जरा सी लापरवाही और ¨जदगी खत्म
रायबरेली : हर चीज का सहूर सिखाया-पढ़ाया जाता है। लापरवाही से बराबर आगाह किया जाता ह
रायबरेली : हर चीज का सहूर सिखाया-पढ़ाया जाता है। लापरवाही से बराबर आगाह किया जाता है। लेकिन मानना-न मानना लोगों के ऊपर निर्भर करता है। जो समझदार हैं, वे खुद बचते और दूसरों को बचाते हैं। जो बेपरवाह होते हैं, वे खुद तो मौत के मुंह में जाते ही हैं..औरों को भी जोखिम में पहुंचा देते हैं। जी हां, एक बार फिर लापरवाही ने लोगों को तड़पा के रख दिया है। कुशीनगर की घटना में स्कूली वैन का ड्राइवर ईयरफोन लगाए वाहन चला रहा था। मानव रहित रेलवे क्रा¨सग पर उसने 13 नन्हे-मुन्नों की बलि चढ़ा दी। दरअसल लाख कोशिशों के बाद भी मानवरहित क्रा¨सगों पर कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं हो पा रही है। ऐसे में दुर्घटनाएं कैसे थमें यह भी बड़ा सवाल है। कुशीनगर की घटना ने एक बार फिर झकझोरा है। लोग सुधरेंगे, चेतेंग और खुद बचते हुए औरों को जागरूक करेंगे। जिले की मानवरहित क्रा¨सग पर हुए हादसों और ताजे हालात से रू-ब-रू कराती रिपोर्ट..।
लालगंज: यदि उन्नाव-ऊंचाहार रेलखंड की बात करें तो लालगंज से रघुराज ¨सह के मध्य लालगंज-खीरों मुख्य मार्ग स्थित गेट संख्या 74 सी पर गेट नहीं लगा है। दुर्घटनाओं में कई लोगों की मौत के बाद जागे रेल प्रशासन ने गेट मित्र की तैनाती की है। रेलवे क्रा¨सग प्रमुख मार्ग पर होने के चलते 24 घंटे दो पहिया व चौपहिया वाहनों का आवागमन रहता है। रेलवे क्रा¨सग पर गेट मित्र की तैनाती है या नहीं तथा लालगंज से रघुराज¨सह तक कितने मानवरहित गेट हैं। इस विषय में रेलवे स्टेशन लालगंज पर तैनात स्टेशन मास्टर रजत कुमार को जानकारी नहीं है। उनका कहना है कि हाल ही में नई तैनाती हुई है जिसके चलते उन्हें इस विषय में जानकारी नहीं है।
कई हादसों की गवाह मानव रहित क्रा¨सग
लगभग तीन साल पहले इसी मानव रहित क्रा¨सग पर वैवाहिक समारोह में फूल लेकर जा रहे एक बाइक सवार युवक की ट्रेन की चपेट में आने से मौत हो गई थी। तीन दशक पहले भी एक ट्रैक्टर ट्राली गेट संख्या 74 सी पर ट्रेन की चपेट में आ गई थी। उस घटना में भी कुछ लोगों की मौत हो गयी थी। इसी गेट पर लगभग तीन साल पहले ट्रेन की चपेट में एक कार आ गयी थी। हालांकि इस घटना में कार ही क्षतिग्रस्त हुई थी। किसी प्रकार की जनहानि नहीं हुई थी। 2 मई 2010 को निहस्था के पास मानव रहित क्रा¨सग पर ट्रेन की टक्कर लगने से ट्रैक्टर ट्राली सवार दो लोगों की मौत हो गई थी। यह घटना उस समय हुई थी जब खीरों क्षेत्र के मुस्तकीमगंज निवासी कल्लू अपने पुत्र अख्तर व पारिवारिक व्यक्ति के साथ व्यापार करने के लिए अपने बड़े भाई हनीफ का ट्रैक्टर लेकर लालगंज जा रहा था। रास्ते में मथुराखेड़ा निवासी झब्बू भी खंडेपुर के पास उसी ट्रैक्टर में बैठ गया था। निहस्था के समीप मानव रहित क्रा¨सग पार करते समय आरडीएल पैसेंजर ट्रेन ट्रैक्टर ट्राली में टक्कर मारते हुए चली गयी थी। जिसके चलते ट्रैक्टर पर सवार कल्लू व ट्राली पर सवार झब्बू की मौत हो गयी थी।
मानव रहित क्रा¨सग ले रही जान, फिर भी विभाग अंजान
डलमऊ : डलमऊ तहसील क्षेत्र में एक दर्जन से अधिक स्थानों पर रेलवे की मानवरहित क्रॉ¨सग हैं जो कि बड़े हादसों को आमंत्रण दे रही हैं। इलाहाबाद-डलमऊ रेलखंड में मानवरहित क्रॉ¨सग की भरमार है। इस रेलखंड पर एक दर्जन से अधिक ट्रेनों का आवागमन प्रतिदिन बना रहता है। रेलकोच कारखाना बनने के बाद से उक्त लाइन पर मालगाड़ियों का भी संचालन हो रहा है। ऐसे में मानवरहित क्रा¨सग पर कोई रोकटोक न होने के कारण बड़े वाहन बेखौफ होकर रेलवे लाइन को पार करते हैं जिसके कारण कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना घट सकती है। इसके बावजूद अन्य जगहों पर आए दिन हो रही रेल दुर्घटनाओं से विभाग सबक नहीं ले रहा।
मार्ग निर्माण में नहीं ली जाती स्वीकृति
कमियों को दूर करने के बजाय रेलवे के अधिकारी मानवरहित क्रा¨सग के संचालन का ठीकरा जिला प्रशासन पर फोड़ रहे हैं। रेल विभाग के आरके त्रिपाठी का कहना है कि जिला प्रशासन द्वारा सड़कों का निर्माण तो करा दिया जाता है लेकिन रेल लाइन को पार करने वाले संपर्क मार्गों के निर्माण के दौरान रेलवे से स्वीकृति नहीं ली जाती इसका खामियाजा ग्रामीणों और राहगीरों को भुगतना पड़ रहा है ।
मानव रहित रेलवे क्रॉ¨सग
कानपुर-इलाहाबाद रेलखंड पर आफताब नगर, नाथ खेड़ा, उधनपुर, बरारा बुजुर्ग, पखरौली, माधवपुर डलमऊ- रायबरेली रेलखंड पर राधाबालमपुर, नसीरपुर, उबरनी सहित अन्य जगहों पर मानव रहित क्रा¨सग हैं।
रेल पथ निरीक्षक आर के त्रिपाठी ने बताया कि मानव रहित का चयन कर रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेजी गई है। उच्चाधिकारियों के आदेश का पालन कराया जाएगा ।
ऊंचाहार : क्षेत्र के कानपुर रोड से मुंडीपुर तथा पचखरा गांव को जोड़ने के लिए ऊंचाहार-उन्नाव रेलखंड पर नजनपुर व पचखरा गांव के पास मानव रहित क्रा¨सग है। वहीं ऊंचाहार- रायबरेली रेलखंड पर पूरे डींगुर, फूलबाग तथा सरबहदा गांवों के पास मानव रहित क्रा¨सग है। इनमें सरबहदा क्रा¨सग से काफी आवागमन होता है लेकिन इन क्रा¨सग पर ट्रेनों के आवागमन पर सड़क पार करने वाले लोगों को रोकने की कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है। अलबत्ता क्रा¨सग पर लगे बोर्ड पर चेतावनी जरूर अंकित है। जिस पर लोगों की नजर नहीं जाती। हालांकि रेलवे ने कुछ दिनों पहले ऊंचाहार-लखनऊ रेल खण्ड के 8 मानव रहित क्रा¨सग को बंद करने का आदेश दिया है।