने मुख्यमंत्री को शिकायती पत्र भेजकर न्याय की गुहार लगाई है।

    पुलिस का विवादों से पुराना नाता

    लालगंज पुलिस का विवादों से पुराना नाता है। इसी साल जून में बेहटाकला गांव में पुलिस के डर से युवक नदी में कूद गया। पुलिसवालों ने उसे बचाने की कोशिश भी नहीं की और वापस लौट गए। युवक की मौत हो गई तो चंद पुलिसकर्मियों को निलंबित करके जांच बैठा दी गई।

    बाद में जांच भी दबा दी गई। अगस्त 2020 में लालगंज पुलिस की कस्टडी में युवक की मौत हो गई। पुलिसकर्मियों की पिटाई से युवक की मौत हुई, ये संगीन आरोप लगाया गया, लेकिन बाद में मामला दबा दिया गया।