राजा डल की नगरी में उड़ा अबीर-गुलाल
- तीन दिन शोक मनाने के बाद खेली गई होली आसपास के तीन दर्जन गांवों में उल्लास का माहौल

रायबरेली : तीन दिन शोक मनाने के बाद शुक्रवार को राजा डल की नगरी डलमऊ रंग, गुलाल और अबीर से सराबोर हो गई। आसपास के करीब तीन दर्जन गांवों में धूमधाम से होली का पर्व मनाया गया। सुबह से शुरू सिलसिला दोपहर बाद तक चलता रहा। शाम को लोग एक-दूसरे के घरों में जाकर होली की बधाई दी। इस दौरान घरों में स्वादिष्ट व्यंजन भी बने।
यहां पर हर साल तीन दिन बाद होली का पर्व मनाया जाता है। इसी दिन मुगल सेना ने आक्रमण किया था। इसमें राजा डल लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए थे। इसके बाद से होली के दिन यहां पर शोक मनाया जाता है। नगर पंचायत अध्यक्ष बृजेश दत्त गौड़ ने बताया कि आसपास के करीब 28 गांवों में तीन दिन बाद होली का पर्व मनाया जाता है। सुरक्षा के मद्देनजर एसडीएम विजय कुमार, तहसीलदार प्रतीत त्रिपाठी व क्षेत्राधिकारी अशोक कुमार सिंह पुलिस बल के साथ मुस्तैद रहे। इस दौरान युवाओं की टोली भी मुहल्लों में निकली। डीजे की धुन पर थिरकते हुए एक-दूसरे को रंग लगाया। इसलिए यहां मनाते हैं शोक
1421 ई. पूर्व डलमऊ के राजा डलदेव थे। होली के दिन प्रजा के साथ जश्न मना रहे थे। इसी दौरान जौनपुर के राजा शाह शर्की की सेना ने डलमऊ के किले पर आक्रमण कर दिया। राजा डलदेव को आक्रमण की खबर मिली तो युद्ध के लिए दो सौ सिपाहियों के साथ मैदान में कूद पड़े। शाहशर्की की सेना से युद्ध करते समय पखरौली गांव के निकट राजा डलदेव वीरगति को प्राप्त हो गए। इस युद्ध में राजा डलदेव के दो सौ व शाहशर्की के दो हजार सैनिक मारे गए थे। इसके बाद उनके रियासत से जुड़े गांवों में तीन दिन का शोक मनाया जाता है। यहां मनाई गई होली
डलमऊ, पूरे रेवती, खपराताल, पूरे ज्वाला, पूरे भागू, नाथ खेड़ा, पूरे नाथू, पूरे गड़रियन, नेवाजगंज, पूरे वल्ली, मलियापुर, पूरे मुराइन, भटानीहार, महुवाहार, पूरे धैताली, पूरे धानू, बिबियापुर, मखदूमपुर, देवली, नगरूमऊ, पूरे कोइली, सुर्जीपुर, पूरे डालबाल, पूरे सेखन, पूरे जोधी, तेलहना, पूरे लालता, मुर्सीदाबाद आदि गांव शामिल हैं। यहां तीन दिन शोक के बाद होली मनाई गई।
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