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    63000 का बिजली बिल देखकर यूपी का युवक रह गया सन्न, उपभोक्ता फोरम में शिकायत की तो सुनाया गया ये आदेश

    Updated: Sat, 18 Oct 2025 06:11 PM (IST)

    रायबरेली में उपभोक्ता फोरम ने बिजली विभाग द्वारा भेजे गए 63 हजार से अधिक के गलत बिल को रद्द कर दिया है। मऊगर्वी के रंजीत सिंह ने शिकायत की थी कि उन्हें चार साल से बिल नहीं मिला। फोरम ने विभाग को सही बिल भेजने का आदेश दिया, क्योंकि विभाग बिल भेजने का प्रमाण देने में विफल रहा। उपभोक्ता फोरम ने रंजीत सिंह के पक्ष में फैसला सुनाया।

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    जागरण संवाददाता, रायबरेली। ग्राहक को गलत बिल भेजना बिजली विभाग को मंहगा पड़ा है। उपभोक्ता फोरम ने विभाग द्वारा भेजे गए 63 हजार 12 रुपये के बिल को निरस्त कर दिया है। साथ ही आदेशित करते हुए कहा कि ग्राहक को सही बिल भेजें।

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    मऊगर्वी निवासी रंजीत सिंह ने उपभोक्ता फोरम में वाद दायर करते हुए कहा कि उनके घर पर घरेलू ग्रामीण कनेक्शन लगा है। वादी लगातार चार साल पूर्व तक अपना बिल समय पर जमा करता रहा है। वादी का कहना है कि लगभग चार साल से उसे कोई भी बिजली का बिल नहीं दिया गया। जबकि वह कई बार कार्यालय गया, लेकिन उसे बिल की जानकारी नहीं दी गई।

    अचानक विभाग ने वादी के मोबाइल पर कई सालों का बकाया भेज दिया। वादी का कहना है विद्युत विभाग द्वारा ग्रामीण घरेलू कनेक्शन पर दो साल से अधिक बिल नहीं भेजा जा सकता है। इससे, अधिक बिल भेजना उच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन है। वादी ने बिल सुधार के लिए विभाग को नोटिस भी भेजी, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।

    वादी ने थक हार कर उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटाया। जिसके बाद बिजली विभाग को नोटिस तामील कराई गई। बहस के दौरान बिजली विभाग के अधिवक्ता ने कहा कि वादी को एक किलोवाट कनेक्शन दिया गया है। लगातार बिल दिए गए। वादी ने 2019 में ओटीएस योजना में पंजीकरण कराया था, लेकिन उन्होंने सभी किस्तें नहीं अदा की।

    इसलिए वादी को योजना का लाभ नहीं दिया गया। इसके चलते बकाया पूर्व की तरह ही शेष रहा। जवाब में वादी के अधिवक्ता ने कहा कि दो वर्ष के अंदर ही बिल भेजा जा सकता है। इसके बाद विभाग बकाया का बिल नहीं भेज सकता है। विभाग द्वारा ऐसा कोई साक्ष्य नहीं दिया गया, जिससे यह पता चले की वह नियमित रूप से वादी को बिल भेजता था।

    इसके अतिरिक्त विभाग के पास यह भी साक्ष्य नहीं है कि 63012 रुपये का बिल कितने साल का है। दोनों की बहस सुनने के बाद उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष मदन लाल निगम, सदस्य प्रतिमा सिंह व सुनीता मिश्रा ने बिजली विभाग के अधिवक्ता के सभी जवाब खारिज कर दिए। वादी के अधिवक्ता के दावे को स्वीकार करते हुए रंजीत के पक्ष फैसला सुनाया।