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    भैंस के मरने पर क्लेम देने से किया इनकार, उपभोक्ता फोरम ने बीमा कंपनी को दिया ये कड़ा आदेश

    Updated: Sat, 18 Oct 2025 08:23 AM (IST)

    रायबरेली में पशुधन बीमा योजना के तहत एक भैंस के मरने पर बीमा कंपनी द्वारा क्लेम देने में आनाकानी करने पर उपभोक्ता फोरम ने कंपनी पर हर्जाना लगाया है। फोरम ने बीमा कंपनी को पशुपालक को 60 हजार रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है। किसान ने बीमा कराया था लेकिन भैंस की मृत्यु के बाद कंपनी ने दावा खारिज कर दिया था, जिसके बाद उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज कराई गई थी।

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    जागरण संवाददाता, रायबरेली। सरकार द्वारा पशु पालकों के लिए चलाई जा रही पशुधन योजना पर बीमा कंपनी द्वारा किसान को गुमराह करना कंपनी को मंहगा पड़ा। उपभोक्ता फोरम ने पशु पालक को राहत देते हुए बीमा कंपनी को 60 हजार रुपये भुगतान का आदेश दिया है। क्षतिपूर्ति व्यय दो हजार व वाद व्यय के लिए भी एक हजार अतिरिक्त भुगतान के आदेश दिए हैं।

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    बेलाखारा निवासी ऊषा ने उपभोक्ता फोरम में वाद दायर कर बताया कि कृषि कार्य के साथ-साथ वह पशु पालन का कार्य भी करते हैं। उन्होंने सरकार द्वारा किसानों के हित के लिए चलाई जा रही पशुधन बीमा योजना के तहत एक भैंस का 60 हजार रुपये का बीमा कराया था, जो एक वर्ष तक मान्य था। इसके लिए उन्होंने नेशनल इंश्योरेंस कंपनी के प्रीमियम का भुगतान भी किया था। बीमा करते समय वादिनी ने चिकित्साधिकारी द्वारा जारी भैंस का स्वास्थ्य प्रमाण पत्र भी कंपनी को दिया गया था।

    वादिनी ने बताया कि भैंस बीमा अवधि में मर गई, जिसकी सूचना तत्काल बीमा कंपनी को दी गई। इसके बाद कंपनी के सर्वेयर द्वारा क्लेम संबंधित सभी दस्तावेज तैयार कर भुगतान के लिए फाइल बीमा कंपनी को भेजी गई। काफी दिनों तक कंपनी की तरफ से कोई सूचना नहीं दी गई, जबकि ऊषा ने इसके लिए कंपनी के कई चक्कर लगाए।

    अचानक बीमा कंपनी द्वारा पत्र भेजकर दावा नो क्लेम कर दिया गया। इसके बाद थक हारकर ऊषा ने उपभोक्ता फोरम की शरण ली। बीमा कंपनी को नोटिस का तामीला कराया गया। बहस के दौरान कंपनी के अधिवक्ता ने जवाब दिया कि बीमित पशु के मरने का समय व चिकित्सक के पोस्टमार्टम के समय में भिन्नता है।

    सर्वेयर द्वारा निरीक्षण के दौरान दो बजे वादिनी मृत भैंस के पास बैठी थी, जिसकी फोटो है। जबकि दो बजे भैंस का पोस्टमार्टम हो चुका है। इसके अतिरिक्त बीमार पशु के इलाज का कोई कागज नहीं है।

    इस पर वादी के अधिवक्ता केपी वर्मा ने जवाब दिया कि चिकित्साधिकारी द्वारा पोस्टमार्टम किया गया है। दोनों की बहस सुनने के बाद उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष मदन लाल निगम, सदस्य प्रतिमा सिंह व सुनीता मिश्रा ने बीमा कंपनी की सभी जवाब खारिज कर दिए। वादिनी के अधिवक्ता के दावे को स्वीकार करते हुए वादिनी के पक्ष फैसला सुनाया।