वाहन के चोरी होने पर बीमा कंपनी ने क्लेम देने से किया इनकार, फिर उपभोक्ता फोरम ने जो फैसला सुनाया उसने उड़ा दिए होश
रायबरेली में बीमा कंपनी द्वारा वाहन चोरी का क्लेम अस्वीकार करने पर उपभोक्ता फोरम ने बीमा कंपनी को 1.70 लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया। शिकायतकर्ता श्रवण कुमार की बोलेरो 2019 में चोरी हो गई थी लेकिन बीमा कंपनी ने चाबी में भिन्नता बताकर क्लेम देने से मना कर दिया। फोरम ने वादी के अधिवक्ता की दलीलों को सही मानते हुए ग्राहक के पक्ष में फैसला सुनाया।

जागरण संवाददाता, रायबरेेली। बीमित वाहन के चोरी हो जाने पर बीमा कंपनी ने क्लेम देने से मना कर दिया। वाहन स्वामी द्वारा दायर किए गए वाद पर सुनवाई करते हुए उपभोक्ता फोरम ने ग्राहक को राहत देते हुए बीमा कंपनी को 1.70 लाख रुपये भुगतान का आदेश दिए हैं।
शिवगढ़ के बैंती निवासी श्रवण कुमार ने उपभोक्ता फोरम में वाद दायर कर बताया कि उन्होंने निजी कार्य के लिए एक बोलेरो वर्ष 2014 में क्रय की थी। गो डिजिट इंश्योरेंस कंपनी से उसका बीमा कराया गया था, जो कि 30 जून 2020 तक वैध था।
वादी ने बताया इसके लिए उन्होंने 20814 रुपये को भुगतान बीमा कंपनी को किया था। नवंबर 2019 में वाहन उनके घर के दरवाजे से चोरी हो गया, जिसकी शिकायत उन्होंने शिवगढ थाने में दर्ज कराई। मुकदमा दर्ज होने के बाद इसकी सूचना वादी ने बीमा कंपनी को दी, जिस पर कंपनी ने सर्वेयर भेजकर जांच कराई।
सर्वेयर ने वाहन की दोनों मूल चाभियां व सभी दस्तावेज वादी से लिए। लगभग छह माह बाद बीमा कंपनी ने चाभी की भिन्नता का हवाला देते हुए वादी का क्लेम अस्वीकृत कर दिया। थक हार कर वादी ने उपभोक्ता फाेरम का दरवाजा खटखटाया।
फोरम की नोटिस के बाद बीमा कंपनी ने जवाब दायर कर कहा कि सभी दस्तावेज जांचने के बाद चोरी संदेहास्पद लग रही है। वहीं वादी द्वारा दी गई दोनों चाभियां आपस मैच नहीं कर रही हैं। इससे साफ है कि एक मूल चाभी वाहन के साथ ही है। वाहन के रखरखाव में लापरवाही की गई है।
चाभी वाहन के अंदर ही थी। इसके चलते इस क्लेम काे अस्वीकार्य किया गया है। जवाब में वादी के अधिवक्ता केपी वर्मा ने कहा कि थाने की रिपोर्ट पर लगी चार्ज शीट में साफ स्पष्ट है कि गाड़ी चोरी हुई थी, जबकि इसकी फाइनल रिपोर्ट कोर्ट से प्रमाणित है।
वहीं चाभी के मामले में बीमा कंपनी के अधिवक्ता का यह कहना पूरी तरह निराधार है कि चाभियों में भिन्नता हैं, जबकि सर्वेयर ने चाभी लेते समय किसी प्रकार की भिन्नता की बात नहीं कही थी और छह माह बाद वाहन स्वामी को यह बात बताई गई।
इसका भी जवाब वादी द्वारा बीमा कंपनी को दिया गया था। दोनों अधिवक्ताओं की जिरह सुनने के बाद उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष मदन लाल निगम, सदस्य प्रतिमा सिंह व सदस्य सुनीता मिश्र ने वादी के अधिवक्ता की बात पर मुहर लगा दी और वादी के हक में फैसला सुनाया।
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