यूपी के किसानों के लिए आ गया नया फरमान, अब गलती से भी कर दिया ये काम तो मिलेजी सजा
ऊंचाहार में पराली जलाने पर प्रशासन सख्त हो गया है। धान की फसल कटने के बाद खेतों में पराली जलाने पर किसानों से जुर्माना वसूला जाएगा। बिना सुपर मैनेजमेंट सिस्टम के कटाई करने वाली मशीनों पर भी कार्रवाई होगी। एसडीएम ने बताया कि दो एकड़ से कम भूमि पर 2500 रुपये और पांच एकड़ से अधिक भूमि पर 15 हजार रुपये का जुर्माना लगेगा। कृषि विभाग किसानों को जागरूक कर रहा है।

यूपी के किसानों के लिए आ गया नया फरमान, अब गलती से भी कर दिया ये काम तो मिलेजी सजा
संवाद सूत्र, ऊंचाहार (रायबरेली)। धान की फसल कटने के बाद खेतों में पराली जलाई गई तो किसान से अर्थ दंड की वसूली होगी। पराली जलाने से रोक को लेकर कृषि विभाग की ओर से अभी से सतर्कता बरती जा रही है। वहीं बिना एक्स्ट्रा रीपर या सुपर मैनेजमेंट सिस्टम के धान की कटाई करने वाली हार्वेस्टिंग मशीन (कंबाइन) के संचालकों को भी राष्ट्रीय हरित अभिकरण के नियम की परिधि में रखा जाएगा। उनकी लापरवाही सामने आने पर मशीन सीज की जाएगी। वहीं कंबाइन स्वामी के व्यय पर हार्वेस्टिंग मशीन में सुपर मैनेजमेंट सिस्टम लगाने के बाद ही उन्हें छोड़ा जाएगा।
बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण को देखते हुए सरकार ने धान की पराली (फसल अवशेष) जलाने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा रखा है। इस पर अर्थदंड का भी प्राविधान किया गया है। एसडीएम राजेश श्रीवास्तव ने बताया कि सभी कंबाइन हार्वेस्टर संचालकों को चेतावनी देते हुए अर्थ दंड के प्रावधान को विस्तार पूर्वक बताया जा रहा है।
राष्ट्रीय हरित अभिकरण की ओर से निर्धारित अर्थ दंड के तहत बोई गई कृषि भूमि पर क्षेत्रफल दो एकड़ से कम होने की दशा में 2500 रुपये प्रति घटना, कृषि भूमि का क्षेत्रफल पांच एकड़ से अधिक होने की दशा में 15 हजार रुपये प्रति घटना देना होगा। कहा कि सभी हार्वेस्टिंग मशीन (कंबाइन) संचालक पकड़ा जाता है तो मशीन सीज करने की कार्रवाई भी की जाएगी। इस बारे में ब्लाक स्तर पर कृषि विभाग के कर्मचारी भी किसानों को जागरूक कर रहे हैं। पराली जलाने पर रोक लगाने व निगरानी रखने को राजस्व और कृषि विभाग की टीमें लगाई गई हैं।
बिना एसएमएस के न करें धान की कटाई
कंबाइन हार्वेस्टर थन की कटाई के लिए सुपर मैनेजमेंट सिस्टम (एसएमएस) को लगा करके ही फसल की कटाई करें, क्योंकि एसएमएस फसल अवशेष को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर जमीन पर बिखेर देता है। एसएमएस से छोटे टुकड़ों में कटे पराली के अवशेष जमीन में मिलकर मिट्टी में कार्बन अंश व उर्वरकता बढ़ाने में सहायक होते हैं। इससे पराली जलाने की भी नौबत नहीं आएगी, साथ ही पर्यावरण प्रदूषित भी नहीं होगा।
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