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    पहले रूस और यूक्रेन से आते थे रेल के पहिए, अब UP के इस शहर में हो रहा निर्माण

    Updated: Thu, 05 Dec 2024 03:14 PM (IST)

    Railway Wheels Manufacturing अब रूस और यूक्रेन से रेल पहिया मंगवाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अब रेल डिब्बों में यहीं के बने पहिए लगाए जा सकेंगे। इस्पात मंत्रालय ने रेल पहिया कारखाने से 40.5 एकड़ जमीन 5.6 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष की दर से किराए पर लेकर पहिया कारखाना का निर्माण कराया था। वर्ष 2013 में पहिया कारखाने की आधारशिला रखी गई।

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    Railway Wheels Manufacturing: लिंक हार्फमैन बुश (एलएचबी) तकनीक से रेल डिब्बे व वैगन कोच बन रहे हैं। फाइल

    अतुल त्रिपाठी, जागरण, लालगंज (रायबरेली)। आधुनिक रेलकोच कारखाना नित नए आयाम स्थापित कर रहा है। कोच निर्माण में लक्ष्य से अधिक उत्पादन की उपलब्धि हासिल करने के बाद एक कदम और बढ़ा दिया गया है। अब आरेडिका ने रेल पहिया कारखाने के संचालन की जिम्मेदारी ले ली है। इससे पहिया निर्माण में तेजी आ गई है।

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    अब रूस और यूक्रेन से रेल पहिया मंगवाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अब रेल डिब्बों में यहीं के बने पहिए लगाए जा सकेंगे। आधुनिक रेलडिब्बा कारखाना में लिंक हार्फमैन बुश (एलएचबी) तकनीक से रेल डिब्बे व वैगन कोच बन रहे हैं। पहले रेल डिब्बों में काष्ठ व्हील लग रहे थे, लेकिन एलएचबी डिब्बों में फोर्ज्ड व्हील लग रहे हैं।

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    29 फरवरी 2016 को हुई टेंडर प्रक्रिया

    इस्पात मंत्रालय ने रेल पहिया कारखाने से 40.5 एकड़ जमीन 5.6 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष की दर से किराए पर लेकर पहिया कारखाना का निर्माण कराया था। वर्ष 2013 में पहिया कारखाने की आधारशिला रखी गई। 29 फरवरी 2016 को टेंडर प्रक्रिया हुई, जिसमें जर्मनी की एसएमएस कंपनी को कारखाना बनाने की जिम्मेदारी मिली।

    1683 करोड़ की लागत से बनने वाले कारखाने में पहिया निर्माण शुरू होने में लगभग छह साल लग गए। रेल मंत्रालय ने अप्रैल 2024 में इसका अधिग्रहण कर लिया। इसके बाद पहिया निर्माण में तेजी आई है। अभी तक आधुनिक रेलडिब्बा कारखाना में यूक्रेन व रूस से फोर्ज्ड व्हील मंगाए जाते थे। अब आरेडिका में फोर्ज्ड व्हील बनने से यहां कारखाने समेत अन्य कारखानों को भी पहिया भेजे जाने लगे हैं।

    फिलहाल प्रतिवर्ष लगभग 40 हजार पहिया बनाने का लक्ष्य है, जिसे बढ़ाकर 50 हजार तक किया जाएगा। इस समय प्रतिमाह करीब तीन हजार पहियों का उत्पादन किया जा रहा है। जिसका नतीजा है कि अप्रैल से लेकर 21 नवंबर तक 23777 रेल पहियों की फोर्जिंग की जा चुकी थी।

    एक यात्री डिब्बें में आठ पहिए लगते हैं। यदि आरेडिका में ही प्रतिवर्ष दो हजार रेल डिब्बे बनेंगे तो 16 हजार पहियों की खपत स्थानीय स्तर पर ही होने लगेगी। शेष पहिए अन्य रेल उत्पादन इकाइयों को भेजे जाएंगे। ऐसे में न केवल देश फोजर््ड व्हील उत्पादन में आत्मनिर्भर हो रहा है, बल्कि उसकी विदेशी मुद्रा की भी बचत हो रही है।

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    फोर्ज्ड व्हील की विशेषता

    देश में काष्ठ व्हील चल रहे थे। जिनमें बहुत जल्दी क्रेक होने से पहिया खराब हो जाते थे। फोर्ज्ड व्हील बेहतर तकनीक से बनाए जाते हैं। इसमें स्टील राड से राउंड काटकर फर्निश में गर्म किया जाता है। इसके बाद फोर्जिंग, रोलिंग, हीट ट्रीटमेंट, मशीनिंग करने के बाद टेस्टिंग प्रक्रिया से गुजारा जाता है।

    आठ माह में पिछले वित्तीय वर्ष से अधिक रेल पहियों का उत्पादन किया गया है। अभी तक यूक्रेन व रूस से पहिए मंगाने पड़ते थे लेकिन अब कारखाने में ही पहिए बनने लगे हैं। जैसे जैसे मांग बढ़ती जाएगी, पहिया उत्पादन भी बढ़ाया जाएगा।- अनिल श्रीवास्तव, जनसंपर्क अधिकारी आधुनिक रेलडिब्बा कारखाना